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प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने कहा, GDP बढ़ाने के लिए मूल्यांकन का तरीका बदला गया

मौजूदा सरकार के कार्यकाल को कांग्रेस जुमले और झूठ पर केंद्रित सरकार बताती है. नोटबंदी और जीएसटी को आम लोगों और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाला फैसला करार देती हुई रोजगार और कृषि मामलों पर इसे पूरी तरह असफल मानती है. हरियाणा के कैथल से कांग्रेस के विधायक और पार्टी के मीडिया प्रमुख […]

मौजूदा सरकार के कार्यकाल को कांग्रेस जुमले और झूठ पर केंद्रित सरकार बताती है. नोटबंदी और जीएसटी को आम लोगों और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाला फैसला करार देती हुई रोजगार और कृषि मामलों पर इसे पूरी तरह असफल मानती है.
हरियाणा के कैथल से कांग्रेस के विधायक और पार्टी के मीडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने 2019 के चुनाव में कांग्रेस के एजेंडे, विपक्षी दलों के साथ तालमेल, कांग्रेस के सिकुड़ते जनाधार और मौजूदा राजनीतिक हालात पर प्रभात खबर संवाददाता विनय तिवारी से बातचीत की. प्रस्तुत है प्रमुख अंश :
Qमोदी सरकार के चार साल के कामकाज का आंकलन कैसे करते हैं?
केवल झांसे, झूठे वादों का खेल और प्रधानमंत्री फेल, इन शब्दों में प्रधानमंत्री मोदी के 49 महीनों के कार्यकाल का सारांश पढ़ सकते हैं. सच्चाई यह है कि जुमले और झूठ केवल ये दो चीजें प्रधानमंत्री मोदी के संपूर्ण कार्यकाल को प्रतिबिंबित करते हैं.
Qसरकार का कहना है कि उसे विरासत में खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली थी. बैंकों का बढ़ता एनपीए यूपीए सरकार की गलत नीतियों की देन है. इज ऑफ डुइंग बिजनेस रैकिंग में भारत की स्थिति सुधरी है. फिर कांग्रेस कैसे आरोप लगा सकती है कि भारतीय अर्थव्यस्था के लिए अच्छे दिन नहीं आये हैं?
प्रधानमंत्री केवल झूठ पर झूठ बोलते है. जीडीपी को बढ़ाने के लिए आंकड़ों के मूल्यांकन का तरीका ही बदल दिया. पुराने मूल्यांकन के आधार पर आजतक जीडीपी के पुराने आंकड़े 49 महीने में जारी नहीं किये गये. नये मूल्यांकन के आधार पर भी चार साल में जीडीपी सबसे कम स्तर पर 5.7 फीसदी है. प्रधानमंत्री को उनके सलाहकार सही बात नहीं बताते. इसलिए आये दिने वे गलत तथ्य पेश कर जनता को गुमराह करने की कोशिश करते हैं. यूपीए सरकार के समय निर्यात 19 लाख करोड़ से घटकर मौजूदा सरकार में 10 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है.
कोर सेक्टर मैन्युफक्चरिंग सबसे निचले पायदान पर है. डॉलर के मुकाबले रुपये नीचे जा रहा है, जिसे लेकर प्रधानमंत्री मोदी डॉक्टर मनमोहन सिंह का मजाक उड़ाते थे. आज एक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 69 है. वादा था इसे 40 रुपये तक लाने का. महंगाई चरम पर है. ग्रॉस फिक्सड कैपिटल फार्मेशन जो अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा मानक है, वह गिरकर 28 फीसदी हो गया है.
आयात दिन-ब-दिन बढ़ रहा है. बैंको का एनपीए, जो यूपीए के समय मार्च 2014 में 2.63 लाख करोड़ था, वह बढ़कर लगभग 10.30 लाख करोड़ रुपये हो गया है. बैंक धोखाधड़ी पिछले एक साल में 62 हजार करोड़ रुपये की हो चुकी है. बैंको में लोगों का जमा पैसे खतरे में हैं.
पहली बार लोगों को बैंको में पैसा जमा करने और निकालने पर टैक्स देना पड़ रहा है. देश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. आज के आंकड़े बताते हैं कि बैंकों में लोगों द्वारा रखी जाने वाली पूंजी कम हुई है, क्योंकि लोगों का भरोसा बैंकिग व्यवस्था में कम हो गया है. ऐसे में मोदी सरकार अच्छे दिन का वादा कैसे साबित करेगी. अब जनता कहने लगी है कि छोड़ दीजिए मोदी के झूठे अच्छे दिन, लौटा दीजिए हमारे सच्चे दिन.
