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मॉनसून में अगर थोड़ा रखें ख्याल, तो संक्रमण से नहीं पड़ेंगे बीमार

बारिश में भीगना और पकोड़ों के साथ गरमा-गरम चाय की चुस्कियां लेने का एक अलग ही आनंद है. लेकिन यह खूबसूरत मौसम अपने साथ कई बीमारियों को लेकर भी आता है. इस दौरान फ्लू से लेकर फंगल इन्फेक्शन जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. इस मौसम में बार-बार तापमान में होनेवाले बदलाव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2018 8:08 AM

बारिश में भीगना और पकोड़ों के साथ गरमा-गरम चाय की चुस्कियां लेने का एक अलग ही आनंद है. लेकिन यह खूबसूरत मौसम अपने साथ कई बीमारियों को लेकर भी आता है. इस दौरान फ्लू से लेकर फंगल इन्फेक्शन जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. इस मौसम में बार-बार तापमान में होनेवाले बदलाव का शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है. दरअसल, इस मौसम में होनेवाली उमस और नमी रोगाणुओं को पनपने के लिए आदर्श वातावरण उपलब्ध कराती हैं. यही वजह है कि मॉनसून में विभिन्न प्रकार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

फ्लू : बारिश में बच्चे और बुजुर्ग ही नहीं, युवा भी फ्लू के शिकार हो जाते हैं. जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उनके फ्लू की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है. फ्लू को ठीक होने में 8-10 दिन का समय लग सकता है. इस दौरान सर्दी, खांसी, बुखार और कंपकंपी लगने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. फ्लू संक्रामक होता है, इसलिए फ्लू होने पर अन्य लोगों से दूर रहें, ताकि वे संक्रमण की चपेट में न आएं. अगर आप बारिश और सर्दी में हर साल फ्लू की चपेट में आते हैं, तो वैक्सिनेशन करा लेना उचित है.

डायरिया : डायरिया पाचन मार्ग में संक्रमण का एक लक्षण है, जो विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस और परजीवियों द्वारा फैलता है. यह संक्रमण दूषित भोजन या पीने के पानी से फैलता है. इसमें एक दिन में तीन या अधिक बार पतले दस्त होते हैं. गंभीर डायरिया के कारण शरीर में फ्ल्युड की कमी हो जाती है और यह स्थिति घातक हो सकती है. विशेषकर छोटे बच्चों और उन लोगों में, जो कुपोषण के शिकार हैं या जिनका रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर है.

फूड प्वॉयजनिंग : बारिश में चारों ओर पानी और कीचड़ हो जाता है. ऐसे में खाद्य पदार्थों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है. बैक्टीरिया, वायरस, दूसरे रोगाणुओं या विषैले तत्वों से संक्रमित खाद्य पदार्थों के सेवन से फूड प्वॉयजनिंग होने की संभावना रहती है. बेहतर है इन दिनों स्ट्रीट फूड खाना अवॉयड करें.

पेट की समस्याएं : मॉनसून में जठराग्नि मंद पड़ जाने से पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है. वहीं इस मौसम में अक्सर लोग घरों में दुबके रहते हैं, जिससे शारीरिक सक्रियता भी कम हो जाती है. यह भी पाचन तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है. इस मौसम में अपच, गैस, कब्ज और लूज मोशन की परेशानी अधिक होती है. इसलिए एक्टिव रहें.

फंगल इन्फेक्शन : बारिश में फंगल इन्फेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है. रोज नहाएं और शरीर को अच्छी तरह तौलिए से सुखाने के बाद ही कपड़े पहनें. इससे फंगल इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता है. हमेशा सूखे अंडर गार्मेंट्स पहनें. अगर बारिश में गीले हो गये हों, तो तुरंत बदल लें, वरना निजी अंगों के आस-पास फंगल इन्फेक्शन हो सकता है. इस मौसम में जूते, मौजों को भी अच्छी तरह सूखा कर पहनें, नहीं तो पैरों की उंगलियों के बीच फंगस का संक्रमण पनप सकता है. नंगे पांव पानी में न रहें. पैरों को अच्छी तरह से धोएं. पानी में एंटीसेप्टिक जरूर मिलाएं.

छोटी-छोटी बातों का रखें ख्याल

साफ-सफाई से रहें : रोज नहाएं और साफ-सुधरे कपड़े पहनें. जब भी जरूरी हो, अपने हाथों को साबुन से धोएं. आप अपने हाथों को जितना साफ रखेंगे, उतने रोगाणुओं के कम संपर्क में आयेंगे. नाखूनों को छोटा रखें, क्योंकि इनमें फंसी गंदगी से संक्रमण फैल सकता है.

