श्री बाबू के दौर में शुरू हुआ बिहार का औद्योगिक विकास
डॉ जगन्नाथ मिश्र श्री बाबू के समय में देष में ‘‘उद्योग के क्षेत्र में केन्द्रीय योजना के अन्तर्गत बड़े-बड़े विकास कार्य हो रहे थे. श्रीबाबू ने बरौनी में तेलशोधक कारखाना खोलने की बात पक्की करायी. हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड का सदर मुकाम दिल्ली से हटबाकर रांची लाने की व्यवस्था करायी और बोकारो में एक स्टील प्लांट […]
डॉ जगन्नाथ मिश्र
श्री बाबू के समय में देष में ‘‘उद्योग के क्षेत्र में केन्द्रीय योजना के अन्तर्गत बड़े-बड़े विकास कार्य हो रहे थे. श्रीबाबू ने बरौनी में तेलशोधक कारखाना खोलने की बात पक्की करायी. हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड का सदर मुकाम दिल्ली से हटबाकर रांची लाने की व्यवस्था करायी और बोकारो में एक स्टील प्लांट बैठाने की स्वीकृति करवाया.
उनके समय में ही भारी मशीनरी प्लांट और भारी फाउन्ड्री और फोर्ज प्लांट को रांची में स्थापित करने का काम शुरू हुआ था. राज्य सरकार के अधीन सुपरफास्फेट कारखाने का उत्पादन प्रारम्भ हुआ था. रांची की हाई टेन्शन इंसुलेटर फैक्टरी के लिए कुछ मशीनें भी आ चुकी थीं.
पटना, बिहारशरीफ, दरभंगा और रांची के चार औद्योगिक इस्टेट लगभग तैयार हुए और 1960-61 के अंत तक उनका उपयोग होने लगा. 60 लघु उद्योग योजनाओं की कार्यान्वित हुई और 401 प्रशिक्षण-सह-उत्पादन केन्द्र खोले गये जहाँ देशी शिल्पों को फिर से जीवित करने के उद्देश्य से कारीगरों को ट्रेनिंग दी जाने लगी. टेक्निकल कर्मचारियों की ट्रेनिंग के लिए सिन्दरी के बिहार इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक स्नातकोत्तर (पोस्टग्रेजुएट) डिग्री-कोर्स चालू किया गया.
बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज का विस्तार और उसे आधुनिकतम स्तर पर लाने के लिए काम शुरू कर दिया गया और मुजफ्फरपुर इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना एवं विस्तार किया गया. खादी बोर्ड की स्थापना एवं उसके जरिए लघु उद्योगों को मदद पहॅुचाने का काम आरम्भ किया गया. बरौनी और पतरातू थर्मल पावर का कार्य भी श्री बाबू के शासन-काल में ही प्रारंभ किया गया.