सीबीआइ घुसकांड : जानें कौन है सीबीआइ के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच झगड़े की वजह बनने वाला मोइन कुरैशी
देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआइ में दो शीर्ष अधिकारियों के बीच जंग अब खुलकर सामने आ गयी है. शायद जांच एजेंसी की इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब बात इनती आगे बढ़ी हो. यहां तक कि केंद्र सरकार तक को इस मामले में कड़ा कदम उठाना पड़ा. इसके दो शीर्ष अधिकारी एक-दूसरे […]
देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआइ में दो शीर्ष अधिकारियों के बीच जंग अब खुलकर सामने आ गयी है. शायद जांच एजेंसी की इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब बात इनती आगे बढ़ी हो. यहां तक कि केंद्र सरकार तक को इस मामले में कड़ा कदम उठाना पड़ा. इसके दो शीर्ष अधिकारी एक-दूसरे पर रिश्वत लेने का आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच की लड़ाई की मौजूदा वजह मीट कारोबारी मोइन कुरैशी है.
15 अक्तूबर को सीबीआइ ने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ एक एफआइआर दर्ज कराते हुए अस्थाना पर मोइन कुरैशी से तीन करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया. इससे पहले, अस्थाना ने कैबिनेट सेक्रेटरी के पास 24 अगस्त को शिकायत की थी कि कुरैशी से जुड़े मामले में आलोक वर्मा ने सतीश सना से दो करोड़ रुपये लिये. अस्थाना ने सीवीसी को भी पत्र लिखकर वर्मा पर सना से दो करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया था.
दरअसल, 1984 आइपीएस बैच के गुजरात कैडर के अफसर अस्थाना कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे. कुरैशी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग को आरोपों में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया था. जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आया. जांच एजेंसी 50 लाख रुपये के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी.
कई बार पूछताछ भी की गयी. सना ने सीबीआइ निदेशक को भेजी शिकायत में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीनचिट देने के लिए पांच करोड़ रुपये मांगे थे. इनमें तीन करोड़ एडवांस दिये गये. दो करोड़ रुपये बाद में देने थे. इस संबंध में सीबीआइ ने पिछले हफ्ते एक बिचौलिये मनोज कुमार को गिरफ्तार किया.
मनोज कुमार ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया कि अस्थाना को कुरैशी की ओर से दो करोड़ रुपये की घूस दी गयी थी. इसके बाद, सीबीआइ ने अस्थाना के खिलाफ एफआइआर दर्ज की. इसके अगले दिन सीबीआइ ने अस्थाना की टीम के माने जाने वाले अपने ही महकमे के डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, वर्मा और अस्थाना के बीच सीबीआइ में काम करते हुए कभी भी अच्छे रिश्ते नहीं रहे. दोनों एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं.
सीबीआइ में 2016 से ही शुरू हुई थी अंदरूनी कलह
सीबीआइ में इस लड़ाई की शुरुआत 2016 में ही शुरू हो गयी थी, जब जांच एजेंसी के सेकेंड अफसर आरके दत्ता का तबादला अचानक गृह मंत्रालय में कर दिया गया था.
वरिष्ठता के हिसाब से दत्ता भावी सीबीआइ निदेशक थे. इनकी जगह राकेश अस्थाना को सीबीआइ का अंतरिम निदेशक बना दिया गया. अस्थाना की नियुक्ति उसी वक्त स्थायी हो गयी होती, पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी.
इसके बाद फरवरी, 2017 में आलोक वर्मा को सीबीआइ निदेशक बना दिया गया. पिछले साल अक्तूबर में वर्मा ने सीवीसी के नेतृत्व वाले पांच सदस्यीय पैनल की बैठक में अस्थाना को विशेष निदेशक प्रमोट किये जाने पर आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि अस्थाना के खिलाफ कई तरह के संगीन आरोप हैं.
