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डेटा और तकनीक के जरिये आगे बढ़ेगा एग्री बिजनेस

तकनीक के बढ़ते प्रभाव के दौर में खेती भी इससे अछूती नहीं रही. हालांकि, इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि डिजिटल टूल्स के जरिये खेती में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता होने के बावजूद छोटे खेतिहर अब भी खेती के पारंपरिक तरीकों पर भी ज्यादा भरोसा करते हैं. क्लाइमेट चेंज […]

तकनीक के बढ़ते प्रभाव के दौर में खेती भी इससे अछूती नहीं रही. हालांकि, इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि डिजिटल टूल्स के जरिये खेती में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता होने के बावजूद छोटे खेतिहर अब भी खेती के पारंपरिक तरीकों पर भी ज्यादा भरोसा करते हैं.
क्लाइमेट चेंज और बढ़ती वैश्विक आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करना वास्तविक में मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में मोबाइल फोन के माध्यम से अद्यतन जानकारियां मुहैया कराते हुए छोटे किसानों की पहुंच खेती से जुड़े बाजारों तक आसान की जा सकती है.
इसे आसान बनाने के लिए अफ्रीका में कई कंपनियां कार्यरत हैं. ‘स्टैंडर्ड मीडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन मोबाइल फोन एप्लीकेशंस यानी एप्स को दक्षिण अफ्रीका के सूचना प्रौद्योगिकी के पीएचडी छात्र ने नये तरीके से इसका डिजाइन तैयार करते हुए इसे विकसित किया है. अपने फार्मिंग प्रतिष्ठानों को प्रोत्साहित करने के लिए इन्होंने छोटे स्तर के किसानों को डिजिटल तकनीकों से जोड़ने के लिए नये प्रकार का एप्स विकसित किया है.
छोटे किसानों की बड़ी चुनौतियां
छोटे स्तर के किसानों के लिए बड़ी चुनौती यह होती है कि विशेषज्ञ कृषि सूचनाओं तक सटीक समय पर उनकी पहुंच कायम नहीं हो पाती है. छोटे किसानों को अब तक खेती संबंधी व्यापक शोधकार्यों से वंचित रहना पड़ता था. सीमित मानव संसाधन और लॉजिस्टिक के अभाव के कारण ऐसी सूचनाओं की आपूर्ति कम हो पाती है.
डिजिटल तकनीक से कम होगा गैप
इस संदर्भ में अच्छी खबर यह है कि डिजिटल तकनीक के जरिये इस गैप को पाटना मुमकिन हो सकता है. अफ्रीका के कई देशों में इस तकनीक के जरिये छोटे किसानों को खास किस्म की ट्रेनिंग मुहैया करायी जा रही है, जो उनके लिए हितकारी साबित हो सकती है. खेती में रिसर्च का ज्ञान हासिल करने और उसे प्रसारित करने के लिए मोबाइल तकनीक एक ऐसा इनोवेटिव तरीका है, जिसमें लागत भी कम आती है.
सोशल मीडिया से जुड़ाव
गूगल प्ले स्टोर के जरिये किसान इस तरह के अनेक एप्स डाउनलोड कर सकते हैं, जिसके माध्यम से वे मूल्य, उत्पादन की लागत समेत बेहतर तरीकों के बारे में जान सकते हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये संबंधित जानकारियों को अन्य किसानों से साझा भी कर सकते हैं. इनमें से कई ऐसे एप्स भी हैं, जिन्हें एक बार डाउनलोड करने के बाद ऑफलाइन भी इस्तेमाल में लाया जा
सकता है.

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