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प्रभात खबर से विशेष बातचीत में जदयू के आरसीपी सिंह ने कहा, सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में आया है बड़ा बदलाव
जदयू के राष्ट्रीय संगठन महासचिव आरसीपी सिंह से विशेष संवाददाता मिथिलेश की बातचीत Q पिछले चार सालों में बिहार और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में कितना बदलाव आया है? पिछले सालों में विकास और सामाजिक बदलाव में बिहार ने कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं और ग्रामीण एवं शहरी, दोनों क्षेत्रों में इनका प्रभाव साफ-साफ देखा जा […]
जदयू के राष्ट्रीय संगठन महासचिव आरसीपी सिंह से विशेष संवाददाता मिथिलेश की बातचीत
Q पिछले चार सालों में बिहार और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में कितना बदलाव आया है?
पिछले सालों में विकास और सामाजिक बदलाव में बिहार ने कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं और ग्रामीण एवं शहरी, दोनों क्षेत्रों में इनका प्रभाव साफ-साफ देखा जा सकता है. सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में बड़े बदलाव का केंद्र गांव रहे हैं. इस कड़ी में शराबबंदी को भी ले लें. इसके प्रभाव को लोग महसूस करने लगे हैं. 27 महीनों में शराब पर खर्च होने वाले पैसे शिक्षा पर खर्च हो रहे है़ं जीवन स्तर में बदलाव आया है़ गांवों में सब्जी की दुकानें और सब्जी खाने वालों की संख्या बढ़ी है.
ग्रामीण इलाकों के कम आय वाले लोग भी बच्चों को प्राइवेट में ट्यूशन पढ़वा रहे हैं. गांवों में चले जाइए, जहां बिजली नहीं पहुंची थी, वहां बिजली पहुंचायी गयी है और जहां बिजली के तार पहुंचे थे, वहां अब रात-रात भर बिजली रहती है. पहले लोग पूछते थे कि बिजली कब आयेगी? आज लोगों के पास यह सवाल नहीं रह गया है. कृषि उत्पादन में बड़ा बदलाव आया है. हम अब मूंग की भी खेती करने लगे हैं. बिजली की उपलब्धता से सिंचाई की समस्या हल हुई है. किसानों की आर्थिक हालत में सुधार आया है.
Q बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को पूरा करने की दिशा में कितनी प्रगति हुई है?
बिहार को विशेष दर्जा हमारा हक है. यह जरूरी भी है. पिछले 10-12 सालों में राज्य का ग्रोथ रेट दूसरे राज्यों से सबसे अधिक रहा है, लेकिन यह बरकरार तभी रह पायेगा, जब यहां निवेश होगा़ बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों ने इस मांग को लेकर प्रस्ताव पारित किया है़ जदयू ने एक करोड़ 18 लाख लोगों के दस्तखत का ज्ञापन प्रधानमंत्री को सौंपा है.
इंटर मिनिस्ट्रीयल ग्रुप बना. रघुराम राजन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी़ रिपोर्ट में कहा गया कि बिहार को विशेष सुविधा मिलनी चाहिए. देश की प्रति व्यक्ति आय 1.10 लाख रुपये है. बिहार की मात्र 38 हजार रुपये. शहरीकरण का राष्ट्रीय औसत तीस प्रतिशत है, जबकि बिहार का मात्र 11 प्रतिशत है़ 2014 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश को विभाजित कर उसे विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने का आश्वासन दिया़ कांग्रेस दोहरी नीति चल रही है़ जब आप आंध्र को दे सकते हैं, तो बिहार को क्यों नहीं?
Q फिर दिक्कत कहां आ रही है?
