वर्षांत 2018 : संगीत व नृत्य में अनेक अहम उपलब्धियां

भरत तिवारी कला समीक्षक संगीत रूहों की रूह है. उसके बारे में लिखा क्या जाये? इधर कानों में इसका घुलना शुरू हुआ और उधर रूह जुड़ गयी उससे, जिसे कोई ईश्वर कहता, कोई खुदा. उस्ताद अमजद अली खान के पिता- ग्वालियर के उस्ताद मरहूम हाफिज अली खान- ने उनसे कहा, सारे इंसान एक ही तरीके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2018 6:16 AM

भरत तिवारी

कला समीक्षक

संगीत रूहों की रूह है. उसके बारे में लिखा क्या जाये? इधर कानों में इसका घुलना शुरू हुआ और उधर रूह जुड़ गयी उससे, जिसे कोई ईश्वर कहता, कोई खुदा. उस्ताद अमजद अली खान के पिता- ग्वालियर के उस्ताद मरहूम हाफिज अली खान- ने उनसे कहा, सारे इंसान एक ही तरीके से आते हैं और एक ही तरीके से जाते हैं, इसलिए सबका भगवान एक ही है. हां, अगर आने-जाने का तरीका अलग होता, तो शायद दूसरे की गुंजाइश बनती.

गुरु-शिष्य परंपरा को जिलाते हुए उन्होंने तीन शामों को अपने तीस से अधिक शागिर्दों के संगीत से सजवाया. दीक्षा की ओपनिंग में मौजूद भारत सरकार के संस्कृति सचिव अरुण गोयल ने खान साहब को यह भरोसा दिलाया कि दीक्षा के हर वर्ष किये जाने की उनकी इच्छा पूरी होगी. उनके वादे को सुन कर डॉ सच्चिदानंद जोशी खूब प्रसन्न दिखे. डॉ जोशी राजधानी के संगीत माहौल को उसके प्रति अपनी सांस लेती चाहत से ऊंचाई पर लिये जा रहे हैं.

आइजीएनसीए की दूसरी ओवरनाइट कॉन्सर्ट में अयान अली बंगश ने अच्छा समां बांधा, दिल्ली घराने के खलीफा उस्ताद इकबाल अहमद खान ने अलसुबह कार्यक्रम को अपनी बंदिशों से विराम दिया. शुक्रिया अदा करने आये मेंबर सेक्रेटरी जोशी जी ने बताया कि उनकी इच्छा अब 24 घंटे चलनेवाला आयोजन करने की है.

इस वर्ष नृत्य की सबसे बड़ी उपलब्धि सोनल मानसिंह का राज्यसभा में पहुंचना है. उनका विस्तृत फलक कला को अवश्य वह जरूरी आयाम देगा, जिसकी भारतीय नृत्य और संगीत को लंबे अरसे से प्रतीक्षा है.

अगर संगीत ईश्वर है, तो पंडित उल्हास कशालकर का गायन उसकी आवाज है. उन्हें इस वर्ष दो बार सुना. पहली दफा उमा शर्माजी के स्वामी हरिदास तानसेन संगीत नृत्य महोत्सव में और दूसरी बार शोभा दीपक सिंह जी के श्रीराम शंकर लाल म्यूजिक फेस्टिवल में. जनवरी और मार्च में होनेवाले यह दोनों समारोह दिल्ली के पुराने संगीत प्रेमियों की जान हैं. इसके इतिहास और इससे जुड़े लोगों के चलते यह लेखक तो इन्हें ‘उस्तादों का अपना उत्सव’ कहता है.

अदिति मंगलदास का नृत्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य का, बगैर उसके मूल से छेड़छाड़ किये, अंतरराष्ट्रीयकरण है. वर्ष की शुरुआत को उनके नृत्य की आणविक गति और प्रकाश के संयोजन ने सही दिशा दी, उनके द्वारा आयोजित की जा रही बैठकी ‘दृष्टिकोण होम-स्टूडियो बैठक’ में शायद नये वर्ष में जाना हो. संगीत के लिए उसके रसिक कितना कुछ करते रह रहे हैं- अनसंग हीरो हैं वीएसके बैठक के विनोद एस कपूर.