उन्होंने आरोप लगाया था कि स्टर्लिंग बायोटेक घोटाले में अस्थाना की भूमिका के कारण सीबीआइ भी घेरे में आ गयी. वर्मा ने कहा कि अस्थाना नंबर-2 के लायक नहीं हैं.वर्मा ने सीवीसी को लिखा कि उन्होंने अपनी तरफ से मीटिंग में शामिल होने के लिए अस्थाना को अधिकृत नहीं किया है.
मोइन मामले में फंस चुके हैं एपी सिंह और रंजीत सिन्हा
मीट कारोबारी कुरैशी के मामले में पूर्व सीबीआइ चीफ रंजीत सिन्हा और एपी सिंह का भी नाम शामिल हैं. एपी सिंह 30 नवंबर, 2010 से 2012 तक सीबीआइ के चीफ रहे.
आरोप है कि सिंह के दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी वाले घर सी-134 से मोइन अपनी कंपनी चला रहे थे. ये संपत्ति एपी सिंह की मां के नाम पर रजिस्टर है. अक्तूबर, 2014 को तब के एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कुरैशी के पूर्व निदेशक एपी सिंह के साथ गहरे ताल्लुकात थे.
19 जून, 2014 को आयकर विभाग ने एपी सिंह और उनकी पत्नी शबनम सिंह को नोटिस जारी करके उनके व्यक्तिगत लेन-देन का ब्योरा मांगा था. इसके तहत एपी सिंह और उनकी पत्नी से उनके आयकर रिटर्न, बड़े लेन-देन, क्रेडिट कार्ड सूचना और 2009 के बाद की चल-अचल संपत्ति और पिछले तीन सालों के दौरान विदेश यात्राओं का ब्योरा देने को कहा गया था.
मामले ने तूल पकड़ा तो एपी सिंह को 15 जनवरी, 2015 को यूपीएससी के सदस्य पद से इस्तीफा देना पड़ा. दरअसल, सीबीआइ निदेशक पद पर रहते हुए एपी सिंह ने नवंबर 2012 में सीबीआइ में दिवाली सेलिब्रेशन के लिए एसएम प्रोडक्शन नाम की कंपनी को ठेका दिया था. एसएम प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड में मोइन कुरैशी की 10 प्रतिशत और उसकी बेटी सिल्विया कुरैशी की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
15 महीने में रंजीत सिन्हा से 90 बार मिला था मोइन कुरैशी
एपी सिंह के बाद सीबीआइ के चीफ बने रंजीत सिन्हा से मोइन कुरैशी की नजदीकियां सामने आयी थीं. सिन्हा से मिलने वालों की डायरी में भी मोइन कुरैशी का नाम आया था.
रंजीत सिन्हा 30 नवंबर 2012 से 2014 तक निदेशक रहे. सिन्हा के 15 महीने के कार्यकाल में मोइन कुरैशी ने 90 बार मुलाकात की थी. कुरैशी के ठिकानों पर जनवरी-अगस्त 2014 में छापे के बाद 74 बार उनकी सिन्हा से मुलाकात के आरोप हैं. ये खुलासा सिन्हा के घर की विजिटर्स डायरी से हुआ था, जिसके जरिये उन पर आरोप लगाये गये थे कि वे 2जी घोटाले के आरोपियों से मुलाकात कर रहे हैं.
सीबीआइ में लंबित महत्वपूर्ण केस
– आइआरसीटीसी स्कैम
– एयरसेल मैक्सिस केस
– आइएनएक्स मीडिया केस
– पीएनबी स्कैम
– बैंक लोन केस
– अगस्ता वेस्टलैंड केस
– स्टर्लिंग बायोटेक केस
– रॉबर्ट वाड्रा धोखाधड़ी केस
– सृजन घोटाला
– गुटखा स्कैम
– मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस
– दाती महाराज रेप केस
राफेल को लेकर प्रशांत भूषण सीबीआइ से लगा चुके हैं गुहार, अब तक केस दर्ज नहीं
मोदी सरकार पर राफेल विमान सौदे में लग रहे कथित घोटाले की जांच को लेकर मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने सीबीआइ का दरवाजा खटखटाया है. हालांकि, अब तक एजेंसी ने इस पर केस दर्ज नहीं किया है.
