मानसी अपने गायन से देश में मचा रहीं धमाल
कोरनेलियुस मिंज झारखंड की मानसी बा इन दिनों जैज और ब्लूस गायन से देशभर में धमाल मचा रही हैं. दिल्ली, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला, अंडमान के पोर्ट ब्लेयर और सिक्किम के गैंगटॉक जैसे शहरों के धर्मशालाओं, रेस्टोरेंट, कैफे और पब आदि मेंं मानसी बा की लाइव प्रस्तुति की मांग जोरों पर है. झारखंड के सिमडेगा […]
कोरनेलियुस मिंज
झारखंड की मानसी बा इन दिनों जैज और ब्लूस गायन से देशभर में धमाल मचा रही हैं. दिल्ली, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला, अंडमान के पोर्ट ब्लेयर और सिक्किम के गैंगटॉक जैसे शहरों के धर्मशालाओं, रेस्टोरेंट, कैफे और पब आदि मेंं मानसी बा की लाइव प्रस्तुति की मांग जोरों पर है.
झारखंड के सिमडेगा जिले की बुढ़ीखुदर गांव की रहने वाली मानसी न सिर्फ अपनी आवाज का जादू देशभर में बिखेर रही हैं, बल्कि उनकी गायिकी की वजह से लोग झारखंड की प्रतिभा से रूबरू हो रहे हैं.
मानसी बा खड़िया के बड़े साहित्यकार जुलियस बा की पोती हैं. जुलियस बा की खड़िया में कई पुस्तकें हैं. वह खड़िया के आरंभिक दौर के बड़े साहित्यकार हैं.
मानसी की प्रारंभिक शिक्षा गुवाहाटी में हुई. उसके बाद उनके पिताजी की पोस्टिंग सिकंदराबाद में हुई, तो वहां चली गयीं. फिर दिल्ली, बेंगलुरु और कोयंबटूर में पढ़ाई की. उन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से गणित में बीएससी किया है. उसके बाद जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली से ही 2015 में आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स में मास्टर की डिग्री प्राप्त की. मानसी बा ने संगीत की औपचारिक शिक्षा नहीं ली है.
गायक और गिटारिस्ट पिताजी अल्बर्ट बा को बचपन से गाते देख गाने में उनकी रुचि जगी. मानसी दस वर्ष की आयु से ही गाना प्रारंभ कर दिया था. दिल्ली में रहने के दौरान कॉन्वेंट जाने के दौरान उन्हें गाने का मौका मिला था. उसके बाद पल्लवी मॉडल स्कूल हैदराबाद में जब वह तीसरी कक्षा में थीं, तब उन्होंने खुद से वहां पर टैलेंट शो इवेंट का आयोजन कराया था.
उस आयोजन के लिए उन्होंने पैसे भी इकट्ठे किये थे. उसमें उन्होंने डांस किया था और गीत भी गाया था. 2001 में लोरेटो कॉन्वेंट दिल्ली में नामांकन कराया गया, तब उन्हें सोशल और सांस्कृतिक कार्यक्रम करने अधिक अवसर मिला. वह बचपन से ही स्कूल और अन्य गीतों में भाग लेती रही हैं. 2003 में सातवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान उन्होंने सोलो परफॉरमेंस किया था.
प्रारंभ में मानसी बा पॉप रॉक गायन करती थीं. 2005 के बाद उनका झुकाव जैज और ब्लूस स्टाइल की ओर होने लगा. बॉलीवुड के पुराने फिल्मी गीत जो जैज स्टाइल में उन्हें आकर्षित किया. बतौर मानसी बा अपने को बेहतर तरीके प्रस्तुत करना यह स्टाइल सबसे अच्छा है. साथ ही जैज और ब्लूस ‘शैली इंडिजीनस ‘शैली है. इसे बाद में सभी ने अपनाया.
इसके कारण उनका रुझान और बढ़ा. मानसी बा ने 2010 में जैज स्टाइल की पहली प्रस्तुति दिल्ली में दी. अब पब, कैफे और रेस्तरां में जैज और ब्लूस गायन के लिए बुक की जाती हैं. इल्लाफिट्ज जेराल्ड मानसी बा की जैज स्टाइल गायन की आदर्श हैं. उनके रिकॉर्ड गीतों को सुन-सुनकर उन्होंने जैज स्टाइल गायन में खुद को मांजने का काम किया है. अब खुद के लिखे अंग्रेजी गीत गाती हैं.
वह नागपुरी, हिंदी और झारखंड की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में जैज और ब्लूस स्टाइल में गाने की तैयारी कर रही हैं. नागपुरी के आठ गीत तैयार किये गये हैं. आकाशवाणी रांची के वरीय उद्घोषक ओली मिंज ने नागपुरी और हिंदी के जैज गीतों को तैयार किया है. नवंबर में उनकी नागपुरी जैज एलबम बाजार में आ जायेगी. इसके लिए वह भाषाई पकड़ बना रही हैं.
नागपुरी में फर्राटेदार बोलने का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रही हैं. झारखंड की संस्कृति उनके मन को छूती है, लेकिन इसे देश और विश्व स्तर पर अलग पहचान दिलाने के लिए कुछ मॉडिफाई करके गाना चाहती हैं. नागपुरी को प्रमोट करना और समृद्ध संस्कृति को बचाये रखना चाहती हैं. नागपुरी के डमकच को जैज स्टाइल में गाती हैं. नागपुरी के बाद जल्द ही खड़िया में भी जैज व ब्लूस गायन करेंगी.