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मंगल ही है मंगल का कारक
श्रीपति त्रिपाठी, ज्योतिषविद् : पराक्रम का प्रतीक मंगल जब मेष राशि का होकर पंचम विद्या, बुद्धि, संतान, मनोरंजन, प्रेमभाव में हो, तो थोड़ी इन बातों में कमी के बाद परिश्रम द्वारा सफलता प्राप्त होती है, जबकि आय भाव के स्वामी के यहां से आय को देखने से आय में कमी नहीं होती. मं गल के […]
श्रीपति त्रिपाठी, ज्योतिषविद् : पराक्रम का प्रतीक मंगल जब मेष राशि का होकर पंचम विद्या, बुद्धि, संतान, मनोरंजन, प्रेमभाव में हो, तो थोड़ी इन बातों में कमी के बाद परिश्रम द्वारा सफलता प्राप्त होती है, जबकि आय भाव के स्वामी के यहां से आय को देखने से आय में कमी नहीं होती.
मं गल के साथ सूर्य हो तो संतान कष्ट होता है या गर्भपात की नौबत आती है. विद्या में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. चंद्र साथ हो तो मिले-जुले परिणाम मिलते हैं. बुध साथ हो तो प्रयत्नपूर्वक सफलता मिलती है. गुरु साथ होने पर गुरु का फल नगण्य-सा हो जाता है. शुक्र साथ होने पर विद्या में उत्तम सफलता मिलती है.
ऐसा जातक प्रेमी होता है. मिली-जुली संतान होती है. शनि साथ हो तो भाग्येश उच्च का होगा, लेकिन मंगल के साथ होने से नुकसानप्रद भी बनता है. संतान आदि में बाधा रह सकती है. आर्थिक मामलों में उतार-चढ़ाव रहता है. ऐसी स्थिति में तीन धातुओं से बनी सोना, चांदी, तांबा आदि की अंगुठी विशेष मुहूर्त में धारण करने से लाभ होता है.
राहु साथ होने पर संतान को कष्ट या संतान होने में देरी होती है. आयेश मंगल जब मेष राशि का होकर पंचम विद्या, बुद्धि, संतान, मनोरंजन, प्रेम भाव में हो तो थोड़ी इन बातों में कमी के बाद परिश्रम द्वारा सफलता मिलती है. जबकि आय भाव का स्वामी यहां से आय को देखने से आय में कमी नहीं लाता है.
केतु साथ हो तो गर्भपात होता है व ऑपरेशन द्वारा संतान के योग बनते हैं. मंगल षष्ठ शत्रु, रोग, कर्ज नाना- भाव में हो तो एकादशेश स्वराशि का होने से शत्रु परास्त होते हैं. पुराना कर्ज खत्म होता है व नाना-मामा से लाभ रहता है. विशेष मंगल की महादशा में लाभ होता है. मंगल के साथ सूर्य हो तो प्रबल रूप से शत्रु हंता होता है.
मित्रों, साझेदारों से कम ही बनती है. चंद्र साथ होने पर धन की बचत कम होती है. बुध साथ हो तो बाहर से लाभ मिलता है. गुरु साथ होने पर नौकरी, व्यापार आदि में स्वप्रयत्नों से लाभ रहता है. पिता से भी लाभ मिलता है. शुक्र साथ होने पर विदेश से या जन्मस्थान से दूर रहकर सफलता पाता है.
शनि साथ हो तो प्रबल रूप से शत्रु नाश होता है, लेकिन नाना-मामा का घर ठीक नहीं रहता. यानी ननिहाल के लिए ऐसे जातक नुकसानप्रद रहते हैं. राहु साथ होने पर गुप्त शत्रुओं से परेशानी उत्पन्न होती है व कर्ज भी हो सकता है. बवासीर रोग से ग्रसित होना संभव है. केतु साथ हो तो पशु से चोट लग सकती है.
ग्रहों के प्रतिकूल होने पर उपाय करें
अत: जिन जातकों के कुंडली में मंगल अशुभ है, उन्हें मंगल से संबंधित उचित ज्योतिषीय उपचार करने से ग्रह मोदित होकर शुभ फल प्राप्त हो सकता है या ग्रह को प्रसन्न करके अनुकूल बना सकते हैं. जैसे मंगल का वैदिक मंत्रोच्चार -ॐ अं अंगारकाय नमः का 108 बार जप करना अतिलाभकारी है.
इसके अलावा मसूर दाल, गुड़, रक्त चंदन, रक्त वस्त्र, लाल फूल, तांबा, केसर व कस्तूरी का यथासंभव मंगलवार को दान करने से मंगल के अनिष्ट फल से बचा जा सकता है. इस बारे में विशेष जानकारी के लिए ज्योतिषीय परामर्श कर लेना उचित है.
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