देखिए,14वें वित्त आयोग ने देश में किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने के प्रावधान को समाप्त कर दिया, लेकिन हमलोगों का कहना है कि 15वें वित्त आयोग में इसे री-विजिट किया जा सकता है़
आंध्र प्रदेश की प्रति व्यक्ति आमदनी 1.42 लाख रुपये है, जबकि बिहार में मात्र 38 हजार रुपये़ इसलिए आंध्र प्रदेश को लेकर केंद्र सरकार जब कभी विचार करेगी, उसी तारीख से बिहार को भी विशेष राज्य का दर्जा देना पड़ेगा़ बिहार को निवेश चाहिए. यदि यह खिड़की बंद है, तो दूसरी खिड़की खोलनी होगी़ रास्ता जो भी हो, निकालना तो पड़ेगा. 14 वें वित्त आयोग के पहले से बिहार को विशेष सहायता मिलती रही है़ हमें वह मदद आज भी चाहिए. बिहार पुनर्गठन एक्ट में इसकी चर्चा है़ बिहार का जो आर्थिक बेस है, उसमें विशेष सहायता की जरूरत है़ केंद्र जिस भी खिड़की से दे, हमें दीजिए.
Q महिला सशक्तीकरण की दिशा में क्या बदलाव दिख रहा?
अभी हम खगड़िया के दौरे पर थे़ रास्ते में महिलाओं ने मुझे रोका़ उनकी शिकायत थी कि उनके गांव में मिडिल स्कूल को हाइस्कूल के रूप में उत्क्रमित करने की घोषणा की गयी थी, लेकिन इस पर अब तक अमल नहीं हो पाया है़
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण इलाकों में भी किस प्रकार शिक्षा को लेकर ललक जगी है़ शेखपुरा में देवले गांव की महिलाओं की भी यही मांग थी़ बेगूसराय में हमने देखा, मोटरसाइकिल पर आगे दारोगा बैठा था और पीछे गश्त में हथियार टांगे महिला जवान बैठी थी़ पहले आप यह सोच भी नहीं सकते़
Q लोकसभा चुनाव सिर पर है़ जदयू इसके लिए कितना तैयार है?
लोकसभा चुनाव के लिए हम पूरी तरह तैयार है़ पार्टी ने पिछले दिसंबर महीने में 21 दिनों तक करीब 25 हजार कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया है़
पार्टी की नीति क्या है, सिद्धांत क्या है, सरकार की प्राथमिकताएं और उपलब्धियां क्या हैं, इन सबके बारे में उन्हें जानकारी दी गयी़ हमारे 51 जिला संगठन हैं. उन सभी जगहों पर और सभी 534 प्रखंडों में कार्यक्रम आयोजित कर प्रशिक्षण प्राप्त कार्यकर्ताओं ने लोगों को पार्टी और सरकार की नीतियों की जानकारी दी़
चुनाव प्रबंधन के लिए बूथ मैनेजमेंट के बारे में भी हम बात कर रहे हैं. पार्टी की नियमित बैठकें हो रही हैं. जदयू के 30 संगठन प्रकोष्ठ हैं, इन सभी की नियमित बैठकें होती हैं. राज्य की जनता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ट्रस्ट किया है़ मुख्यमंत्री ने उसे कर दिखाया है़
Q पार्टी का एजेंडा क्या होगा?
संकल्प है बिहार को विकसित प्रदेश की श्रेणी में लाने का़ नीतीश कुमार संकल्प के साथ काम कर रहे हैं. यही फर्क है नीतीश कुमार और दूसरों में. दूसरे लोग सुविधा और स्वार्थ के लिए काम करते रहे हैं. सरकार ने सभी वर्ग और समाज के विकास के लिए काम किया है़ अत्यंत पिछड़ी जाति, अल्पसंख्यक और गरीब सवर्णों के विकास के लिए बड़े काम किये गये हैं. स्थानीय निकायों में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण देकर लोकतंत्र को निचले स्तर पर मजबूत किया. सबकी भागीदारी बढ़ी है़
