प्रभात महतो ने मानभूम छऊ नृत्य को दिलायी अंतरराष्ट्रीय पहचान

राजेंद्र प्रसाद महतो ‘राजेन’ झारखंड के पारंपरिक छऊ नृत्य को प्रभात कुमार महतो ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायी. मानभूम छऊ नृत्य शैली की छटा को देश के प्रत्येक प्रमुख राज्य में बिखेरने के पश्चात विदेश में इस नृत्य की अमिट छाप छोड़ा और झारखंड का नाम रोशन किया है. प्रभात कुमार महतो सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2018 7:36 AM

राजेंद्र प्रसाद महतो ‘राजेन’

झारखंड के पारंपरिक छऊ नृत्य को प्रभात कुमार महतो ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायी. मानभूम छऊ नृत्य शैली की छटा को देश के प्रत्येक प्रमुख राज्य में बिखेरने के पश्चात विदेश में इस नृत्य की अमिट छाप छोड़ा और झारखंड का नाम रोशन किया है. प्रभात कुमार महतो सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ अंचलांत अंतर्गत चोगा गांव के रहनेवाले हैं.

पिता ठाकुर दास महतो साधारण किसान हैं. प्रभात अपनी छऊ मंडली के साथ जनवरी, 2015 से सितंबर, 2017 के बीच देश- विदेश के कई अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल हुए और छऊ नृत्य कला को प्रदर्शित किया. जनवरी, 2015 में ताईवान तथा मार्च, 2015 में विश्व सांस्कृतिक महोत्सव, नयी दिल्ली में उन्होंने अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.

अक्तूबर, 2016 में भूटान के थिम्पू में आयोजित ‘हा मेला’, नवंबर, 2016 को आयोजित भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, नयी दिल्ली, जनवरी 2017 को आइएसटीआर के 13वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन अलीगढ़ विश्वविद्यालय, फरवरी 2017 को सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला हरियाणा तथा सितंबर, 2017 में भारत-जापान शिखर वार्ता, अहमदाबाद में छऊ नृत्य की प्रस्तुति से उन्होंने झारखंडी संस्कृति को एक अलग पहचान दिलायी. वर्ष 2015 में प्रभात को सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, झारखंड ने कला-संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु ‘संस्कृति सम्मान’ तथा वर्ष 2017 में राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला ने प्रतीक चिह्न व प्रशस्ति पत्र देकर नवाजा है.

इनका नाम भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नयी दिल्ली, भारत महोत्सव, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, पूर्वांचल सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता, सांस्कृतिक कार्य निदेशालय झारखंड सरकार एवं गीत, नाटक प्रभाग सूचना प्रसारण मंत्रालय, दूरदर्शन और संगीत नाटक अकादमी के कलाकारों की सूची में शामिल है. मौजूदा समय में नटराज कला केंद्र चोगा सरायकेला के संस्थापक सचिव, कला मंदिर जमशेदपुर के सहायक सचिव तथा इंडियन नेशनल ट्रस्ट फाॅर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज नयी दिल्ली के सदस्य हैं. नटराज कला केंद्र के नाम से संस्था पंजीकृत कराकर कला-संस्कृति के क्षेत्र में समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं. कला में गहरी रुचि रखने वाले प्रभात 17 वर्ष की उम्र में साल 1989 में छऊ नृत्य से जुड़े. यही वजह रही कि इंटर के बाद पढ़ाई से अलग होकर छऊ नृत्य में समाहित हो गये. गांव के शिक्षक सह छऊ नृत्य के उस्ताद शांतिपद महतो से इन्हें छऊ नृत्य की प्रेरणा मिली. उस्ताद शांतिपद महतो जब गांव में लोगों को छऊ नृत्य का प्रशिक्षण देते थे, तो प्रभात खासे उत्साह से उनका अनुसरण करते थे.

प्रभात स्वयं छऊ नृत्य में भगवान शिव व मां दुर्गा का अभिनय करते हैं. इतना ही नहीं, वह ढोल व नगाड़ा आदि बजाते हुए गाते भी हैं. नृत्यकला के साथ-साथ वादन व गायन का भी उन्हें गहरा ज्ञान है. केवल छऊ ही नहीं, पइका नृत्य के भी वह उस्ताद हैं. विभिन्न टीवी चैनलों द्वारा इनके दल के छऊ व पइका बराबर प्रसारित होते हैं.

प्रभात बताते हैं कि विदेश यात्रा के दौरान संवाद करने में भाषाई समस्या होती है. दूसरों की मदद लेनी पड़ती है, लेकिन विदेश में अपार प्यार व सम्मान मिलता है, जो सदैव स्मरणीय रहेगा. अभी पर्यटन, कला, संस्कृति, खेल कूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार के सहयोग से अपने पैतृक गांव चोगा में प्रति वर्ष छऊ महोत्सव का आयोजन कर स्थानीय लोक कलाकारों को वह मंच प्रदान कर रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version