उन्होंने मंजरी असनारे केलकर के सुंदर गायन को खूबसूरत फूलों से सजे खूबसूरत मंच पर सुनवाया और इससे पूर्व वर्ष 2018 की शुरुआत उनके फॉर्म पर बेहतरीन बैठक से हुई थी. शिवानी वर्मा कथक को गहराई से समझ, उसमें छुपे मोतियों को ढूंढ-ढूंढ के निखार रही हैं और गांधी के चंपारण से लेकर मुजफ्फर अली के नाटकों और मीरा अली के फैशन शो तक नृत्य की गरिमा को पहुंचा रही हैं.

संजॉय रॉय साहित्य के साथ संगीत को भी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के माध्यम से पोस रहे हैं, शिल्पा राव वहां मेहदी हसन साहब की गजल पर लोगों को झुमा रही थीं. पंडित बिरजू महाराज का जन्मदिन खूब कथकमय था. उनका और अमजद अली खां साहब का भ्रातृत्व, नजर न लगे, असली है. उनका सरोद वादन सुनने के लिए पंडितजी को दिसंबर की देर सर्द शाम में बैठे देखना स्फूर्तिदायक था.

पंडित जसराज जी को सुनना इस लेखक के लिए हमेशा दिल्ली की पश्चिमी आपाधापी से पूर्व की शांति की ओर पहुंच जानेवाला होता है. भगवान शिव अपनी निर्मित रुद्रवीणा को- उस्ताद बहाउद्दीन डागर द्वारा उनके पीर इनायत खान की मजार पर बजाना- सुन निश्चय ही ब्रह्म में लीन हो गये होंगे. अशोक वाजपेयी कला के लिए नॉन-स्टॉप किये जा रहे हैं.

युवा नृत्यांगना आरोही मुंशी ने रजा फाउंडेशन के युवाओं को बढ़ावा देनेवाले कार्यक्रम में देखना सुखद रहा. एल सुब्रमनियम को सुन पाना इस वर्ष की उपलब्धि रही, स्पिक मैके ने यह अवसर आईआईटी में दिया. उस्ताद जाकिर हुसैन का तबला कुतुब मीनार के साये में सुनना ऐतिहासिक था मगर उनके स्वास्थ्य की नासजगी ने ‘वाह कुतुब’ नहीं कहने दिया, उम्मीद है कि इसी जनवरी में उन्हें फिर से सुनने के अवसर में ‘वाह उस्ताद’ होगा.

आइआइटी दिल्ली से इंजीनियर और नीति आयोग में नियुक्त आइएएस कशिश मित्तलजी की युवा आवाज की सुंदरता देख लगा कि चाहत हो तो आप क्या नहीं हो सकते. इंद्र सभा नवाब वाजिद अली शाह से जुड़ी नृत्य नाटिका है, जिसका खूबसूरत मंचन सुश्री उमा शर्मा के निर्देशन में हुआ. शब्ज परी की भूमिका में उनकी भतीजी-शिष्या राधिका शाह का कथक उल्लेखनीय था.

इस साल संगीत के रूहानी कनेक्शन को हजरत निजामुद्दीन की पनाह में सुनी गयी कव्वालियां निश्चित रूप से जोड़ने की शक्ति रखती हैं.

उनके जन्मदिन (इस वर्ष 804वां) की रात, जिसे उनका ‘गुसल’ (स्नान) कहते हैं, सारे कव्वालों ने और खासकर युवा सकलैन निजामी ने खूब समां बांधा, ‘हर कौम रास्त राहे’ गा रहे थे, कभी हजरत यमुना में ‘चिल्ला’ (चालीस दिन का व्रत) कर रहे थे और उन्होंने सूर्य को अर्घ्य देते हिंदुओं को देख कहा- ‘हर कौम रास्त राहे/ दीन-औ किबला गाहे’ यानी प्रत्येक जाति अपने ईश्वर को किसी खास-दिशा (किबला) में देखती है.