पहले ऐसा नहीं था़ तीन चुनाव हुए हैं, इबीसी तबके ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है़ कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ा छात्रावास और आंबेडकर छात्रावासों में रह रहे छात्र-छात्राओं को एक हजार रुपये और पंद्रह किलो गेहूं देने की व्यवस्था की गयी है. सबको पढ़ने के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, पहली से 12वीं कक्षा तक के लिए छात्रवृत्ति का प्रबंध किया गया है़ जो नहीं पढ़ना चाहते हैं, उनके लिए कौशल विकास की योजनाएं लागू की गयी हैं. बेरोजगारी भत्ता के तौर पर हजार रुपये दिये जा रहे हैं. इस तरह से पूरे प्रदेश में शिक्षा को लेकर नया माहौल बन गया है़
Q प्रशासनिक कामकाज में कितना बदलाव आया है़
बारह सालों में नरेटिव बदल गया है, ग्रामीण इलाकों में. सरकार के काम से लोकशाही मजबूत हुई है़ 17 करोड़ लोगों ने बिहार राइट टू पब्लिक सर्विस एक्ट का लाभ उठाया है़ जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र आदि के लिए लोगों को दो हजार रुपये तक रिश्वत देने पड़ते थे़. अब 17 करोड़ को दो हजार से गुणा कर देख लें, कितने पैसे भ्रष्टाचार से बचा लिये गये़ इसी प्रकार 2016 में लागू राइट टू पब्लिक ग्रिवांस रिड्रेसल एक्ट के तहत तीन लाख से अधिक आवेदन आये़ इनमें 89 प्रतिशत आवेदन निबटाये गये. अब शिकायतों को लेकर कहीं जाने की जरूरत नहीं. कितने प्रदेश हैं, जहां लोकायुक्त काम कर रहा है? अभी राज्यसभा में बहस चल रही थी़ हमने कहा, बिहार में लोकायुक्त काम कर रहा है़ इसके चयन में मुख्यमंत्री की कोई भूमिका नहीं होती़
Q आप पूरे बिहार का दौरा कर रहे हैं, इबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) का मन मिजाज कैसा दिख रहा है?
सरकार की योजनाओं का लाभ इबीसी तबके को मिल रहा है और मिलेगा़ नीतीश कुमार ने न्यायिक सेवा में भी आरक्षण की व्यवस्था की है और अब इबीसी के लोग न्यायिक सेवा में आ रहे हैं. यूपीएससी और बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षाओं को पास करने पर एक लाख और आगे की तैयारी के लिए पचास हजार रुपये दिये जायेंगे़ इस फैसले से अत्यंत पिछड़ी जाति समेत अनुसूचित जाति, जन जाति और पिछड़े तबके को लाभ मिलेगा़ केंद्र सरकार में भी आरक्षण का कर्पूरी फार्मूला लागू होने वाला है़ सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि जब केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण का कर्पूरी फार्मूला लागू हो, तो बिहार के लोग उसमें पीछे नहीं रहे़ं बिहार पहला राज्य है जहां अत्यंत पिछड़ी जाति आयोग का गठन किया गया़
Q जदयू की ताकत क्या है़? दूसरी पार्टियां कमजोर संगठन वाला दल मानती रही है़ं
हमारी पार्टी की ताकत बिहार में किसी से भी कम नहीं है़ हमारा फोकस एरिया ए-टू-जेड समीकरण में है़, जिसमें एम-वाय (मुसलिम-यादव) भी शामिल हैं. हमारा ‘नारा दो बनाम 26’ है़ हम सबको जोड़ कर चल रहे हैं. हमारे रोड शो में जिस प्रकार भीड़ उमड़ रही है, लोगों का रिस्पांस मिल रहा है, उससे यह साबित होता है कि नीतीश कुमार की सरकार ने पिछले 12 साल में जो काम किया है, उसका लाभ लोगों को मिल रहा है़ हम जिसके साथ रहे, ताकत उसकी बढी़
Q भाजपा के साथ आने पर सांप्रदायिकता का साथ देने का आरोप लग रहा है.
