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विशेष बातचीत में महेंद्र जालान ने कहा, मेहनत और ईमानदारी ही की सफलता की पूंजी
एमकेजे इंटरप्राइजेज एंड केवेंटर ग्रुप के चेयरमैन महेंद्र कुमार जालान का कारोबारी सफर बड़ा दिलचस्प है. आज की तिथि में वह देश के प्रसिद्ध व्यवसायी हैं आैर डेयरी फूड प्रोसेसिंग, रियल इस्टेट, पोर्ट, स्टील एवं अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में उनका व्यवसाय फैला हुआ है, मगर एक वक्त ऐसा था, जब उनके पास न पूंजी थी, […]
एमकेजे इंटरप्राइजेज एंड केवेंटर ग्रुप के चेयरमैन महेंद्र कुमार जालान का कारोबारी सफर बड़ा दिलचस्प है. आज की तिथि में वह देश के प्रसिद्ध व्यवसायी हैं आैर डेयरी फूड प्रोसेसिंग, रियल इस्टेट, पोर्ट, स्टील एवं अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में उनका व्यवसाय फैला हुआ है, मगर एक वक्त ऐसा था, जब उनके पास न पूंजी थी, न कारोबार शुरू करने का बड़ा आधार.
बस, एक सपना था और अपनी मेहनत व ईमानदारी के बल पर उसे पूरा करने की धुन थी. शुरुआती दौर में पैसेे बचाने के लिए मजदूर की जगह काम करने में भी कभी संकोच नहीं किया. व्यवसाय खड़ा किया और भाइयों को सौंप दिया. फिर नये सिरे से अपना व्यवसाय खड़ा कर उसे एक साम्राज्य का रूप दिया. जीरो से हीरो बने महेंद्र कुमार जालान से विशेष बातचीत की पुरुषोत्तम तिवारी ने. पेश है बातचीत का प्रमुख अंश…
Qव्यापार के क्षेत्र में कैसे आना हुआ ?
कोलकाता में मेरा जन्म हुआ. कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीकॉम करने के बाद मैं चेन्नई चला गया. वहां एक छोटी दुकान किराये पर लेकर स्टील के छोटे-छोटे उत्पादों को बेचना शुरू किया. पूंजी नहीं थी. उधार माल लेता था और बेच कर चुकाता था. प्रतिदिन सौ रुपये कमा लेता था. सवेरे पांच बजे से रात ग्यारह बजे तक काम करता था. बचपन में कोई सपना नहीं था, पर जैसे-जैसे काम बढ़ता गया, वैसे-वैसे सपने बनते गये. कुछ घरेलू मतभेदों के चलते चेन्नई में बसाया हुआ बिजनेस भाइयों को देकर कोलकाता चला आया. कोलकाता में कोई था नहीं. बच्चों और पत्नी को दिल्ली (ससुराल) भेज दिया, क्योंकि घर चलाने व रहने के पैसा नहीं थे.
कोलकाता में स्टेनलेस स्टील के उत्पादों को व्यवसाय से जोड़ा. बाजार से 10 फीसदी ब्याज पर पैसा उधार लेकर व्यापार शुरू किया. जापान से उत्पाद मंगाकर सालभर में खूब पैसे कमाये. तब एक छोटा-सा फ्लैट लेकर परिवार को लाया. नेताजी सुभाष चंद्र बोस रोड में पांच सौ वर्ग फीट की जगह में बिना पूंजी के व्यवसाय शुरू किया था. ईश्वर के कृपा से आज यह लगभग तीन हजार करोड़ रुपये का है.
Qआपकी कंपनी कवेंटर का कारोबार कैसे शुरू हुआ ?
केवेंटर 101 साल पुरानी विदेशी कंपनी एडर्वड केवेंटर लिमिटेड थी. 1984 में हाइकोर्ट में उसकी नीलामी हुई. मैंने इसे खरीद लिया. यह कंपनी अपने जमाने में दार्जिलिंग में दूध और पनीर (डेयरी-उत्पादों ) के लिए प्रसिद्ध थी. बारासात में दो सौ एकड़ में कंपनी का कारखाना था. मैं दूूध का कारोबार नहीं जानता था. फिर भी दूध के बाजार में लंबी छलांग लगाने की तैयारी की.
बड़ी फैक्टरी लगायी. मेट्रो डेयरी के उत्पाद आज देशभर में लोकप्रिय हैं. मुझे यह खुशी है कि आम के जूस का बना ‘फ्रूटी’ देशभर में लोगों की पसंद बन चुकी है. सेव का जूस भी काफी लोकप्रिय है. बाद में नूड्ल्स की फैक्ट्री लगायी. इसके अतिरिक्त मेरी कंपनी केवेंटर एग्रो लिमिटेड ने केवेंटर ब्रांड से केले का उत्पादन शुरू किया. किसानों को हम केले का छोटा पौधा देते हैं और पैदावार किसानों से खरीदते हैं.
बारासात स्थित कारखाने में नेच्युरल ढंग से केले को बिना कार्बाइड के पकाते हैं. बारासात कारखाने से प्रतिदिन 100 टन केले की बिक्री होती है. अगले वर्ष 200 टन केला प्रतिदिन बिक्री करने की योजना है. कंपनी रियल इस्टेट से भी जुड़ी है. छह साल पहले चाॅकलेट बनाने की कंपनी कैडिको का अधिग्रहण किया. इसके अतिरिक्त कंपनी खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में विभिन्न उत्पादों को बनाती है. स्टेनलेस स्टील का व्यवसाय अब भी देश-विदेश में चल रहा है.