मोदी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के 2582 केस दर्ज
2018 (जून तक) 314
2017 632
2016 673
2015 617
2014 (जून से दिसंबर) 346
* पीएमओ में मंत्री जितेंद्र सिंह के लिखित जवाब के आधार पर
अस्थाना इन केसों की कर चुके हैं जांच
चारा घोटाला, गोधरा कांड, विजय माल्या बैंक धोखाधड़ी, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला और आसाराम बापू से जुड़े मामला.
ये हैं सीबीआइ जंग के किरदार
पिछले कुछ दिनों से सीबीआइ अचानक विवादों में आ गयी है. देश के इतिहास में पहली बार सीबीआइ को अपने ही आॅफिस में छापा भी मारना पड़ा और अपने आॅफिस की बिल्डिंग को सील भी करनी पड़ी. जानते हैं कि मामले के किरदार कौन-कौन हैं.
राकेश अस्थाना
गुजरात कैडर के 1984 बैच के आइपीएस अफसर इस समय सीबीआइ के विशेष निदेशक हैं. जेएनयू के छात्र रहे अस्थाना ने बिहार का चारा घोटाला और गोधरा ट्रेन में आगजनी मामलों की जांच की थी. स्टर्लिंग बायोटेक में कथित भूमिका के लिए एक याचिका भी दाखिल की गयी थी. सीबीआइ प्रमुख ने आरोप लगाये गये थे कि उन्हें 3.8 करोड़ रुपये घूस के तौर पर मिले थे.
एके शर्मा
गुजरात कैडर के 1987 बैच के आइपीएस अफसर हैं. संयुक्त निदेशक के तौर पर वह 2015 में सीबीआइ में आये. इस साल की शुरुआत में वर्मा के द्वारा उन्हें पदोन्नति देकर अतिरिक्त निदेशक बना दिया गया. इसके साथ ही अस्थाना द्वारा देखे जा रहे सभी मामले उन्हें दे दिये गये.
देवेंद्र कुमार
सीबीआइ में डीएसपी देवेंद्र कुमार को पिछले सोमवार को खुद सीबीआइ ने ही घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, जिसमें अस्थाना पर भी आरोप लगा है. वह मोइन कुरैशी के खिलाफ केस में जांच अधिकारी थे. सीबीआइ ने दावा किया है कि उन्होंने सना का फर्जी बयान तैयार किया, जिसने केस में राहत के लिए घूस देने का आरोप लगाया था.
आलोक वर्मा
आलोक वर्मा 1979 बैच के आइपीएस अफसर हैं. वह एक फरवरी, 2017 से सीबीआइ प्रमुख बने थे. उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की है. इससे पहले वह दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं. विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने दावा किया है कि सना ने वर्मा को दो करोड़ रुपये दिये थे, जिससे वह मोइन कुरैशी केस में बच जाएं.
कौन है सतीश बाबू सना
हैदराबाद के उद्योगपति हैं. एक समय वह आंध्र प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी थे. नौकरी छोड़कर उन्होंने कई कंपनियों में काम किया. उन्हें तमाम पार्टियों से जुड़े बड़े नेताओं का करीबी भी माना जाता है. 2015 में कुरैशी के खिलाफ एक ईडी केस में सबसे पहले उनका नाम सामने आया. अस्थाना की टीम ने केस की जांच की थी.
कौन है मोइन कुरैशी
मोइन कुरैशी का पूरा नाम मोइन अख्तर कुरैशी है. वह कानुपर का मीट कारोबारी है. देहरादून के दून स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद कुरैशी ने 1993 में यूपी के रामपुर में मीट का कारोबार शुरू किया. कुरैशी ने 1995 में शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा से भी हाथ मिला लिया था, लेकिन 2012 में पोंटी चड्ढा की हत्या के बाद उनके बेटे से वह अलग हो गया.
