कविता : कि हम दोनों कितने सुंदर हैं
कुमार मुकुल कवि kumarmukul07@gmail.com कि हम दोनों कितने सुंदर हैं चिंतित है वह कि पहले सी सुंदर ना रही जानता हूं मैं कि पहले सा सुर्खरू ना रहा भविष्यवाणी है नास्त्रेदमस की के 2018 के बाद दुनिया सुंदर नहीं रह जायेगी और 2025 के बाद रह जायेंगे लोग गिनती के पर सोचता हूं मैं कि […]
कुमार मुकुल
कवि
kumarmukul07@gmail.com
कि हम दोनों कितने सुंदर हैं
चिंतित है वह
कि पहले सी सुंदर ना रही
जानता हूं मैं
कि पहले सा सुर्खरू ना रहा
भविष्यवाणी है नास्त्रेदमस की
के 2018 के बाद दुनिया
सुंदर नहीं रह जायेगी
और 2025 के बाद
रह जायेंगे लोग गिनती के
पर सोचता हूं मैं
कि 2025 के बाद के जनशून्य और
खाली-खुली दुनिया में
हम घूमेंगे साथ-साथ
हाथों में हाथ डाले
तब शायद
उस समय का दुनियावी सन्नाटा कहे
कि हम दोनों कितने सुंदर हैं.
जो जीवन ही परे हट जाये
एक सभा में मुलाकात के बाद
चैट पर बताती है एक लड़की
कि आत्महत्या करनेवाले
बहुत खींचते हैं उसे
यह क्या बात हुई …
यूं मेरे प्रिय लोगों की लिस्ट में भी
आत्महंता हैं कई
वान गॉग, मरीना, मायकोवस्की
और मायकोवस्की की आत्महत्या के पहले
आधीरात को लिखी कविता तो खीचती है
तारों भरी रात की मानिंद
पर आत्महनन मेरे वश का नहीं
सोचकर ही घबराता हूं कि
रेल की पटरी पर मेरा कटा सर पड़ा होगा
और पास ही होगा नुचा चुंथा धड़
पर मेरे एक मित्र ने भी
हाल ही कर ली आत्महत्या
नींद की गोलियां खाकर
ठीक ही तो था
मेरी ही तरह हंसमुख
हा हा हा
क्या मैं अब भी हंसमुख हूं
नींद की गोलियां तो मैंने भी खायी थीं
पता नहीं बच गयी कैसे
क्या … पागल हो क्या …
बहुत परेशान थी सर
प्यार किया था फिर पता चला
उसके विवाह के अलावे संबंध हैं कई
उधर घरवाले
रोज एक लड़का ढूंढ ला रहे थे
तो … क्या हुआ
जीवन का मुकाबला करना सीखो
पर मुकाबले से
जीवन ही परे हट जाये
तो … तो सर.