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मुंडारी भाषा और साहित्य की ठोस समझ

सुखराम हस्सा डॉ मनसिद्ध बड़ायउद की यह पुस्तक मुंडारी साहित्य के इतिहास की प्रकाशित पुस्तकों की एक कड़ी है. लेखक ने इस पुस्तक का नाम ‘ होड़ो जगर सइति ओड़ो : सइति ओलहरियाको रखा है. इस पुस्तक में इन्होंने मुंडारी और उसके साहित्यकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला है. पुस्तक के नामकरण में जिस होड़ो […]

सुखराम हस्सा
डॉ मनसिद्ध बड़ायउद की यह पुस्तक मुंडारी साहित्य के इतिहास की प्रकाशित पुस्तकों की एक कड़ी है. लेखक ने इस पुस्तक का नाम ‘ होड़ो जगर सइति ओड़ो : सइति ओलहरियाको रखा है. इस पुस्तक में इन्होंने मुंडारी और उसके साहित्यकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला है. पुस्तक के नामकरण में जिस होड़ो जगर शब्द का प्रयोग किया है, उससे मुंडा जगर या मुंडारी का ही बोध होता है. चूंकि दूसरे शब्दों में मुंडा लोगों को होड़ो होनको और उनकी भाषा को होड़ो जगर भी कहा जाता है. इसलिए होड़ो जगर शब्द से मुंडा जगर या मुंडारी से इतर नहीं समझना चाहिए. इस पुस्तक में वर्णित विषय को लेखक ने छह अध्यायों में बांटा है.
प्रथम अध्याय में होड़ो जगर या मुंडा जगर का संक्षिप्त, किंतु सारगर्भित परिचय है. इस अध्याय में लेखक ने हो होड़ो जगर की उत्पत्ति, इसकी वर्तनी, पठन-पाठन और मुंडारी साहित्य के काल विभाजन का विश्लेषण किया है.
द्वितीय अध्याय का विषय मुंडारी का लोक साहित्य है. लोक साहित्य के अंतर्गत लेखक ने लोककथा, लोकगीत, गीतिकथा और मुहावरे एवं लोकोक्तियां पर प्रकाश डाला है और साथ ही लोक साहित्य की प्रत्येक विधा को परिभाषित, वर्गीकृत और उनकी विशेषताओं को विश्लेषित किया है.
तृतीय अध्याय का वर्णित विषय होड़ो जगर अर्थात मुंडारी का शिष्ट साहित्य है. शिष्ट साहित्य के अंतर्गत इन्होंने गद्य रचनाओं को ‘गद्य साहित्य के विकास क्रम’ में और पद्य रचनाओं को ‘पद्य साहित्य के विकास क्रम’ में क्रमवार ढंग से दर्शाया है.
चतुर्थ अध्याय में विदेशी और स्वदेशी मिशनरियों के साथ-साथ मुंडारी के अन्य लेखक एवं कवियों की जीवनी और उनके साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला है. विदेशी मिशनरियों में फादर जॉन बपतिस्त हॉफमैन, फादर पीटर पोनेट, डॉ अल्फ्रेड नोत्तरोत और स्वदेशी मिशनरियों में डॉ एसए बीडी हंस का नाम प्रमुख है. इस तरह मुंडारी के लेखक एवं कवियों में डॉ मनमसीह मुंडू, भइया राम मुंडा, प्रोफेसर सुलेमान बडिंग, काशी नाथ सिंह मुंडा ‘काण्डे’ निकोदिम केरकेट्टा, डॉ राम दयाल मुंडा, प्रो दुलाय चंद्र मुंडा, निर्मल सोय, दाऊद दयाल सिंह होरो, जेम्स हेवर्ड, राम सिंह मुंडा, सागु मुंडा आदि का नाम द्रष्टव्य है.
पंचम अध्याय में लेखक ने मुंडारी की प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं पर प्रकाश डाला है. इनमें साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक पत्रिकाएं हैं. साप्ताहिक पत्रिकाओं में ‘आदिवासी’, मासिक पत्रिकाओं में ‘जगर साड़ा°’ ‘समपड़तिड़’ ,‘जोहार’, ‘सनंग’, ‘ मरसल’, ‘उलगुलान और संगोम’ अर्द्धवार्षिक पत्रिकाओं में ‘सरना सकम’ और ‘एयोन’ एवं वार्षिक पत्रिकाओं में ‘बा गनालंग’ और ‘जावा डाली’ मुख्य हैं.
छठे अध्याय में लेखक ने मुंडारी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार एवं पाठ्य पुस्तकों के निर्माण में जिन सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं-समितियों का योगदान रहा है, उनका उल्लेख किया है.
लेखक की प्रस्तुत कृति सभी वर्ग के विद्यार्थियों, मुंडारी के शोधार्थियों और झारखंड की विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में मुंडारी विषय के अभ्यर्थियों के लिए एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक है.
पुस्तक का नाम : होड़ो जगर सइति ओड़ो : सइति ओलहरियाको
(मुंडारी साहित्य और उनके साहित्यकार )
लेखक : डॉ मनसिद्ध बड़ायउद

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