कई कलाकारों को डेब्यू करा चुके हैं निर्देशक-अभिनेता तरुण नायक

अनुप्रिया शशि तिर्की 1992-1995 को झारखंडी पृष्ठभूमि की फिल्मों के बीज-प्रस्फुटन का काल माना जाता है. इन्हीं वर्षों में डॉक्यूमेंटरी और फीचर फिल्मों तथा माटी से जुड़े गीतों के अलबम के जरिये झारखंड के जीवन-दर्शन, संस्कृति, प्रेम, कला, खूबियों, कमियों और चुनौतियों को बड़े समूहों के बीच पहुंचाने का बीड़ा कुछ युवा प्रतिभाओं ने उठाया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2018 8:51 AM

अनुप्रिया शशि तिर्की

1992-1995 को झारखंडी पृष्ठभूमि की फिल्मों के बीज-प्रस्फुटन का काल माना जाता है. इन्हीं वर्षों में डॉक्यूमेंटरी और फीचर फिल्मों तथा माटी से जुड़े गीतों के अलबम के जरिये झारखंड के जीवन-दर्शन, संस्कृति, प्रेम, कला, खूबियों, कमियों और चुनौतियों को बड़े समूहों के बीच पहुंचाने का बीड़ा कुछ युवा प्रतिभाओं ने उठाया था. उस वक्त झारखंड अविभाजित बिहार का हिस्सा था और कई सामाजिक-राजनीतिक जटिलताओं से गुजर रहा था.

उस दौर में यह काम काफी कठिन और घाटे का था. फिर भी कुछ जुनूनी युवाओं ने साहस किया. उन्हीं दिनों ‘सात रंगा चूड़ी’ अलबम बाजार में आया. इसकी अपार सफलता ने नागपुरी अलबम उद्योग में दिग्गज निर्माता-अभिनेता के तौर पर तरुण नायक को स्थापित कर दिया. तरुण नायक 1995 में मशहूर संगीत निर्देशक उत्तम पाल के साथ ‘हमार मितवा’ से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रख चुके थे. यह फिल्म ‘रांची फिल्ममाला आर्ट्स’ के बैनर तले महावीर सिंह की कहानी पर बनी थी. ‘सात रंगा चूड़ी’ के बाद ‘करिया-करिया केश झूलेला गोरिया खोपा बांध रे…’ जैसे कर्णप्रिय गीतों से सजे उनके अलबम ‘पायल’, ‘पीयर साड़ी’, ‘शराबी’, ‘तोर संगे प्यार होय गेलक’, ‘प्यार भरा दिल’ आदि ने खूब लोकप्रियता हासिल की. इस सफलता के बाद उन्होंने ग्रेस आर्ट्स विजुअल नाम से खुद का प्रोडक्शन हाउस शुरू किया. इस प्रोडक्शन हाउस ने कई बेहतरीन कलाकार और ‘प्यार कर खातिर’, ‘सुन सजना’, ‘हिलीमा’, ‘बदला’, ‘चिंगारी’, ‘लैला मजनू’ जैसी 20-25 हिट फिल्म और अलबम दिये.

तरुण नायक ने झारखंडी भाषा-संस्कृति को व्यापक पहचान दिलाने के लिए यहां की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का भी संकल्प लिया और कई सफल कलाकारों को नागपुरी फिल्मों और अलबम के जरिये डेब्यू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. मसलन भोजपुरी फिल्म ‘हमार मितवा’ में भोजपुरी गायिका के तौर मोनिका मुंडू, नागपुरी फिल्म ‘हंसा जोड़ी’ में इन्दर सिंह, मनोज सिंहऔर प्रसनजीत और फिल्म ‘तोरे नाम’ में अभिनेत्री सोनाली. तरुण नायक अब तक नौ फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं. उनकी फिल्म ‘हंसा जोड़ी’ झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल, असम, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के सिनेमाघरों में खूब सफलता हासिल की. उन्होंने भोजपुरी फिल्मों तथा अलबमों में भी बतौर निदेशक-अभिनेता अलग पहचान बनायी. पवन सिंह के अल्बम और भोजपुरी फिल्म ‘बेगना’ में उन काम खूब सराहा गया.

केंद्रीय विद्यालय, रांची से स्कूली और रांची विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल करने वाले तरुण छात्र जीवन में ही अभिनय से जुड़ गये थे. स्कूली जीवन के दौरान उन्होंने पहली बार ‘राजेंद्र भवन धुर्वा’ में ‘महाभारत’ नाटक में युधिष्ठिर का किरदार निभाया था. फिल्मों में अभिनय का दौर 1992 में फिल्म ‘कोड़ा माइत जाबे’ में बतौर खलनायक शुरू हुआ था. इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक डॉ युगल किशोर मिश्रा थे. दूसरी फिल्म ‘राउर खातिर’ में बतौर अभिनेता काम करने के बाद वह 1993 में मुंबई चले गये, जहां ‘फिल्माल्या’ स्टूडियो के निर्माता सोमू मुखर्जी के ‘फिल्माल्या एक्टिंग स्कूल’ में उन्होंने वी मल्होत्रा के अधीन एक्टिंग और निर्देशन का प्रशिक्षण लिया.

उस दौरान बॉलीवुड फिल्मों ‘हिफाजत’, ‘अप्रैल फूल’ आदि में अभिनय किया. हिंदी फिल्मों में मनमोहन देसाई के पोते के साथ अमित रंजन दत्ता के निर्देशन में ‘लव एंड वार’ जैसी शॉर्ट फिल्मों में भी अपने बेहतरीन अभिनय का लोहा मनवाया. कुड़ूख अलबम ‘नींगहै आसरा’ में भी उन्होंने अभिनय किया. उन्होंने ‘मानवा रे कैरी लेऊ तनिक भावना…’, ‘पवित्र पवित्र करा मोके प्रभु जी…’, ‘चाइर दिन केर जिंदगानी में…’,आत्मा के बचावा आत्मा के सिंगरावा…’ आदि कई धार्मिक गीत भी लिखे. तरुण नायक का नाम उन दिग्गजों में शुमार है, जिन्होंने झारखंड के फिल्म उद्योग को सींचने का काम किया.

वर्तमान समय में तरुण नायक ‘सजनी हमार’, ‘अलबेला’ और ‘बलवान’ आदि तीन-चार फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं. पवन सिंह के साथ एक भोजपुरी फिल्म ‘राजा’ भी कर करे हैं. शराबबंदी, बेदर्दी, सहज, गाइड आदि उनकी फिल्में जल्द ही आने वाली हैं.बहरहाल, झारखंड की प्रतिभाओं को मौका देने के लिए तरुण नायक समर्पित भाव से काम कर रहे हैं.

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