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ग्राहक-संतुष्टि को बनाया सफलता का मूलमंत्र, बने इलेक्ट्रॉनिक शोरूम ब्रांड, जानें इनके बारे में

मनोज – मनीष खोसला निदेशक, खोसला इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड कहते हैं, जब परिश्रम अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच जाता है, तो ऐसे लक्ष्य कम ही होते हैं, जो प्राप्त नहीं किये जा सकते. निरंतर परिश्रम से बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर नदियों की धारा निकाल देने वालों का जिक्र पढ़ने को मिलता है, तो अत्यंत लघु शुरुआत […]

मनोज – मनीष खोसला
निदेशक, खोसला इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड
कहते हैं, जब परिश्रम अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच जाता है, तो ऐसे लक्ष्य कम ही होते हैं, जो प्राप्त नहीं किये जा सकते. निरंतर परिश्रम से बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर नदियों की धारा निकाल देने वालों का जिक्र पढ़ने को मिलता है, तो अत्यंत लघु शुरुआत से अनंत ऊंचाइयों को स्पर्श करने के उदाहरण भी देखने को मिलते हैं, लेकिन ऐसी मिसालें कम ही देखने को मिलती हैं, जब एक समूचा परिवार बेहद छोटी शुरुआत के साथ अपने ध्येय में जुट जाये और सफलता का मुकुट पहनने के बाद भी अहम उन्हें छू तक न पाये.
सफलता की असीम बुलंदियों को स्पर्श करने के बावजूद वह परिवार अगर अटूट रहता है, तो नि:संदेह यह एक पवित्र उदाहरण है. देशभर में फैले इलेक्ट्रॉनिक्स शोरूम, खोसला इलेक्ट्रॉनिक्स के कर्ता-धर्ता मनोज खोसला और मनीष खोसला ऐसे ही दुर्लभ उदाहरण हैं.
न केवल अपने जज्बे, मेहनत और ईमानदारी से उन्होंने उत्कृष्ट सफलता का ताज पहना है, बल्कि आज भी निजी जीवन में वह ईमानदारी और मानवता के प्रकाश पुंज को जीवित रखे हुए हैं. खोसला इलेक्ट्रॉनिक्स प्रालि के निदेशक द्वय तथा सगे भाई मनोज खोसला एवं मनीष खोसला से पुरुषोत्तम तिवारी ने विशेष बातचीत की. पेश है इस बातचीत के प्रमुख अंश.
Q नौकरी की बजाय आप लोगों ने व्यवसाय का क्षेत्र क्यों चुना?
हमारे घर के सभी लोग नौकरी करते थे. पिताजी स्वर्गीय वेद प्रकाश खोसला भी नौकरी ही करते थे. वह एक प्राइवेट कंपनी में एकाउंटेंट थे. वह नहीं चाहते थे कि उनके बेटे भी नौकरी ही करें. जब हमलोग कॉलेज में पढ़ते थे, तो पिताजी ने एक इंजीनियर दोस्त से पूछा कि बच्चों के कैरियर के लिए क्या सलाह देनी चाहिए?
उन्होंने कहा कि आनेवाला समय टेलीविजन और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का होगा. बच्चों को टेक्निशियन की दिशा में ले जाना सही होगा. वह अगर हाथ का काम सीखेंगे, तो कभी कोई कमी नहीं रहेगी. पहले उन्हें टीवी रिपेयरिंग का काम सिखाएं. इसके बाद हम दोनों भाई बीकॉम करते हुए ही डेटामेटिक्स में पॉलिटेक्निक में भर्ती हो गये. पॉलिटेक्निक की कक्षाएं शाम को होती थीं. धीरे-धीरे हमने टीवी ठीक करना सीख लिया. और बाद में टेलीविजन रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिये.
Q आपने व्यवसाय में कदम कैसे रखा?
