अच्छी सेहत के लिए बदलते रहें कुकिंग ऑयल

डॉ गौरव जैन सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली आज बाजार में कई तरह के तेल उपलब्ध हैं. ऐसे में लोग अपने कुकिंग ऑयल को लेकर थोड़े कंफ्यूज रहते हैं. विज्ञापन इस उलझन को और बढ़ा देते हैं, क्योंकि हर तेल सबसे बेहतर होने का दावा करता है. ऊपर से खाद्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2018 8:45 AM
डॉ गौरव जैन
सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली
आज बाजार में कई तरह के तेल उपलब्ध हैं. ऐसे में लोग अपने कुकिंग ऑयल को लेकर थोड़े कंफ्यूज रहते हैं. विज्ञापन इस उलझन को और बढ़ा देते हैं, क्योंकि हर तेल सबसे बेहतर होने का दावा करता है. ऊपर से खाद्य तेल के बारे में इतनी नकारात्मक बातें प्रचलित हैं कि कुछ लोग तो जीरो ऑयल को प्राथमिकता देते हैं.
सही है कि तेल का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, लेकिन बिल्कुल नहीं करना चाहिए, ऐसा नहीं है. खाद्य तेल हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं. तेल रक्त नलिकाओं में रक्त प्रवाह को आसान बनाते हैं और उनमें प्लॉक जमने से रोकते हैं. इनमें ओमेगा 3 ओर ओमेगा 6 होते हैं, जिससे खाना आसानी से पचता है. यह त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद है. आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से बचाव करते हैं.
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, हमें ऐसे तेल का सेवन करना चाहिए जिसमें सैचुरेटेड, मोनो सैचुरेटेड और पॉली सैचुरेटेड वसा समान मात्रा में हों. लेकिन कोई भी तेल ऐसा नहीं, जिसमें सभी जरूरी फैटी एसिड्स संतुलित अनुपात में हों. ऐसे में एक ही तरीका है कि हमेशा एक ही तेल का सेवन न करें, हर थोड़े दिन में अपना कुकिंग ऑयल बदल लें. अगर कुछ बातों को छोड़ दें, तो हर तेल में कुछ औषधीय गुण होते हैं, इसलिए तेल का चुनाव करते समय शरीर की जरूरतों का ध्यान रखें.
क्या कहती है रिसर्च : लोग एक तेल चुन लेते हैं, फिर हमेशा उसी का इस्तेमाल करते रहते हैं. यह ट्रेंड इसलिए भी था कि पहले अधिक विकल्प नहीं थे. लेकिन अब कई तरह के ऑयल उपलब्ध हैं.
इनमें विभिन्न प्रकार की वसा, पॉली सैचुरेटेड फैट (पुफा), मोनो-सैचुरेटेड फैट (मुफा) और सैचुरेटेड वसा अलग-अलग मात्रा में होती हैं. पुफा और मुफा लाभदायक होती हैं, जबकि सैचुरेटेड वसा हानिकारक होती है. ये अत्यावश्यक वसाएं हैं, जिनका निर्माण हमारे शरीर में नहीं होता. कोई भी तेल ऐसा नहीं, जिसमें सभी अत्यावश्यक फैटी एसिड्स संतुलित अनुपात में हों. सबसे हेल्दी तेल में भी थोड़ी मात्रा में सही सैचुरेटेड वसा होती है. इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय है कि हमें नियमित रूप से तेल बदल-बदल कर इस्तेमाल करना चाहिए. हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन में हाल में हुए अनुसंधान के अनुसार, हर तीन महीने में तेल बदलना अच्छा है.
आपके किचन में 2-3 खाद्य तेल मौजूद होना चाहिए, जिनका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के अनुसार कर सकें, क्योंकि हर तेल का स्मोकिंग प्वाइंट या तापमान जिस पर वह ब्रेक डाउन होता है, अलग-अलग होता है. इसी तापमान पर उसका फ्लेवर और न्यूट्रीटिव वैल्यू भी कम हो जाता है. दरअसल, जब किसी भी वसा को गर्म करते हैं, तो यह फ्री फैटी एसिड्स और ग्लिसरॉल में टूट जाता है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, ग्लिसरॉल और टूट जाता है तथा एक एक्रिड रसायन एक्रोलीन बना लेता है, जो बेहद टॉक्सिक है. इसलिए बहुत जरूरी है कि पकाने के तरीके जैसे डीप फ्राइ, स्टर फ्राइंग, बेकिंग आदि के अनुसार सही तेल चुनें.