पहले की सरकार में अल्पसंख्यक विभाग का बजट 3.75 करोड़ का था़ नीतीश कुमार की सरकार में इस विभाग का बजट 875 करोड़ का है़ मुख्यमंत्री ने कब्रिस्तानों की घेराबंदी के लिए धन की कमी नहीं होने देने की घोषणा कर रखी है़ मदरसा शिक्षकों को पहले वेतन के नाम पर दो से तीन हजार रुपये दिये जाते थे़ अब उन्हें चालीस हजार रुपये से अधिक मिल रहे हैं. जिसने कुछ नहीं किया, वे सेकुलर बन रहे हैं और जदयू पर आरोप लग रहे. भागलपुर दंगे के बारे में सब को पता है़ केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी़ नीतीश कुमार की सरकार बनी, तो जस्टिस एनएन सिंह आयोग का गठन किया गया और जो दोषी लोग छूट गये थे, सबको कानून के शिकंजे में लाया गया़ जिन लोगों ने अल्पसंख्यकों की जमीन हड़पी थी, उसे वापस दिलाया गया़
Q भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पिछले महीने पटना आये थे़ सीएम ने भी कहा कि एक महीने में सीट शेयरिंग का काम हो जायेगा़ क्या प्रगति है़
एनडीए में चार पार्टियां हैं- जदयू, लोजपा, रालोसपा और भाजपा़ हमलोग आशान्वित हैं. जितने भी घटक दल हैं, आपसी समन्वय से सीटों का मामला सुलझ जायेगा़ लक्ष्य जीत है, वह हासिल होकर रहेगा़ बिहार में नीतीश कुमार ने जो विकास का काम किया है, उसका लाभ एनडीए को मिलेगा़ केंद्र में अगली सरकार एनडीए की बनेगी, तो हम भी ताकतवर होंगे़ समय रहते सीट का मामला सुलझ जायेगा़
Q लोकसभा चुनाव में जदयू और भाजपा साथ-साथ होंगे?
बिल्कुल़ हम भाजपा के साथ ही है़ं देखिए, जदयू जानता है कि 2009, 2014 और 2019 में बहुत फर्क है़ हम अपेक्षा करते हैं कि हमारा भी सम्मान हो़ अपर और लोअर हैंड का सवाल नहीं है़ जबर्दस्ती की बात नहीं है़ म्यूचुअल सहमति से ही सीटों का तालमेल होगा और अच्छे से होगा़ हमलोग महागठबंधन से भ्रष्टाचार के मामले को लेकर अलग हुए, तो फिर उसके साथ कैसे जा सकते हैं? नीतीश कुमार की अपनी पहचान है़ वे कोई समझौता नहीं करेंगे, उनके काम की ताकत ही जदयू की ताकत है़
Q देश में आज समाजवादी आंदोलन की रफ्तार सुस्त पड़ चुकी है़ हिंदी पट्टी हो या दक्षिण का इलाका, नीतीश कुमार ही उम्मीदों के नेता दिख रहे हैं?
यह सच है कि नीतीश कुमार महात्मा गांधी, डॉ लोहिया और जय प्रकाश के आदर्शों पर चलने वाले व्यक्ति रहे हैं. गांधी की सोच को नीतीश कुमार ने जमीन पर उतारा. महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया़ लोकशाही मजबूत हो रही है़ जेपी भ्रष्टाचार के विरोधी थे़ नीतीश कुमार ने जो किया, वह सामने है़ हमारी पार्टी का विस्तार दूसरे प्रदेशों में भी हो रहा है़ समाजवादी धारा के लोग हमारे साथ जुड़ रहे हैं. हमारा लक्ष्य राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाना है़ नीतीश कुमार का चेहरा, सुशासन की बात और शराबबंदी जैसी सामाजिक सरोकार की बात हमारी पार्टी कर रही है़ छत्तीसगढ़ से लोग आये थे़ हम सभी प्रदेशों में नये सिरे से अपनी पार्टी को खड़ा कर रहे हैं. जहां मजबूत होंगे, वहां लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार भी देंगे़
Q विपक्ष एकजुट हो रहा. क्या यह जदयू के लिए चिंता का कारण है?
लोकतंत्र में विपक्ष का होना और मजबूत होना जरूरी है, पर बिहार में विपक्ष नीतीश कुमार को सत्ता से हटा कर परिवारवाद लाना चाहता है़ विपक्ष को एकजुट होने के लिए एजेंडा चाहिए. बिहार में क्या एजेंडा है? नीतीश कुमार को हटाएं, यही ना? कांग्रेस में पांचवीं पीढ़ी के छठे नेता मैदान में है़ं राजद में कोई भी कार्यकर्ता व नेता का स्थान पहले-दूसरे-तीसरे स्थान पर नहीं, बल्कि 22 वें स्थान पर मिलेगा़ परिवार से बाहर निकलने के बाद ही कार्यकर्ताओं का नंबर आयेगा़ पूरा विपक्ष परिवारवाद में लिपटा है़
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