सेहत के बारे में बहुत कुछ कहती हैं आपकी आंखें, जानें
मारी आंखें हमें सिर्फ दुनिया ही नहीं दिखातीं, बल्कि हमारे शरीर के अंदर क्या चल रहा है, यह भी बताती हैं. वास्तव में आंखें हमारी सेहत की विंडो हैं. रक्तदाब से लेकर कैंसर तक कई बीमारियां हैं, जो आंखों की सेहत को थोड़ा या अधिक प्रभावित करती हैं. कई बार ऐसा होता है कि आंखों […]
मारी आंखें हमें सिर्फ दुनिया ही नहीं दिखातीं, बल्कि हमारे शरीर के अंदर क्या चल रहा है, यह भी बताती हैं. वास्तव में आंखें हमारी सेहत की विंडो हैं. रक्तदाब से लेकर कैंसर तक कई बीमारियां हैं, जो आंखों की सेहत को थोड़ा या अधिक प्रभावित करती हैं.
कई बार ऐसा होता है कि आंखों में असामान्य लक्षण दिखने पर लोग आंखों की जांच कराते हैं, तब उन्हें पता चलता है कि इन लक्षणों का संबंध आंखों से नहीं, बल्कि शरीर में पल रही अन्य बीमारी के संकेत हैं. जानते हैं कुछ ऐसी बीमारियों के संकेत.
कॉर्निया के पास ग्रे रिंग : अगर कॉर्निया या आंखों के रंगीन भाग के पास एक धूसर रंग का चक्र दिखाई दे, तो इसे चिकित्सीय भाषा में कॉर्नियल अर्कस या अर्कस सेनिलिस कहते हैं.
यह सामान्यत: ट्राय ग्लिसराइड के उच्च स्तर से संबंधित है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक होने के खतरे को बढ़ा देता है. अर्कस सेनिलिस, कॉर्निया के किनारों में गहराई में वसा (लिपिड्स) के जमाव के कारण होता है.
क्या करें : लिपिड के बढ़े हुए स्तर को जांचने के लिए ब्लड टेस्ट कराएं. विशेषत: जब आपकी उम्र 60 साल से कम हो. ट्राय ग्लिसराइड के उच्च स्तर को हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज द्वारा कम किया जा सकता है. हेल्दी डाइट वह है, जिसमें साबूत अनाज, फलों, सब्जियों की मात्रा अधिक तथा शूगर, बैड फैट और तेल की मात्रा कम हो.
पलकों पर फोड़ा : यह त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकती है. फोड़ा जो लंबे समय तक ठीक नहीं हो रहा हो, उस जगह के पलकों के बाल झड़ गये हों, तो समझिए कि आपको बैसल सेल कार्सिनोमा है. इसमें पलकों पर धीरे-धीरे लाल रंग की एक छोटा-सी गांठ बन जाती है.
न्यूयॉर्क आइ कैंसर सेंटर, के अनुसार अधिकतर मामलों में फोड़ा निचली पलक में विकसित होता है, कुछ लोगों में निचली पलक के बाद ऊपरी पलक पर भी विकसित हो जाता है. अगर ट्यूमर के आसपास पलकों के बाल झड़ जाएं, तो यह संकेत है कि ट्यूमर मैलिग्नेंट (कैंसरयुक्त) है.
क्या करें : अनदेखी न करें, तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. उपचार संभव है. सामान्यत: बैसल सेल स्किन कैंसर घातक नहीं होता. लेकिन अगर आप उपचार नहीं करायेंगे, तो यह आपका चेहरा विकृत कर सकता है, आंखों की रोशनी जा सकती है.
ड्रूपी आइ लिड्स (सूजी व लटकी हुई पलकें) : यह बेल्स पाल्सी, अस्थायी फैशियल पैरालिसिस का संकेत देती हैं. स्ट्रोक का भी लक्षण हो सकता है, विशेष रूप से जब बोलने में समस्या हो. बहुत कम मामलों में यह एक ऑटो इम्यून डिजीज जिसे मियासथेनिया ग्रैविस कहते हैं, उसका संकेत हो सकती है. इसमें सूजन और इम्यून तंत्र से संबंधित दूसरी समस्याओं के कारण मांसपेशियां और आंखों के आसपास के दूसरे उत्तक प्रभावित होते हैं.
