डॉ भावना, साहित्यकार
छठ कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला अत्यंत पवित्र पर्व है. सूर्य उपासना का यह पर्व ऋगवैदिक काल से मनाया जाता रहा है. इसकी चर्चा विष्णु पुराण, भगवत पुराण ,ब्रह्मा वैवर्त पुराण आदि में विस्तार से मिलती है. पौराणिक काल से सूर्य को आरोग्य का देवता माना जाता है. सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की अकूत क्षमता होती है.
छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी और पवित्रता है. भक्ति ,अध्यात्म और प्रकृति के त्रयी से परिपूर्ण यह पर्व सामाजिक समरसता का अद्भुत नमूना है. इसकी अभिव्यक्ति छठ के गीतों में भी खूब देखने को मिलती है. इस व्रत में घर-परिवार पूजा व आराधना में पूरी श्रद्धा से जुटा रहता है. घर की बहुएं एवं बेटियां जहां प्रसाद बनाने में मग्न होती हैं. वहीं,पुरुष छठ घाट की सफाई से लेकर लीपने-पोतने तक की जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं. कहने का अर्थ यह है कि यह पर्व जनसामान्य द्वारा अपने रीति रिवाजों के रंगों में गढ़ी उपासना पद्धति है, जिसके केंद्र में मनुष्यता है.