विभिन्न प्रकार के तेल
सन फ्लॉवर ऑयल : इसमें सैचुरेटेड वसा की मात्रा कम (11%) तथा पूफा (68%) और मूफा (21%) की मात्रा अधिक होती है. विटामिन ई भी होता है. स्मोकिंग प्वाइंट भी काफी अधिक होता है, लगभग 460 डिग्री, इसलिए पकाने के साथ डीप फ्राइंग के लिए सही है.
सोयाबीन तेल : इसमें पुफा और ओमेगा 6 अच्छी मात्रा में होते हैं. तुलनात्मक रूप से मुफा की मात्रा कम होती है. हालांकि, पुफा की मात्रा अधिक होने के कारण यह डीप फ्राइंग के लिए ठीक नहीं और अधिक तापमान पर ऑक्सीडाइज्ड हो जाता है.
मूंगफली तेल : इसमें मुफा और पुफा संतुलित मात्रा में होते हैं. उच्च ताप जैसे- डीप फ्राइंग में भी इसकी स्टैबिलिटी काफी अच्छी होती है.
जैतून तेल : यह हृदय के लिए अच्छा है, लेकिन अधिक तापमान पर कुकिंग के लिए प्रयोग न करें. चावल पकाने या सलाद की ड्रेसिंग के लिए सही.
राइस ब्रॉन ऑयल : वह तेल सबसे अच्छा माना जाता है, जिसमें सैचुरेटेड, मोनो सैचुरेटेड और पॉली सैचुरेटेड वसा समान मात्रा में हों. राइस ब्रॉन इसके करीब है. इसमें ओमेगा 3 फैट्स और नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट्स अच्छी मात्रा में होते हैं.
कनोला तेल : यह सबसे स्वस्थ तेलों में से है, क्योंकि इसमें सैचुरेटेड फैट बेहद कम मात्रा में केवल 7% होता है, जबकि मुफा 58% होता है और थोड़ी मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड भी होता है. हृदय रोगियों के लिए यह अच्छा है. मध्यम आंच पर तलने के लिए उपयोग किया जा सकता है.
सरसों तेल : इसमें मुफा और पुफा की अच्छी मात्रा होती है. ओमेगा 6 और ओमेगा 3 सही अनुपात में होता है. यह शूगर को नियंत्रित करता है, इसलिए डायबिटीज मरीजों को सेवन करना चाहिए. यह रक्तचाप को नियंत्रित रखता है, इसलिए हाइपरटेंशन रोगी भी इसे खा सकते हैं.
नारियल तेल : इसमें सैचुरेटेड फैट होता है, लेकिन कोलेस्ट्रॉल नहीं होता. कार्डियोलॉजिस्ट की राय में दिल के मरीजों को नारियल तेल से परहेज करना चाहिए. लेकिन जो बार-बार बीमार पड़ते हैं, उन्हें यह तेल सेवन करना चाहिए. यह इम्यून सिस्टम मजबूत करता है. डीप फ्राइ के लिए उपयुक्त नहीं.
मैं हाउसवाइफ हूं. पूरे परिवार के लिए रोज मुझे कितना तेल इस्तेमाल करना चाहिए?
सामान्यत: व्यस्कों के लिए रोजाना के खाने में 20 ग्राम यानी चार चम्मच तेल आदर्श स्थिति है. मगर मोटापा की समस्या हो, तो 3 चम्मच से कम. वहीं अगर परिवार में किसी को हृदय रोग हो, तो यह चिकित्सक के अनुसार न्यूनतम होना चाहिए, 2 चम्मच से अधिक बिल्कुल नहीं. वहीं 9 वर्ष तक के बच्चों को 5 चम्मच अधिकतम और इससे ऊपर की उम्र में थोड़ा-थोड़ा कम करते जाएं.

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