मनोज और सोमेश प्रसाद
मनोज दुबई से काम करने वाला बिचौलिया है, जिसे सीबीआइ ने पकड़ा है. उसे निवेशक बैंकर कहा जाता है और अपने भाई सोमेश के साथ वह कई दूसरे उद्योगों से भी जुड़ा है. दोनों का नाता यूपी से है और एक दशक से विदेश में हैं. दुबई आने से पहले सोमेश लंदन गया था. सना ने दावा किया है कि मनोज ने उसका नाम हटवाने के लिए 5 करोड़ रुपये मांगे थे, जो अस्थाना को दिया जाना था
बेटी की शादी के बाद निशाने पर आया था कुरैशी
कुरैशी की बेटी पर्निया फैशन स्टोर चलाती है, उसकी शादी लंदन बेस्ड सीए अजीत प्रसाद के बेटे अर्जुन से हुई, ये परिवार पूर्व कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद के परिवार का करीबी माना जाता है. बेटी की शादी में राहत फतेह अली खान को गाने के लिए बुलाया गया था. वह 56 लाख की विदेशी मुद्रा के साथ पकड़े गये थे, ये पैसे किसने दिये, कहां से आये इन सवालों की पड़ताल के बाद कुरैशी आयकर विभाग के रडार पर आ गया.
सीवीसी ने दिया नाम नंबर वन और नंबर दो
सीबीआइ के दो बड़े अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच शुरू हुए विवाद में रोज नयी बातें सामने आ रही है. 1979 बैच के आइपीएस अफसर आलोक वर्मा एक फरवरी, 2017 को सीबीआइ चीफ बनाये गये.
कुछ समय बाद मोदी सरकार ने 1984 बैच गुजरात कैडर के आइपीएस अफसर राकेश अस्थाना को सीबीआइ का स्पेशल डायरेक्टर बना दिया. अक्तूबर, 2017 में वर्मा ने सीवीसी के नेतृत्व वाले पांच सदस्यीय पैनल की बैठक में अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर प्रोमोट किये जाने पर आपत्ति जतायी. इसके बाद आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच तकरार खुलकर सामने आ गया. हालांकि, वर्मा की आपत्तियों को पैनल ने खारिज कर दिया और अस्थाना को प्रोमोट कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने भी अस्थाना को क्लीन चिट दी.
यह तकरार तब और बढ़ गयी, जब जुलाई में सीवीसी ने सीबीआइ में प्रोमोशन को लेकर चर्चा करने के लिए अस्थाना को एजेंसी में नंबर दो की हैसियत में बुलाया गया. जब यह बात वर्मा को पता लगी तो उन्होंने सीवीसी को लिखा कि उन्होंने अपनी तरफ से मीटिंग में शामिल होने के लिए अस्थाना को अधिकृत नहीं किया है.
स्टर्लिंग बायोटेक केस से जुड़े हैं अस्थाना
स्टर्लिंग बायोटेक के तार अस्थाना से भी जुड़े हुए हैं. स्टर्लिंग बायोटेक पर वड़ोदरा में राकेश अस्थाना की बेटी की शादी में काफी महंगी रिसेप्शन पार्टी का आयोजन करने का आरोप है. इस मामले की भी सीबीआइ जांच कर रही है. गुजरात के संदेसरा ग्रुप की कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक पर आरोप है कि कंपनी ने आंध्रा बैंक के नेतृत्व वाली बैंकों की कंसोर्टियम से 5000 करोड़ से ज्यादा का लोन लिया, जो अब एनपीए में तब्दील हो गया है.
