बाजार की अस्थिरता में सावधानी से करें निवेश

अजय मेनन, सीइओ-बिजनेस एंड डेवलपमेंट, एमओएफएसएल, मुंबई आंकड़ों से स्पष्ट है कि अगस्त 2018 तक निफ्टी ने 11.50% के सकारात्मक लाभ प्रदान किये हैं. सितंबर में अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक युद्ध के कारण बाजार सुधार के साथ शुरू हुआ था लेकिन ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाये गये वैश्विक प्रतिबंध के चलते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2018 9:28 AM

अजय मेनन,

सीइओ-बिजनेस एंड डेवलपमेंट, एमओएफएसएल, मुंबई

आंकड़ों से स्पष्ट है कि अगस्त 2018 तक निफ्टी ने 11.50% के सकारात्मक लाभ प्रदान किये हैं. सितंबर में अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक युद्ध के कारण बाजार सुधार के साथ शुरू हुआ था लेकिन ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाये गये वैश्विक प्रतिबंध के चलते वैश्विक मुद्राओं और भारतीय रुपये के मुकाबले अमेरिकी डॉलर को मजबूती मिली है.

रुपया कमजोर हुआ है. इसके अलावा, हमारे आयातों का एक प्रमुख हिस्सा कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर तक पहुंच गयी है. इससे ईंधन की खुदरा कीमतों में वृद्धि हुई है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था में हो रही वृद्धि की चिंता और बढ़ती हुई ब्याज दरों ने भारतीय इक्विटी और बॉन्ड बाजारों को प्रभावित किया है. हाल ही में बॉन्ड बाजार में चल निधि की चिंता पर बहुत लंबे समय के बाद भारतीय इक्विटी बाजारों में अशांति देखी गयी है. जहां बॉन्ड से प्राप्ति 8.10% तक बढ़ी है, वहीं रुपया 73 रुपये के ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर तक जा पहुंचा है. इसने देश के चालू खाता घाटे को खतरे में डाल दिया है. यह घाटा 2019 में 3.3% तक पहुंच सकता है.

इन ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि जब भी इक्विटी बाजार में इस प्रकार की बिक्री देखी गयी है, तब बाजारों ने अगले 12-15 महीने की अवधि में सकारात्मक लाभ प्रदान किये हैं. मूल रूप से देश में सबकुछ ठीक चल रहा है.

इन सुधारों के बीच बाजार एक बार फिर से निवेशकों को अपना निवेश बढ़ाने या इक्विटी के माध्यम से निवेश प्रारंभ करने का अवसर प्रदान कर रहा है. सिर्फ इसके लिए कुछ खास नियमों को ध्यान में रखना जरूरी है.

जब कभी भी बाजार अस्थिर हो, तो जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें. साथ ही अटकलों पर बिलकुल ही ध्यान मत दें. घबरायें मत और कोई भी बेतुकी हरकत न करें. स्टॉक को छोड़ने से पहले हमेशा यह मूल्यांकन करें कि स्टॉक नीचे क्यों गिरता जा रहा है.

अपने पोर्टफोलियो के शेयरों का मूल्यांकन करें और समझें कि आपने किसी विशेष स्टॉक और उसके मूलभूत सिद्धांतों में निवेश क्यों किया था. यदि आपको पूरी तरह से यह पता नहीं हैं कि आपने स्टॉक में निवेश क्यों किया था, तो आपको उसे छोड़ देना चाहिए.

अपने एसआइपी को बंद न करें. अपनी वित्तीय योजना में भी परिवर्तन न करें क्योंकि मंदी का दौर असल में वह समय होता है जब एसआइपी के साथ बने रहना आपको दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है.

एसआइपी को बंद करके आप इक्विटी के चक्रवृद्धि ब्याज के लाभ से वंचित हो जायेंगे. आप कम कीमतों पर अधिक यूनिट्स खरीद पायेंगे और भविष्य में जब बाजार जब ऊपर चढ़ेगा, तो आप लाभान्वित होंगे.

सिर्फ इसलिए कि शेयर कम कीमत पर उपलब्ध है, केवल नीचे गिरे हुए शेयरों को न खरीदें या उन्हें उनकी अहमियत के हिसाब से मत लें. ऐसा हमेशा नहीं होता है कि कम कीमत पर उपलब्ध स्टॉक एक अच्छा सौदा ही रहेगा, वह एक ललचाने वाला जाल साबित हो सकता है.

हमेशा विविधता रखें. सभी अंडों को एक ही टोकरी में न रखें. सुधार के चलते किसी विशेष वर्ग के स्टॉक असल में सस्ती कीमतों पर उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको केवल एक ही वर्ग के स्टॉक खरीदने चाहिए. उन कंपनियों के शेयरों को ढूंढें जिसमें लाभ की संभावना नजर आती हो, स्थिर प्रबंधन हो, आय में वृद्धि दिखाई देती हो, जिसकी मूल्य निर्धारण क्षमता या बाजार में उपस्थिति मजबूत हो.

साथ ही, बहुत अधिक डाइवर्सिफिकेशन भी अच्छा नहीं होता है. कुछ निवेशक अनेक क्षेत्रों में या एक ही क्षेत्र की कई कंपनियों में अपने पैसे बांटकर, जोखिम को कम करने का प्रयास कर सकते हैं. लाभोन्मुखी दांव न खेलें. हमेशा लाभ लेने के लिए निवेश करने में बहुत अधिक फायदा हो सकता है, लेकिन इससे बड़ा नुकसान भी हो सकता है.

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