चौंकाने वाला चुनावी पिटारा
आशुतोष चतुर्वेदीप्रधान संपादक, प्रभात खबर मोदी सरकार ने चुनाव से पहले मध्य वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए राहत का पिटारा खोल दिया है. यह मौजूदा मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम बजट था और पहले से ही उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इसमें चौंकायेगी. पिछले कुछ समय से राजनीतिक […]
आशुतोष चतुर्वेदीप्रधान संपादक, प्रभात खबर
मोदी सरकार ने चुनाव से पहले मध्य वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए राहत का पिटारा खोल दिया है. यह मौजूदा मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम बजट था और पहले से ही उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इसमें चौंकायेगी. पिछले कुछ समय से राजनीतिक दबाव झेल रही सरकार के लिए यह मास्टर स्ट्रोक भी साबित हो सकता है.
सरकार पर यह आरोप लगता रहा है कि वह मध्य वर्ग पर ध्यान नहीं दे रही है, लेकिन इस बार अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पांच लाख तक की आमदनी वाले लोगों को आयकर से मुक्त कर दिया है. साथ ही वेतनभोगी लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 40 से बढ़ा कर 50 हजार रुपये कर दी है. इस अंतरिम बजट से इतनी छूट की उम्मीद नहीं की जा रही थी.
चुनाव की दृष्टि से इस तबके का माहौल बनाने में बड़ा योगदान रहता है. हिंदी भाषी तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद लगता है कि इसे 2019 के चुनावी तराजू में तौला गया और पाया गया कि इस तबके का साथ जरूरी है. दूसरी ओर किसानों में फसल का उचित मूल्य न मिलने के कारण खासी नाराजगी देखी जा रही थी.
सरकार ने दो हेक्टेयर भूमि वाले किसानों के खाते में तीन किस्तों में छह हजार रुपये सीधे डालने की घोषणा की है. इससे 12 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचेगा. इसमें दो राय नहीं कि इससे किसानों को तात्कालिक आर्थिक लाभ मिलेगा, लेकिन यह खेती किसानी की चुनौतियों का दीर्घकालिक हल नहीं है. गोयल ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को प्रति माह तीन हजार रुपये पेंशन देने की घोषणा की है.
असंगठित क्षेत्र में लगभग 42 करोड़ मजदूर हैं. यह सही है कि इनकी हालत बेहद खस्ता है और उनकी ओर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. भले ही चुनावी दृष्टि से यह घोषणा की गयी हो लेकिन इससे उनको थोड़ा सा भी लाभ मिल जाता है तो यह सराहनीय बात होगी.