Qअपने जीवन के संघर्षों को आप किस रूप से देखते हैं ?
संघर्ष के दिनों को याद कर आंखें छलछला जाती है. यह मेरा दायां कंधा लोहे के छड़ को ढोते-ढ़ोते झुक गया. मजदूरी देने के पैसे नहीं थे. चेन्नई छोड़ने के पहले प्रति महीने 25 लाख रुपये की आमदनी थी. बिना पैसे लिये दोनों भाइयों को व्यवसाय देकर खाली हाथ कोलकाता चला आया. सच कहूं, जीवन में सिर्फ खूब मेहनत की है और खूब पैसा कमाया है, पर इसकी कीमत भी अदा की है.
Qव्यापार और परिवार में किस तरह संतुलन बनाया ?
व्यापार और परिवार में संतुलन नहीं बना पाया. आज मेरे पास पद, प्रतिष्ठा और पैसे हैं, लेकिन मेरे बच्चे मुझसे दूर हो गये हैं. मुझसे बात नहीं करते, क्योंकि वे कहते हैं कि पापा जब हम छोटे थे, तब आपके पास मेरे लिए समय नहीं था.
आज वे व्यस्त हैं और उनके पास समय नहीं है. मैं व्यापार में इतना व्यस्त था कि बच्चे किस कक्षा में पढ़ते थे, मुझे पता नहीं रहता था. पत्नी शशि ने बेटी श्रुति और बेटा मयंक भार उठाया था. आज मैं कह सकता हूं कि पैसा कमाने के चक्कर में हम बच्चोें को नहीं भूलें, उन्हें भी आपका समय चाहिए. पोते मेहरान के साथ खेलता हूं और बचपन में लौटने की कोशिश करता हूं.
Qनयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी में क्या बदलाव देखते हैं?
तकनीक के कारण व्यापार में बहुत बदलाव आया है. आज घर में बच्चा हो या बूढ़ा सभी अपने आप में व्यस्त हैं. किसी को किसी के लिए लगता है कि समय ही नहीं है.
Qसरकार की कर नीति के संबंध में आपकी क्या राय है ?
व्यापारियों को सरकार को 100 फीसदी टैक्स देना चाहिए, लेकिन सरकार की कुछ ऐसी नीतियां होती हैं, जिनके चलते व्यापारी परेशान रहते हैं. सरकार तंग न करे, इसलिए हम लोग सरकार को खुश रखते हैं.
हम टैक्स देते हैं, रोजगार देते हैं. होना यह चाहिए कि उद्योगपतियों को सरकार अपनी नीतियों से खुश रखे, पर होता है उल्टा. मैं अपने कर्तव्य के प्रति सजग था. समय पर टैक्स देता गया और व्यापार बढ़ता गया. पहले नेता अपना काम कराने के लिए झूठ नहीं बोलते थे, पर आजकल नेता के बारे क्या कहना. झूठ बोलने से तात्कालिक फायदा हो सकता है, दीर्घकालीन नहीं.
महेंद्र कुमार जालान, एमकेजे इंटरप्राइजेज एंड केवेंटर ग्रुप के चेयरमैन
महेंद्र जालान कोलकाता में 2003 से 2008 तक फ्रांस के एवं 2010 से मई 2018 तक आयरलैंड के मानद उच्चायुक्त रहे हैं. वह हेरिटेज स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी के ट्रस्टी हैं और विभिन्न चैंबर ऑफ काॅमर्स के वरिष्ठ पदों पर आसीन रहे हैं. वह एग्री हाॅर्टिकल्चर सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रह चुके हैं. सामाजिक सेवाओं के लिए राजीव गांधी एक्सिलेंस अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.महेंद्र जालान ने बिना पूंजी के व्यवसाय की शुरुआत की थी और फिलहाल उनकी कंपनी का कारोबार लगभग 3000 करोड़ रुपये का हो चुका है.
Qदेशी और विदेशी उद्योगपतियों के कारोबार करने में क्या अंतर देखते हैं ?
विदेशी लोगों के साथ हम हावर्ड बिजनेस स्कूल में कुछ दिनों तक पढ़ाई की थी. उनके व्यवहार और कारोबार को नजदीक से देखा परखा था. यही पाया कि विदेशी स्वकेंद्रित होते हैं. अपना ही लाभ हो, चाहे जैसे भी हो. हमारे देश के उद्योगपति अपने लाभ के साथ दूसरे का लाभ भी सोचते हैं.
Q नये उद्योगपतियों को कोई संदेश ?
नये उद्योगपतियों को मेरा पहला संदेश यही है कि किसी सफल व्यक्ति के अंतर्गत व्यवसाय की ट्रेनिंग लेना चाहिए, जिससे व्यापार की जो बारीकियां समझने में आसानी होगी. दूसरा, बिजनेस का मॉडल पहले छोटे रूप में तैयार करें, बाद में बड़े रूप का आकार दें. व्यापार को खड़ा करने के लिए बाजार से उधार लेने में संकोच नहीं करना चाहिए.
ब्याज देने का कमिटमेंट होना चाहिए. बुजुर्ग व्यापारी को नये व्यापारियों को ब्याज देने में कोताही नहीं करना चाहिए. जो लोग मुझसे जुड़ते हैं. उन्हें फायदा ही होता है. लोगों को फायदा हो. यह चाह, झूठ न बोलना, कड़ी मेहनत करना और ईमानदारी के मिश्रण से मेरा व्यक्तित्व बना है. मैं नये व्यापारियों को यही संदेश देना चाहता हूं.
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