सीबीआइ ने इस मामले में स्टर्लिंग बायोटेक के निदेशक चेतन जयंतीलाल संदेसारा, दीप्ति चेतन संदेसारा, नीतिन जयंतीलाल संदेसारा और विलास जोशी, चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत हाथी, अनूप प्रकाश गर्ग समेत कुछ और लोगों को आरोपी बनाया है. 2016 को केस दर्ज की गयी थी.
क्या हुआ अब तक
21 अक्तूबर : राकेश अस्थाना के खिलाफ घूसखोरी के मामले में केस दर्ज
22 अक्तूबर : सीबीआइ के डीएसपी देवेंद्र कुमार गिरफ्तार
23 अक्तूबर : राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा पर झूठे मामले में फंसाने का आरोप लगाया
23 अक्तूबर : कोर्ट ने देवेंद्र कुमार को एजेंसी की सात दिन की हिरासत में भेजा
23 अक्तूबर : राकेश अस्थाना अपने खिलाफ एफआइआर दर्ज किये जाने के खिलाफ दिल्ली हाइकोर्ट पहुंचे
23 अक्तूबर : देवेंद्र कुमार ने राकेश अस्थाना की कथित संलिप्तता के रिश्वतखोरी मामले में अपनी गिरफ्तारी को दिल्ली हाइकोर्ट में चुनौती दी
23 अक्तूबर : सीवीसी ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को हटाने का फैसला किया, सरकार को अपने फैसले की जानकारी दी
23 अक्तूबर : सरकार ने सीवीसी की अनुशंसा पर विचार किया, वर्मा और अस्थाना को हटाने का आदेश तैयार किया गया
24 अक्तूबर : पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली नियुक्ति समिति ने ज्वॉइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को सीबीआइ डायरेक्टर के पद का प्रभार सौंपा
24 अक्तूबर : आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को सरकार ने छुट्टी पर भेजा
कभी प्रतिष्ठित जांच एजेंसी रही, लेकिन अब प्रधानमंत्री सुनिश्चित कर रहे हैं कि सीबीआइ की निष्ठा और विश्वसनीयता खत्म हो जाये. राफेल घोटाले में भ्रष्टाचार की परतों की जांच करने की इच्छा के कारण सीबीआइ निदेशक को बर्खास्त किया गया? क्या यह मामले को दबाने की कोशिश नहीं है? प्रधानमंत्री जवाब दें.
रणदीप सुरजेवाला, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस
सीबीआइ में पहले भी काफी कुछ गलत एवं अनर्थ होता रहा है. अब जो कुछ उठापटक हो रही है, वह देश के लिए चिंता की बात है. सीबीआइ पर लोगों का भरोसा बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट वर्तमान संकट पर संज्ञान ले.
मायावती, बसपा प्रमुख
मोदी सरकार द्वारा अपने उस चहेते अधिकारी को बचाने के लिए सीबीआइ प्रमुख को गैरकानूनी तरीके से हटाया गया है, जिस पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही थी. सरकार हड़बड़ी में कार्रवाई कर क्या छुपाना चाहती है.
सीताराम येचुरी, माकपा महासचिव
सीबीआइ निदेशक को छुट्टी पर भेजने के पीछे की वजह क्या है? लोकपाल अधिनियम के तहत नियुक्त किये गये एक जांच एजेंसी के प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार मोदी सरकार को किस कानून के तहत मिला.
अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली
सीबीआई अब तथाकथित बीबीआइ (बीजेपी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) बन गयी है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. केंद्र सरकार ने सीबीआइ सहित हर संवैधानिक और स्वायत्त संस्थाओं को संकट में डाल रखा है.
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
सीबीआइ के निदेशक को जबरन छुट्टी पर भेजने तथा संयुक्त निदेशक को अंतरिम व्यवस्था के तौर पर निदेशक का प्रभार देने के सरकार के फैसले की मैं निंदा करता हूं. सरकार द्वारा जो कुछ भी किया गया है वह संवैधानिक रूप से गलत है.
शरद यादव, समाजवादी नेता