सर्दियों में बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा, जानें कारण और बचाव के उपाय
डॉ वरुण कुमार हृदय रोग विशेषज्ञ, आर्किड मेडिकल सेंटर, रांची सर्दियों में रक्तवाहिनियां सिकुड़ जाने का असर हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियों पर पड़ता है, इसलिए हृदय रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. ठंड के प्रति संवेदनशील होने के कारण बच्चे, बुजुर्ग और हृदय रोगियों में ठंड के मौसम में हाइपोथर्मिया […]
डॉ वरुण कुमार
हृदय रोग विशेषज्ञ,
आर्किड मेडिकल सेंटर, रांची
सर्दियों में रक्तवाहिनियां सिकुड़ जाने का असर हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियों पर पड़ता है, इसलिए हृदय रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. ठंड के प्रति संवेदनशील होने के कारण बच्चे, बुजुर्ग और हृदय रोगियों में ठंड के मौसम में हाइपोथर्मिया का खतरा भी रहता है. सर्दियों में कोरोनरी हृदय रोग से पीड़ित लोग अक्सर एनजाइना (सीने में दर्द या बेचैनी) से पीड़ित रहते हैं.
असल में तापमान में गिरावट मूल कारण है. सर्दियों में शरीर के तापमान में कमी और विटामिन डी के स्तर में कमी और रक्त के गाढ़ेपन में वृद्धि कर हृदय रोगों का जोखिम बढ़ा देती है. जबकि तेज हवा और बारिश शरीर के तापमान को और कम कर देते हैं. इस कारण रक्तचाप अचानक बढ़ जाता है, जिससे दिल के दौरे का जोखिम उत्पन्न हो जाता है.
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिसर्च के मुताबिक गर्मियों के मुकाबले सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक और स्ट्रोक से होने वाली मौत के मामले 26 से 36 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं.
इस बारे में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ वरुण कुमार बताते हैं कि इस मौसम में 40 वर्ष की आयु से ऊपर के व्यक्तियों को दिल के दौरे का खतरा अधिक होता है, जिससे दिल की मांसपेशियों को गंभीर नुकसान पहुंचता है. उच्च रक्तचाप से मोटापा, कोलेस्ट्रॉल के स्तर, मधुमेह या अत्यधिक धूम्रपान सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने के मामलों को ट्रिगर करनेवाले कारकों में शामिल हैं. इसलिए सर्दियों के दौरान व्यस्कों व खासकर बुजुर्गों को नियमित स्वास्थ्य जांच कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है. रक्त में ग्लूकोज और कोलेस्ट्रॉल के स्तर का ध्यान रखा जाना चाहिए. साथ ही शराब के सेवन और जंक फूड से बचना चाहिए.
कैसा हो आपका खान-पान : सादा, संतुलित और पौष्टिक खानपान अपनाएं. ज्यादा घी-तेल और मसाले युक्त आहार से बचें. एल्कोहॉल और सिगरेट से दूर रहें. एल्कोहॉल लेने के बाद हार्ट के पंपिंग की गति अनियंत्रित हो जाती है. इससे शरीर के विभिन्न हिस्सों तक सही ढंग से रक्त प्रवाह नहीं हो पाता. जबकि सिगरेट में मौजूद निकोटीन हृदय की रक्तवाहिका नलियों के भीतरी हिस्से को नुकसान पहुंचाता है. सिगरेट पीने से दिल की धड़कन तेज हो जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जो हार्ट अटैक का बहुत बड़ा कारण है. क्रीमयुक्त दूध के बजाय स्किम्ड मिल्क लें. रोज हरी सब्जियां और फल जरूर लें. नॉन-वेजटेरियन हैं, तो रेड मीट से दूर रहें. एग व्हाइट का ही सेवन करें. हां, मछली ले सकते हैं. इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल के लिए फायदेमंद है.
