विदेशों में छठ : सिंगापुर में भी गूंज रहा है ”छठ करब जरूर”

पवन प्रत्यय आधुनिकता की चकाचौंध में भी अपनी संस्कृति व परंपरा को जीवंत रखने का पर्व ही छठ है. बिहार-झारखंड के लोग जो नौकरी के सिलसिले में सात समंदर पार विदेशों में हैं, वे भी हर साल अपनी माटी के लोकपर्व को याद करते हैं. यह कहा भी गया है कि अपनी जड़, सभ्यता व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2018 6:29 AM
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पवन प्रत्यय
आधुनिकता की चकाचौंध में भी अपनी संस्कृति व परंपरा को जीवंत रखने का पर्व ही छठ है. बिहार-झारखंड के लोग जो नौकरी के सिलसिले में सात समंदर पार विदेशों में हैं, वे भी हर साल अपनी माटी के लोकपर्व को याद करते हैं. यह कहा भी गया है कि अपनी जड़, सभ्यता व संस्कारों को कभी दरकिनार नहीं करना चाहिए.
बिहार-झारखंड व पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ इस पर्व का फैलाव-विस्तार अन्य जगहों पर काफी तेजी से हुआ है. इन प्रदेशों के विदेशों में रहनेवाले लोग इस मौके पर आस्था में लीन रहते हैं. पटना जिले के फतुहा के अवधेश प्रसाद पिछले 19 वर्षों से सिंगापुर में रहते हैं. अवधेश यहां शिपिंग मैनेजर हैं.
लगातार वहां रहने के कारण उन्हें वहां की नागरिकता भी मिल गयी है. व्यस्तता के कारण वे इस मौके पर घर नहीं आ पातेहैं. लेकिन, सिंगापुर में ही उत्सव व विधि-विधान के साथ इस पर्व को मनाते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि यहां बिहार-झारखंड के लोगों की एक सोसाइटी ‘बिजहार’ (बिहार-झारखंड) है, जो इस मौके पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराती है. अवधेश इस सोसाइटी के मुख्य सलाहकार हैं.
सोसाइटी का नाम ‘बिजहार’ रखने के बारे में पूछने पर वे कहते हैं, मूल रूप से बिहार- झारखंड से आनेवाले लोग इसमें हैं इसलिए इसका नाम बिहार और झारखंड को मिलाकर ‘बिजहार’ रखा गया है. 350 सदस्यों वाली इस सोसाइटी के लोग छठ के मौके पर सिंगापुर के इस्ट कोस्ट पार्क के पास जुटते हैं और इस पर्व को मनाते हैं.
पटना के रहनेवाले सिद्धार्थ सिंगापुर में क्यूइस्ट ग्लोबल कंपनी में सेल्स मैनेजर हैं. छुट्टी नहीं मिलने के कारण वे इस बार छठ के मौके पर घर नहीं आ रहे हैं. लेकिन, सिंगापुर में छठ की तैयारी से सिद्धार्थ काफी खुश हैं.
वे कहते हैं, सोसाइटी के लोगों के उत्साह से घर की कमी नहीं खल रह रही है. ‘बिजहार’ के अध्यक्ष ध्यानचंद झा देवघर के हैं. छठ को लेकर वे काफी उत्साहित हैं. कहते हैं, सोसाइटी के सक्रिय सदस्यों के कारण हर साल यह पर्व यादगार होता है. सिंगापुर की लाेकल पत्रिकाओं में भी इस पर्व के बारे में प्रकाशित कराया जाता है.
ध्यानचंद्र झा की पत्नी ममता झा खासकर इस मौके पर काफी सक्रिय रहती हैं. वे कहती हैं, चाहे हम कभी भी रहें इस लोकपर्व को नहीं छोड़ सकते हैं. पटना के साकेत समीर, ब्रजेश करजीह व रामगढ़ के प्रकाश हेतसारिया सिंगापुर में ‘बिजहार’ के सक्रिय सदस्यों में से हैं. इस पर्व की तैयारी में इनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहती है. और अंत में, सोसाइटी के लोगों से जुड़े केरल के मिस्टर पिल्लई भी इस पर्व पर कहते हैं- छठी मइया की जय.
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