Qसरकार का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती आयी है. हाल में जीडीपी के आंकड़ों से इसकी पुष्टि होती है. फिर क्या कारण है कि कांग्रेस लगातार इसका विरोध करती रही है?
नोटबंदी से अर्थवस्था को 3.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. सरकार के आंकड़े बता रहे हैं कि पहले दो महीने में ही 25 लाख नौकरी चली गयी. छोटे- उद्योगपतियों-करोबारियों के धंधे लगभग 50 फीसदी मंदा हो गये.
आम कारोबारी की यह शिकायत है. धंधा मंदा, व्यापार चौपट और बड़े उद्योगपतियों की मौज, यही नोटबंदी का असली नतीजा निकला. काला धनधारक तो पैसा लूट कर चले गये. जीएसटी एक सरल टैक्स होना था, वह गब्बर सिंह टैक्स हो गया. जीएसटी में 1.11 करोड़ संस्थाएं पंजीकृत हुईं और इनमें से आधे टैक्स नहीं चुका रही हैं.
सरकार यह नहीं बता रही है कि उसकी महीने की कुल जीएसटी कलेक्शन कितनी है? अगर किसी उद्योगपति या व्यापारी को जीएसटी जमा करवाना है, तो उसे 382 पेज की किताब पढ़नी होगी और इसमें 11 हजार एंट्री से टैक्स निकालना होगा. ऐसा करना संभव नहीं है. आजतक जीएसटी आर-वन फार्म लागू नहीं किया गया. जीएसी आर-2 और 3 लागू ही नहीं कर पायी जीएसटी आर-3-बी गैर कानूनी है.
जीएसटी में कहा गया कि छूट की सीमा 20 लाख रुपये है, लेकिन 20 लाख तक की वस्तु बेचने वाले व्यक्ति से अगर किसी वस्तु पर जीएसटी लगेगी तो उसे छूट नहीं मिलेगी. यह काफी जटिल और मुश्किल है. 37 फार्म भरने होते हैं और इसके सात स्लैब है. सरकार वन नेशन वन टैक्स की बात कहती है.
Qदेश में कई राज्यों में किसान कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं. 2008 में यूपीए सरकार ने किसानों की कर्जमाफी की थी, लेकिन कृषि को लेकर संकट जस-का-तस बना हुआ है. मोदी सरकार ने हाल में खरीफ फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का 50 फीसदी अधिक देने की घोषणा की है. केंद्र सरकार के इस फैसले पर आपकी क्या राय है?
मोदी सरकार में किसान और भूमिवहीन पिस है. कारण कई हैं. हर 24 घंटे में 42 किसान आत्महत्या कर रहे हैं. जिस देश में हर घंटे दो किसान आत्महत्या कर रहा है, उसके प्रधानमंत्री को नींद कैसे आ सकती है? कांग्रेस ने एकमुश्त 72 हजार करोड़ कर्जमाफी कर किसानों को राहत दी थी.
भले ही वह अंतरिम राहत ही क्यों न हो, इससे राहत मिली. मोदी और जेटली ने कहा कि भूमिहीन किसानों की कर्जमाफी उनकी जिम्मेवारी नहीं है. सरकार ने संसद में कहा है कि 12 उद्योगपतियों की 2.82 लाख करोड़ कर्जमाफी हुई है. फिर इस देश के 62 करोड़ किसानों का दो लाख करोड़ माफ क्यों नहीं हो सकता है? न्यूनतम समर्थन मूल्य के नाम पर सरकार चुनावी लॉलीपाप बांट रही है. वादा था लागत मूल्य पर 50 फीसदी मुनाफा देने का. एक भी ऐसी फसल नहीं है जिस पर लागत मूल्य का 50 फीसदी मुनाफा दिया गया है. कांग्रेस के 10 साल के कार्यकाल में फसलों की कीमत लगभग 48 फीसदी बढ़ी है और मोदी सरकार में यह 28 फीसदी बढ़ी है. इसमें घोषित कई फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य आने वाली सरकार को देना है. यह ऐसी पहली सरकार है, जिसने कृषि पर टैक्स लगाया है. खाद पर पांच फीसदी, कीटनाशक पर 18 फीसदी, ट्रैक्टर के उपकरणों पर 12 फीसदी जीएसटी लगाया है. मोदी सरकार के दौरान डीजल के कीमत में 11 रुपये बढ़ी है. खाद,बीज और अन्य उत्पादों की कीमत बढ़ी है. क्या न्यूनतम समर्थन मूल्य में इन कारणों को शामिल किया गया है? प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जुमला बन गयी है और यह निजी बीमा कंपनी का मुनाफा योजना बन गयी है. 2016-17 में कंपनियों को 14 हजार मिला और किसानों को सिर्फ 5600 करोड़ रुपये.