क्या हैं कारण
ठंड के मौसम में धुआं और प्रदूषण वातावरण में जमीनी स्तर पर घिरे रहने से छाती में संक्रमण और सांस लेने की समस्याएं पैदा करते हैं.
सर्दियों में बीपी बढ़ा रहता है और रक्त की आपूर्ति की कमी के कारण रक्त वाहनियां सिकुड़ जाती हैं. चूंकि इस मौसम में पसीना नहीं होता, अतिरिक्त पानी फेफड़ों में जमा होने से हार्ट फेल्योर के मामले होते हैं.
सर्दियों में हम ज्यादा कैलोरीयुक्त आहार लेने लगते है. इस कारण कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने की संभावना अधिक होती है तथा ब्लड सर्कुलेशन अवरुद्ध होने लगता है.
कैसे पहचानें खतरे के संकेत
अपना फ्लूड इनटेक और मूत्र त्याग को मापें. आप जिस अनुपात में पानी पी रहे हैं, उसके मुकाबले यदि आपका पेशाब कम हो रहा, तो इसका मतलब है कि तरल पदार्थ फेफड़ों में जमा हो रहा है, जो जल्द ही हार्ट फेल्योर के लक्षणों के रूप में सामने आयेगा. अगर आपकी छाती में जलन या बेचैनी महसूस होती है. जबड़े या हाथ में दर्द होकर छाती तक फैलता हो. अचानक थकावट या पसीना महसूस करना.
बचाव के तरीके
अपना एक्सरसाइज न छोड़ें. ठंड में आप घर के अंदर योग, मेडिटेशन आदि करें. नमक और पानी का सेवन कम किया जाना चाहिए, क्योंकि पसीना नहीं होने से शरीर में इसकी कमी नहीं होती.अपने बीपी का नियमित मॉनिटरिंग करें. यदि यह लगातार उच्च स्तर पर है, तो अपने हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें. सोने से पहले 2 मिनट के लिए गर्म पानी से भाप लें. इससे हाइ ब्लड प्रेशर,डायबिटीज और दिल के रोगियों को राहत मिलती है.
यदि संक्रमण के लक्षण देखे जाते हैं, तो तुरंत चिकित्सक की सलाह से एंटीबायोटिक्स के उचित उपयोग के साथ इलाज किया जाना चाहिए. अपनी दवा बिल्कुल न छोड़ें.
उच्च रक्तचाप वाले लोगों को सुबह टहलने से बचना चाहिए, क्योंकि रक्तचाप में ठंड की सुबह दिल के दौरे का जोखिम 50% अधिक होता है. दिल की बीमारियों के अलावा, गंभीर ठंड से श्वसन नली का संक्रमण, जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस के साथ छाती में दर्द के मामले भी बढ़ते हैं.
सांस फूलने की शिकायत को भी इस मौसम में बिल्कुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. सांस फूलने की परेशानी फेफड़ों में इन्फेक्शन के कारण भी हो सकती है. यदि किसी की सांस अचानक बैठे-बैठे भी फूलने लगे, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए. इसमें जरा भी लापरवाही घातक हो सकती है.
क्यों बढ़ता है बीपी
सर्दियों में तापमान कम होने से रक्त वाहनियां संकरी हो जाती हैं. संकरी शिराओं और धमनियों में रक्त के संचारण के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है. इससे रक्तदाब बढ़ जाता है.
सर्दियों में अमूमन शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है. इससे भी रक्त का दाब बढ़ जाता है. रक्तदाब बढ़ने से स्ट्रोक, हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है.
सर्दियों में शरीर के तापमान और ऊष्मा के स्तर को बनाये रखने के लिए रक्त के प्रवाह को रोकता है. इससे रक्त के संचरण के लिए अधिक बल लगाना पड़ता है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. हाल के रिसर्च में यह बात भी सामने आयी है कि सर्दियों में सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है और शरीर में कैटेकोलामिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो धड़कनों को बढ़ाकर ब्लड प्रेशर बढ़ा देता है.