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यहां आकर देखिए, स्मृतियों में कैसे सजा रखा है अपने सपूत को, उत्सव की तरह याद करता है सिमरिया

विपिन कुमार मिश्र मूमन यह शिकायत रहती है कि हिंदी समाज अपने साहित्यकारों को ठीक से याद नहीं करता. अक्सरहां कवि-कथाकार, जो दुनियाभर में मशहूर रहते हैं, अपने ही गांव में उपेक्षित रह जाते हैं. इससे इतर, एक गांव और वहां का समाज अपने यहां जन्मे और पले-बढ़े साहित्यकार की स्मृति को कैसे सहेजकर रखता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2018 7:22 AM

विपिन कुमार मिश्र

मूमन यह शिकायत रहती है कि हिंदी समाज अपने साहित्यकारों को ठीक से याद नहीं करता. अक्सरहां कवि-कथाकार, जो दुनियाभर में मशहूर रहते हैं, अपने ही गांव में उपेक्षित रह जाते हैं.

इससे इतर, एक गांव और वहां का समाज अपने यहां जन्मे और पले-बढ़े साहित्यकार की स्मृति को कैसे सहेजकर रखता है, यह हमें दिनकर के गांव सिमरिया में जाकर देखना चाहिए. यह अपने आप में विस्मित कर देने वाला तथ्य है कि राष्ट्रकवि दिनकर की जयंती का सबसे बेहतरीन आयोजन आज भी उनके गांव बेगूसराय जिले के सिमरिया में होता है. गांव के लोग हर साल उनकी जयंती मनाते हैं और देशभर के चुनिंदा साहित्यकारों को शिरकत करने के लिए आमंत्रित करते हैं.

सिमरिया का हर परिवार इस दिन अपने को गौरवान्वित महसूस करता है. दो दिनों तक मुख्य कार्यक्रम को लेकर लोगों में हलचल बनी रहती है. आगंतुकों की खातिरदारी में गांव के लोग कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.

इस बार भी 23-24 सितंबर को दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित है और इस आयोजन में साहित्यकारों, रचनाकारों, जन प्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों का मेला लगेगा. इसके लिए सिमरिया गांव में पर्व जैसा माहौल है. दिनकर के विश्राम कक्ष एवं जहां बैठकर वह कविता लिखा करते थे, उसकी सफाई की गयी है. मुख्य कार्यक्रम स्थल दिनकर समृति सभागार दिनकर की कविताओं, बैनर एवं उनकी तस्वीरों से सजा हुआ है. सिमरिया पंचायत भवन में एवं जीरोमाइल स्थित दिनकर गोलंबर पर उनकी आदमकद प्रतिमाएं सम्मन के साथ सजा दी गयीं हैं.

इस बार सिमरिया में होने वाले आयोजन

आयोजन स्थल : दिनकर स्मृति भवन

आगंतुक अतिथि : बिहार विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा, जिला पदाधिकारी राहुल कुमार, पुलिस उपमहानिरीक्षक, भागलपुर विकास वैभव, शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद सह बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ, बरौनी रिफाइनरी के ईडी केके जैन, बरौनी डेयरी के प्रबंध निदेशक एसआर मिश्रा.

संगोष्ठी का विषय- दिनकर और हमारा समय- प्रख्यात आलोचक, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व प्राध्यापक गोपेश्वर सिंह, दिल्ली के प्रख्यात कवि मदन कश्यप, एएन सिन्हा सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान पटना के प्राध्यापक डीएम दिवाकर, पटना के प्रसिद्ध कवि प्रफुल्ल कोलख्यान.

दिनकर की चुनिंदा पंक्तियां

दिनकर की कविताओं की पंक्तियों को लोग अक्सर कोट करते हैं. इनमें से कुछ खास पंक्तियों को हम यहां पेश कर रहे हैं, जिनका सबसे अधिक उल्लेख किया जाता है.

क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो

उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत सरल हो।

समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।

जाति-जाति रटते, जिनकी पूंजी केवल पाखंड

मैं क्या जानूं जाति? जाति हैं ये मेरे भुजदंड।

ऊंच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है

दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।

रोक युधिष्ठिर को न यहां

जाने दे उनको स्वर्ग धीर!

पर, फिरा हमें गांडीव-गदा

लौटा दे अर्जुन-भीम वीर।

कह दे शंकर से आज करें

वे प्रलय-नृत्य फिर एक बार

सारे भारत में गूंज उठे

‘हर-हर-बम’ का फिर महोच्चार।

नर-समाज का भाग्य एक है

वह श्रम, वह भुज-बल है

जिसके सम्मुख झुकी हुई

पृथ्वी, विनीत नभ-तल है।

जिसने श्रम-जल दिया, उसे

पीछे मत रह जाने दो

विजित प्रकृति से सबसे पहले

उसको सुख पाने दो।

शांति नहीं तबतक, जबतक सुखभाग न नर का सम हो

नहीं किसी को बहुत अधिक हो, नहीं किसी को कम हो।

जला अस्थियां बारी-बारी

चिटकाई जिनमें चिंगारी

जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर

लिए बिना गर्दन का मोल

कलम, आज उनकी जय बोल.

हटो व्योम के, मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं

दूध-दूध हे वत्स! तुम्हारा दूध खोजने हम जाते हैं.

रेशमी कलम से भाग्य-लेख लिखनेवालों तुम भी अभाव से कभी ग्रस्त हो रोये हो?

बीमार किसी बच्चे की दवा जुटाने में, तुम भी क्या घर भर पेट बांधकर सोये हो?

अटका कहां स्वराज? बोल दिल्ली! तू क्या कहती है?

तू रानी बन गयी वेदना जनता क्यों सहती है?

सबके भाग्य दबा रखे हैं किसने अपने कर में?

उतरी थी जो विभा, हुई बंदिनी बता किस घर में

सिमरिया की पहचान है यहां का पुस्तकालय

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के गांव सिमरिया स्थित दिनकर पुस्तकालय का अपना गौरवमयी इतिहास हैं. पूरे वर्ष आने वाले अतिथि इस पुस्तकालय की भव्यता को न सिर्फ देखकर भाव विभोर होते हैं, वरन यहां रुक कर पुस्तकों का भी अवलोकन करते हैं. इस पुस्तकालय में दिनकर की तमाम पुस्तकों को प्रदर्शनी के रूप में लगाकर रखा गया है. गांव के लोग दिनकर की पुस्तकों को अपनी संपत्ति मानते हैं. दिनकर की पुस्तकों के अलावा अन्य रचनाकारों की पुस्तकें भी यहां उपलब्ध हैं. प्रत्येक वर्ष 23 एवं 24 सितंबर को दिनकर जयंती समारोह की भव्यता के अवसर पर इन पुस्तकों की प्रदर्शनी लगायी जाती है.

जयंती समारोह के मौके पर आने वाले अतिथि सबसे पहले पुस्तकालय में पहुंच कर पुस्तकों पर एक नजर डालते हैं, फिर कार्यक्रम में शरीक होते हैं. 1976 में स्थापित इस पुस्तकालय में वर्तमान में 18 हजार से अधिक पुस्तकों को संग्रहित किया गया है.

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