Qविपक्ष रोजगार के मोर्चे पर लगातार सरकार को घेरता रहा है, लेकिन सरकार का कहना है कि मुद्रा योजना, स्टैंड अप और स्टार्ट अप जैसी योजनाओं से करोड़ो रोजगार पैदा हुए है और विपक्ष भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है. इस बारे में क्या कहेंगे?
प्रधानमंत्री के रोजगार का फार्मूला है पकौड़ा बेचना, फिर पान बेचना और अब सरकार खेल में सट्टेबाजी और जुआ को वैध कर रोजगार पैदा करने की बात कर रही है. यह रोजगार को लेकर सरकार की सोच है. नेशनल लेबर ब्यूरो के 2015 के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 7.15 लाख युवाओं को रोजगार मिला, जबकि वादा हर साल दो करोड़ रोजगार देने का किया गया था. वर्ष 2016 के बाद के आंकड़े लेबर ब्यूरो ने जारी ही नहीं किया है. सरकार आंकड़ों को छिपाकर सच को नहीं दबा सकती है. रोजगार के हालात का पता लगाना है, तो जमीनी स्तर पर जा कर पता करें. पकौड़ा बेचना, जुआ और सट्टेबाजी रोजगार कतई नहीं हो सकता है.
Qकांग्रेस 2019 में भाजपा को रोकने के लिए विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है. भाजपा का कहना है कि विपक्ष के पास मोदी को हटाने के अलावा कोई एजेंडा नहीं है. क्या कांग्रेस सिर्फ मोदी विरोध को अपनी जीत का आधार मान रही है?
भाजपा को हटाना राष्ट्र निर्माण की पहली जरूरत है और कांग्रेस इससे असहमत नहीं है. मोदी का विपक्ष किसान, नौजवान और व्यापारी हैं. देश का साधारण नागरिक सामाजिक समन्वय के आधार पर विकास चाहता है, नफरत और बंटवारे के आधार पर नहीं. पूरा देश मोदी का विपक्ष है और उन्हें इसका सामना करना पड़ेगा.
Qकई विपक्षी नेता कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में अगर 2019 में कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन को बहुमत मिलता है तो इसकी अगुवाई कौन करेगा?
कांग्रेस इस देश का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है. कश्मीर से कन्याकुमारी और मिजोरम से लेकर पाेरबंदर तक पार्टी हर गांव और शहर में है. कहीं चुनाव हार जाते है, कहीं काफी ताकतवर है, तो कहीं कमजोर, लेकिन हर जगह पार्टी मौजूद है. कांग्रेस इस देश के विचारधारा के कण-कण में है. कांग्रेस जब सबसे बड़े राजनीतिक दल के तौर पर उभरेगी जैसा 2004 में हुआ था, तो स्वाभाविक तौर पर कांग्रेस इसका नेतृत्व करेगी और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री होंगे. कांग्रेस का जन-जन से नाता है और सरकार चलाना आता है. कांग्रेस के पास काबिल लोगों की कमी नहीं है और सरकार चलाने के हर पहलू के बारे में जानकारी है.
Q कांग्रेस बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और प्रमुख राज्यों में हाशिये पर पहुंच गयी है. ऐसे में क्या क्षेत्रीय दलों के भरोसे ही कांग्रेस इन राज्यों में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश करती रहेगी?
यह सच है कि कांग्रेस तीन दशकों से इन राज्यों में कमजोर हुई है. पार्टी आने वाले समय में मजबूत होने की कोशिश करेगी. सवाल है कि 2019 में क्या होगा? मौजूदा समय में क्षेत्रीय दल प्रभावी हैं और राष्ट्र निर्माण के लिए बिहार में राजद, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी व बसपा के साथ बात करेंगे और मिलकर चुनाव लड़ेंगे.

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