टीवी रिपेयरिंग करते-करते हम अच्छे टेक्निशियन बन गये. लोग हमें टेलीविजन के मिस्त्री के नाम से पुकारने लगे. एक दिन एक व्यक्ति मेरे घर आये और मेरी मां से पूछा कि मिस्त्री जी कहां हैं?
इसे सुनकर मां को समझने में यह देर नहीं लगी कि यह व्यक्ति उनके बेटे को ही मिस्त्री कह रहा है. मिस्त्री शब्द सुनकर ही हमारी मां का माथा ठनका. बाद में मां ने पिताजी से कहा कि बच्चों को मिस्त्री बनाने के लिए थोड़ी न पढ़ाया है. तब पिताजी ने निश्चय किया कि बच्चे अब नौकरी या मिस्त्री का काम नहीं करेंगे. इसलिए उन्होंने एक दुकान खोलने का निर्णय लिया.
Q दुकान खोलने के लिए पैसों का प्रबंध कैसे हुआ?
पिताजी के सामने यह सवाल जरूर उठा था कि दुकान के लिए पैसे कहां से आयेंगे. तब मां ने पिताजी से कहा कि इतने वर्षों से जहां उन्होंने नौकरी की है वहां से वह ऋण ले लें. पिताजी ने ऋण लिया और इस तरह 1987 में कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी रोड (बसुश्री सिनेमा के विपरीत) में 225 वर्ग फीट की दुकान, खोसला इलेक्ट्रॉनिक्स, के नाम से खुली. यह दुकान किराये पर ली गयी थी.
यह दुकान आज भी हमारे पास है. इस दुकान में हमने टेलीविजन, रेडियो, टेपरिकॉर्डर, कैसेट आदि इलेक्ट्रिकल सामान बेचना शुरू किया. दुकान चल निकली. दो वर्ष में ही पिताजी ने समूचा कर्ज ब्याज सहित चुका दिया. पिताजी ने भी नौकरी छोड़कर हमारे एकाउंट्स का काम संभाल लिया.
Q देशभर में शोरूम का विस्तार कैसे हो सका?
1987 में ही हमने दूसरी दुकान बेकबागान में किराये पर ली. वहां भी हमने यही व्यवसाय शुरू किया. 2003 में गरियाहाट में अपना शोरूम खोला. इसके बाद हर वर्ष शोरूम खुलते गये. आज देश भर में हमारे 44 शोरूम हैं.
बंगाल की बात करें तो हमारे शोरूम उत्तर कोलकाता के बागुईहाटी, नागेरबाजार, बीटी रोड, मध्यमग्राम, सॉल्टलेक, बैरकपुर, कांकुड़गाछी, डनलप, सोदपुर, उल्टाडांगा में हैं, जबकि दक्षिण कोलकाता में हाजरा, गरिया, बेहला, आमतला, बारुईपुर, रानीकुठी, बाटानगर, ढाकुरिया, सलीमपुर व लैंसडाउन में हैं. मध्य कोलकाता में बेकबागान, डलहौसी और थिएटर रोड में हमारे शोरूम हैं. हावड़ा में एसी मार्केट के विपरीत तथा लिलुआ में हैं. आसनसोल में पार्वती आर्केड में शोरूम है. खड़गपुर में भी एक शोरूम है, जबकि हुगली जिले के चुंचुड़ा, श्रीरामपुर और उत्तरपाड़ा में, नदिया के रानाघाट व हाबरा में भी शोरूम हैं.
उत्तर 24 परगना के बारासात, कांचरापाड़ा और कृष्णनगर में भी हमारे शोरूम हैं. लखनऊ के आलमबाग के इंदिरानगर में तथा जयपुर के टोंक रोड के वैशाली नगर में हमारा शोरूम है, जबकि झारखंड के जमशेदपुर के साकची में हमारा शोरूम हैं. यह बताते हुए हमें खुशी है इस वर्ष सितंबर से ही रांची के मेन रोड (कश्मीर वस्त्रालय के सामने) हमारा नया शोरूम खुल गया है. सभी शोरूम का एक ही नाम, खोसला इलेक्ट्रॉनिक्स है.