खान-पान में सावधानी : घर के बने हुए सादे और पोषक भोजन का सेवन करें. अधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन न करें. स्ट्रीट फूड से दूर रहने की कोशिश करें. मांस को अच्छी तरह पकाकर ही सेवन करें. फलों और सलाद को पहले से काटकर न रखें. ताजे फल खाएं, जो अच्छी तरह धुले हों. बारिश में पत्तेदार सब्जियों का सेवन न ही करें तो बेहतर है, क्योंकि एक तो इनसे संक्रमण फैलने का खतरा होता है, दूसरा इनमें सैल्युलोज़ होता है, जिसे पचाने में परेशानी होती है. हमेशा उबला हुआ और फिल्टर किया हुआ पानी ही पीएं. विटामिन सी रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाता है. संतरा और नीबू आदि फलों का सेवन करें.

शारीरिक रूप से रहें सक्रिय : बारिश में शारीरिक सक्रियता कम न करें, नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें. वर्कआउट करने से शरीर और मस्तिष्क में रक्त का संचरण बढ़ता है. अगर आप जिम न जा सकें तो घर पर ही हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें. सर्वांगसन, उत्तानपादासन, भुजंगासन आदि योगासन करने से पाचन संबंधी विकार दूर होते हैं और पाचन तंत्र मजबूत होता है.

दादी-नानी के नुस्खे

दैनिक जीवन में लोग कई छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करते हैं और इलाज के तौर पर एलोपैथिक दवाएं लेते हैं. इसका साइड इफेक्ट भी हो सकता है, जबकि बुजुर्गों के बताये कई नुस्खे हैं, जो सदियों से आजमाये जा रहे हैं और बेहद प्रभावी भी हैं. जानिए कुछ उपाय.

कान दर्द सताये, तो धीमी आंच पर नमक को भूरा होने तक भूने. फिर इसे रुमाल में लपेटकर कान के उस हिस्से पर रखें, जहां दर्द हो रहा हो. दर्द दूर होगा.

तलवे में गांठ (फूट कॉर्न) को दूर करने के लिए हल्दी और शहद को मिलाकर पेस्ट बना लें. इसे सख्त हो चुके हिस्से पर रगड़ें और सूखने के लिए छोड़ दें. ऐसा रोज करने से समस्या दूर होगी.

नीबू के रस में लौंग का तेल या लौंग मिलाकर कुछ देर छोड़ दें. इससे तलवे के गांठ पर मालिश करने से भी छुटकारा मिलेगा.

बेकिंग सोडा डेड स्किन को हटाने में उपयोगी है. एक बड़े पतीले में गर्म पानी लेकर थोड़ा सोडा मिलाएं. 15-20 मिनट पांव को पानी में रखें और फिर धो लें. एक सप्ताह में फर्क दिखेगा.

कुछ घरेलू उपाय

अदरक की चाय फूड प्वॉयजनिंग में आराम पहुंचाती है. जबकि भीगने के बाद कॉफी या फिर सूप वगैरह पीने से आराम मिलेगा.

कुनकुने पानी में नीबू का रस डालकर पीएं. इससे डाइजेस्टिव सिस्टम सही हो जायेगा.

भोजन में अदरक, लहसुन, जीरा, हल्दी और धनिया की मात्रा बढ़ा दें. ये अपच की समस्या को कम करते हैं और इम्यून को बल देते हैं.

नीम के पानी से नहाएं. इससे फंगल इन्फेक्शन और स्किन रैशेज में आराम मिलेगा.

किचन के प्लेटफॉर्म को कॉटन के कपड़े को सिरके में भिगोकर साफ करें. इससे चीटियां नहीं होंगी.

घर के अंदर और आसपास गंदगी न होने दें
अपने घर के अंदर ही नहीं, अास-पास भी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें. आस-पास पानी और कूड़ा-कचरा न जमा होने दें. इससे रोगाणुओं के पनपने की आशंका बढ़ जाती है. घर में कहीं कोई पाइप लीक हो रही हो, तो उसे ठीक करा लें, नहीं तो घर में सीलन हो जायेगी. बारिश में कीड़े-मकोड़े और कॉककोच भी बहुत पनपते हैं. इससे बचने के लिए किचन के कोनों में कीड़े मारनेवाली दवाई का छिड़काव करें. जूतों को घर के बाहर उतारें, ताकि रोगाणु घर में न आएं. अगर बुखार, सिरदर्द, बदन-दर्द व इसी तरह की अन्य समस्याएं बरकरार रहें और सांस फूलने की समस्या हो, तो डॉक्टर से परामर्श लें. एंटीबायोटिक दवाओं को सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही लें.

डॉ वीके गौतम

एमडी (मेडिसिन), गौतम हॉस्पिटल, गाजियाबाद

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