क्या करें : डॉक्टर को दिखाएं. यह समस्या क्यों हो रही है, उसके कारणों का पता लगाने के बाद ही उपचार के विकल्पों पर डॉक्टर निर्णय लेंगे.
आंखों के पीछे येलो डिपॉजिस्ट : डायबिटीज आंखों के प्रकाश के प्रति संवेदनशील उत्तक जिसे रेटिना कहते हैं, उसकी रक्त नलिकाओं को प्रभावित कर सकता है. रेटिना की कुछ महीन नलिकाओं में हैमरेज हो सकता है या पीले रंग (रक्त की वसा) का जमाव हो सकता है, इसे डायबिटीक रेटिनोपैथी कहते हैं.
यह डायबिटीज रोगियों में दृष्टि प्रभावित होने और दृष्टिहीनता का प्रमुख कारण है. कई लोगों की डायबिटीज रूटीन आइ चेकअप से पकड़ में आती है. जल्दी डायग्नोसिस और उपचार से दृष्टिहीनता के 95 फीसदी मामले बच सकते हैं.
क्या करें : डायबिटीज लाइलाज बीमारी है. इसे स्वस्थ जीवनशैली और उचित दवाइयों से ही नियंत्रित कर सकते हैं. ऐसे रोगियों को प्रतिवर्ष अपनी आंखों की जांच जरूर करानी चाहिए.
पेल इनर आइ लिड : अगर निचली पलकें पीली दिखती हैं, जब उन्हें नीचे की ओर खींचा जाता है, तो यह एनिमिया हो सकता है. वैसे यह आंतरिक रक्तस्त्राव का संकेत भी हो सकता है.
क्या करें : आयरन की कमी के कारण एनिमिया होता है. आयरनयुक्त खाद्य पदार्थों के या आयरन के सप्लीमेंट्स से इसे ठीक किया जा सकता है.
बलजिंग आइज : कई लोगों की आंखें बहुत अधिक उभर जाती हैं, ये ओवर-एक्टिव थायरॉइड (ग्रेव्स डिजीज) का लक्षण हो सकता है. इसे ग्रेव्स ऑपथैलमोपैथी कहते हैं. इसके कारण 30 प्रतिशत लोगों में यह समस्या हो जाती है. आंखों से संबंधित दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे आंखों में दबाव बढ़ना, दर्द, आंखे फूलना, लाल हो जाना, सूजन, प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशील होना, डबल विजन या रोशनी का जाना.
क्या करें : ग्रेव्स डिजीज महिलाओं और उम्रदराज लोगों में अधिक होती है. परेशान न हों, क्योंकि उपचार संभव है. डॉक्टर को दिखाएं.
येलो आइज : लिवर से संबंधित समस्याएं जैसे हेपेटाइटिस और सिरोसिस आंखों के सफेद भाग को पीला कर सकती हैं. यह रंग बिलिरूबिन (रसायन जो हीमोग्लोबिन के टूटने से बनता है) के कारण होता है.
क्या करें : लिवर रोग गंभीर है. समय रहते उपचार न कराया जाये तो लिवर क्षतिग्रस्त हो सकता है.
पेल ऑप्टिक नर्व : ऑप्टिक नर्व्स, मस्तिष्क से रेटिना तक सूचनाएं ट्रांसमिट करती हैं. ऑप्टिक नर्व का पीला पड़ जाना मल्टीपल स्क्लेरोसिस या ब्रेन ट्यूमर का प्रारंभिक संकेत हो सकता है.
क्या करें : मल्टीपल स्क्लेरोसिस और ब्रेन ट्यूमर गंभीर स्थितियां हैं, जिनका तुरंत उपचार कराना चाहिए.