Q इन सभी शोरूम में आपको सर्वाधिक प्रिय कौन-सा है?
सच कहूं तो हमें सर्वाधिक प्रिय, हमारा सबसे छोटा और सबसे पहला शोरूम जो कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी रोड (हाजरा) में है, वही है. इसे हम मां का शोरूम कहते हैं, क्योंकि इसके करीब ही मां काली का प्रसिद्ध मंदिर, कालीघाट है. हम अपने शोरूम को मां काली का प्रसाद मानते हैं.
Q शोरूम में किन-किन कंपनियों के कौन-कौन से प्रोडक्ट मिलते हैं?
हम अपने शोरूम में कोई लोकल ब्रांड नहीं बेचते हैं. देश-विदेश की प्रसिद्ध कंपनियों के ही उत्पाद हम बेचते हैं. कंपनी से सीधे उत्पाद खरीदते हैं. इनमें टीवी और फ्रिज सोनी, सैमसंग, एलजी, पैनासोनिक आदि के हैं.
वाशिंग मशीन गोदरेज, वर्लपुल, आइएफबी आदि हैं. एयरकंडिश्नर बॉश, हिताची, डायकिन, वोल्टास, ब्लू स्टार, मित्शुबिशी व हायर आदि हैं. मिक्सी में बजाज, मर्फी रिचर्ड्स, उषा, फिलिप्स आदि हैं. किचन चिमनी में कुचिना, फेबर व ग्लेन हैं. मोबाइल में सैमसंग, एप्पल, वीवो, ओप्पो, एमआइ, एलजी, पैनासोनिक आदि हैं. लैपटॉप में एचपी, डेल, लेनोवो आदि हैं. कैमरा में निकॉन व कैनन आदि हैं.
Q देसी शोरूम और विदेशी शोरूम में क्या फर्क है?
दोनों में काफी अंतर है. दोनों में कोई तुलना नहीं हो सकती. विदेशी शोरूम 25 हजार वर्ग फीट तक के होते हैं. इनके मालिक उत्पाद निर्माता कंपनियों को दिशा-निर्देश देते हैं कि उन्हें कैसा उत्पाद चाहिए. यहां तक कि वह उत्पादों के डिजाइन में भी अपने सुझाव देते हैं. इसका अर्थ है कि शोरूम के कहे अनुसार कंपनियां अपने उत्पाद बनाती हैं.
लेकिन देश की बात करें तो यहां के शोरूम में जो भी उत्पाद दिखाये जा रहे हैं ग्राहकों को उसी में से चुनना पड़ता है. इसके अलावा अार्थिक हालात का भी बहुत बड़ा फर्क होता है. विदेशी ग्राहक काफी अधिक खर्च करने में सक्षम होते हैं. इसलिए वह आधुनिक उत्पादों को ही तरजीह देते हैं.
Q ग्राहकों को आप कैसे आकर्षित करते हैं?
ग्राहक हमारे लिए भगवान हैं. ग्राहक की सुविधा और संतुष्टि हमेशा हम ख्याल रखते हैं. हम अपना लाभ न्यूनतम रखकर वाजिब कीमत पर ग्राहक को उत्पाद बेचते हैं. ग्राहकों की संतुष्टि हमारी पहली प्राथमिकता है.
सफलता का यही मूलमंत्र भी है. हम उन्हीं बड़ी कंपनियों के उत्पाद बेचते हैं, जिनमें वारंटी रहती है. वारंटी खत्म हो जाने के बाद भी उसे और बढ़ाने की सुविधा हमारे शोरूम में है. शहरों में हम फ्री डिलीवरी करते हैं. फ्रिज, वाशिंग मशीन, टीवी आदि हम लोगों के घरों में जाकर उसे कंपनी के लोगों से फिट कराते हैं और इसके लिए कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लेते. समय-समय पर हम ग्राहकों के लिए पैकेज ऑफर भी लाते हैं.

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