रूहानी कनेक्शन ने इस लेखक को ‘राजस्थान कबीर यात्रा’ के सात दिन अपने कब्जे में रखा और रिहाई से पहले यात्रा के सूत्रधार राजस्थान पुलिस के अधिकारी अमनदीप सिंह कपूर के घर उनकी श्रीमती जी द्वारा आयोजित चाय-पार्टी दी गयी. वहां धर्मशाला से यात्रा में आये प्रभजोत सिंह ने अपनी तान छेड़ी, तो बुझती लौ-सा गरमा गया. देखा तो यात्रा संभालनेवाले सूत्रधार गोपाल सिंह भी आंख मूंदे खोये थे.

हवाई अड्डे जाते हुए जेहन यात्रा में सुने अनेकों लोक कलाकारों की आवाजों में खोया. प्रिय गायक सरदार मदनगोपाल दासजी की जोरदार आवाज में मंच के आगे सबके साथ ‘ता ता थैया’ में था. दिल्ली वापस आने पर जब सांसारिक हुए तब कंधे ने कई दिनों तक कैमरे से दर्द का रोना रोया. ठुमरी फेस्टिवल में इस दफा उतना आनंद नहीं आया, लेकिन सविता देवी जी को सुन पाना और शुभा मुद्गल जी से हुई बातचीत ने इस कमी को कुछ पूरा किया.

गीता चंद्रन का अपनी गुरु को समर्पित ‘स्वर्णा’ में मोहक नृत्य के साथ साथ ‘स्वच्छ भारत मिशन’ से भी खुद को जोड़ना सुखद दिखा. जहां प्रिय गायक टीएम कृष्णा का दिल्ली गायन विवादास्पद कारणों से नहीं हो सका, वहीं दूसरी तरफ इस वर्ष की एक और उपलब्धि का कारण आइजीएनसीए रहा. वहां उस्ताद अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन ‘गाइये गणपति जगवंदना’ गाते हुए जन्माष्टमी मना रहे थे.

अनुभव नाथ के साथ एक दुर्लभ माहौल तब बना, जब वहां टीमवर्क इंडिया के मिन्हाल हसन ने चार अलग-अलग देशों की चार युवतियों के वेस्टर्न क्लासिकल समूह ‘वीमेन ऑफ द वर्ल्ड’ का गायन आयोजित किया. एक और अनुभव रहा दिल्ली पुलिस के बैंड को सुनना. बहुत लुत्फ आया वो बैगपाइपर पर ‘रमैया वस्तावैया’ सुना रहे थे. अवसर था दिल्ली पुलिस के कैंट थाने के नये परिसर का उद्घाटन का. मित्र समीर श्रीवास्तव वहां के एसएचओ और संगीत के पुराने प्रेमी हैं.

बारिश में भींगते हुए भी जब श्रोता बॉम्बे जयश्री रामनाथ को सुनते रहें, तो उनके गायन पर इस चाहनेवाले को कुछ कहने की क्या जरूरत है. दादा बिश्वजीत रॉय का सरोद वादन निखार पर है. सीखने की बात कहने पर उन्होंने इस लेखक से आठ वीकेंड उनको देने के लिए कहा है, देखिए.

भारतीय नृत्य संगीत ने इस वर्ष भारत रत्न से सम्मानित दिवंगत पंडित रविशंकर की पत्नी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की दिग्गज संगीतकार अन्नपूर्णा देवी को खो दिया.

इसी वर्ष सितार और सुरबहार वादन को विश्वभर में ख्याति दिलाने वाले उस्ताद इमरत खान, शास्त्रीय गायक पंडित अरुण भादुड़ी, गुरु पद्मभूषण वेम्पति चिन्ना सत्यम के 49 वर्षीय पुत्र प्रसिद्ध कुचिपुड़ी नर्तक वेम्पति रविशंकर, पद्मश्री से सम्मानित प्रथम एनआरआद और आर्ट्स कौंसिल ग्रांट पाने वाले पहले भारतीय नरेश सोहल, एमएस सुब्बुलक्ष्मी की बेटी कर्नाटकी गायिका राधा विश्वनाथन, सरोद वादक पंडित बुद्धदेव दासगुप्ता, 40 वर्षीय वायलिन वादक बालाभास्कर का दुनिया छोड़ के जाना भी देखा.

Next Article

Exit mobile version