जेईई एडवांस्ड : आईआईटी में पढ़ना है तो ऑनलाइन प्रैक्टिस जरूरी, कंप्यूटर फ्रेंडली नहीं होने के कारण गांवों के छात्र पिछड़े

कंप्यूटर फ्रेंडली नहीं होना ग्रामीण छात्रों को पड़ा भारी अमित कुमार पटना : इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे हैं और आईआईटी में पढ़ने की ख्वाहिश रखते हैं तो सिर्फ अच्छी पढ़ाई से काम नहीं चलेगा. इसके लिए आपको कंप्यूटर फ्रेंडली होना जरूरी है. खासकर इंटरनेट और ऑनलाइन परीक्षा देने की प्रैक्टिस जरूरी है. बिना इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2018 7:06 AM
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कंप्यूटर फ्रेंडली नहीं होना ग्रामीण छात्रों को पड़ा भारी
अमित कुमार
पटना : इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे हैं और आईआईटी में पढ़ने की ख्वाहिश रखते हैं तो सिर्फ अच्छी पढ़ाई से काम नहीं चलेगा. इसके लिए आपको कंप्यूटर फ्रेंडली होना जरूरी है.
खासकर इंटरनेट और ऑनलाइन परीक्षा देने की प्रैक्टिस जरूरी है. बिना इसके परीक्षा में बेहतर अंक लाना संभव नहीं है, क्योंकि आईआईटी ने अब टेस्ट को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया है और आगे भी अब यही प्रक्रिया जारी रहेगी. आईआईटी अब ऑफलाइन परीक्षा नहीं लेगा. अगर ऑनलाइन परीक्षा की प्रैक्टिस नहीं है तो चाहे जितना भी पढ़ लें, रिजल्ट पर प्रभाव पड़ना लाजिमी है.
गरीब व कमजोर वर्ग के छात्रों को हुई सबसे अधिक परेशानी
जिनके पास यह सुविधा नहीं थी उन्हें परेशानी हुई. खासकर वैसे छात्र जो आर्थिक रूप से कमजोर थे. ऐसे में शहरी छात्र और अपर मिडिल क्लास के छात्र-छात्राओं को इसका फायदा अधिक हुआ. मिली जानकारी के अनुसार जो लोग इसे पहले ही समझ गये थे, वे पूरे साल पढ़ाई के साथ इसकी प्रैक्टिस कर रहे थे. कुछ जानकार बताते हैं कि इसका अंदाजा चूंकि पिछले कुछ वर्षों से भी था, इसलिए कुछ लोग तो पिछले दो या तीन वर्षों से ऑनलाइन की प्रैक्टिस जारी रखे हुए थे.
ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटर, इंटरनेट की समस्या
गरीब, पिछड़े और ग्रामीण तबके के छात्र इसमें पिछड़ गये, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली का हाल बुरा है. कंप्यूटर भी काफी कम घरों में है. ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को सबसे अधिक नुकसान हुआ, क्योंकि उन छात्रों को बमुश्किल ही इंटरनेट मिलता था और मिलता था तो गांव से काफी दूर जाकर साइबर कैफे में. वहीं भी ग्रामीण क्षेत्रों के साइबर का अंदाजा भी आप लगा सकते हैं.
कुल मिलाकर अगर यह कहा जाये कि इस पर क्रीमी मतलब कि आर्थिक रूप से मजबूत व शहरी लोगों को अधिक फायदा हुआ और उनके बच्चों का ही सेलेक्शन अधिक हुआ तो इसमें को कोई दो मत नहीं होगा. इसका असर भी रिजल्ट पर दिख रहा है. आईआईटी जो करीब 50 हजार छात्र-छात्राओं का रिजल्ट जारी करता था, इस बार करीब 18 हजार छात्रों का रिजल्ट हुआ है. इनमें ज्यादातर शहरी क्षेत्र के छात्र ही हैं.
ऑनलाइन परीक्षा देने में तकनीकी परेशानी
सुनने में तो ऑनलाइन परीक्षा आसान लगती है और इसमें ऑप्शंस पर जाकर सिर्फ क्लिक कर देने भर से आंसर पूरा हो जायेगा. लेकिन यह जितना सुनने में आसान लगता है, उतना है नहीं. ऑफलाइन में जहां छात्र एक बार सिर झुकाते हैं तो फिर परीक्षा के बाद ही उठता है.
बार-बार आई कांटैक्ट मिलाने में समस्या नहीं होती. लेकिन यहां हर आंसर को तो पेपर पर रफ करना है, लेकिन फिर क्लिक करने के लिए सिर उठाना है. इसी तरह से प्रश्न भी स्क्रीन पर पढ़ना है और फिर स्क्रीन पर आंसर देना है.
एक प्रश्न के जवाब देने में कई बार छात्र प्रश्न को देखने के लिए सिर उठाते हैं और स्क्रीन पर देखते हैं. अब आप अनुमान लगा लीजिए कि एक छात्र को कितने बार सिर उठाना और झुकाना पड़ता है. अगर इसकी प्रैक्टिस नहीं हुई तो छात्रों को काफी परेशानी होती है. इस बार की परीक्षा में यही हुआ. कई छात्र जो पढ़ने में तेज थे, लेकिन जो कंप्यूटर पर प्रैक्टिस नहीं करते थे.
कंप्यूटर फ्रेंडली होना भी जरूरी
ग्रामीण क्षेत्रों में रिजल्ट खराब हुआ है. राज्य में बड़ी संख्या में ग्रामीण छात्र परीक्षा में शामिल होते हैं, जिनका कंप्यूटर व इंटरनेट पर प्रैक्टिस कम होता है. ऐसे छात्रों पर प्रभाव पड़ा है. जिनकी ऑनलाइन टेस्ट की प्रैक्टिस अच्छी थी, उन्होंने इस परीक्षा में अच्छा किया है. आगे से छात्रों को यह ध्यान रखना होगा और तैयारी के साथ ऑनलाइन प्रैक्टिस व कंप्यूटर फ्रेंडली होना भी जरूरी होगा.
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