इंटेलिजेंस की नाकामी का परिणाम यह हादसा
प्रो एसडी मुनि सदस्य, कार्यकारी काउंसिल, आईडीएसए य ह आतंकी घटना सुरक्षा एजेंसियों की चूक का परिणाम है और निसंदेह इस गतिविधि में पाकिस्तान का हाथ भी शामिल है. बहुत सोची-समझी साजिश के तहत इस शातिर ढंग से इस घटना को अंजाम दिया गया है. यह देश की सुरक्षा पर सवाल खड़े करने वाली घटना […]
प्रो एसडी मुनि
सदस्य, कार्यकारी काउंसिल, आईडीएसए
य ह आतंकी घटना सुरक्षा एजेंसियों की चूक का परिणाम है और निसंदेह इस गतिविधि में पाकिस्तान का हाथ भी शामिल है. बहुत सोची-समझी साजिश के तहत इस शातिर ढंग से इस घटना को अंजाम दिया गया है. यह देश की सुरक्षा पर सवाल खड़े करने वाली घटना है. इंटेलिजेंस के लोगों ने कैसे उस वाहन को काफिले के बीच में आने दिया, यह बड़ा सवाल है. ऐसे कैसे कोई कार 100 किलो विस्फोटक सामग्री लेकर चली गयी और उसे कोई चेक करनेवाला भी नहीं था.
गवर्नर साहब ने खुद स्वीकार किया है कि यह आतंकी घटना खुफिया एजेंसियों की नाकामी का परिणाम है. मुझे आशंका इस बात की भी है कि जिस तरह अमेरिका में 9/11 की घटना हुई थी जिस पर बात होती रहती है, कहीं अमेरिका ने दूसरा 9/11 तो नहीं होने दिया था. यहां हमें सावधान होने की जरूरत है.
हर बार जब भी हम इन एजेंसियों या सरकार में बैठे लोगों से बात करते हैं, तो वे कहते हैं कि हमने बहुत सी घटनायें होने से रोकी हैं, यह एक चूक हुई है बस. ऐसा हो सकता है कि वे सही ही हों, लेकिन उनकी इस बात से कोई प्रभावित नहीं होता है.
यह आतंकी घटना देश के लिए झटका है. अगर सरकार को कुछ करना है, तो उन्हें तुरंत करना चाहिए. अगर दो दिन और निकल गये तो उस गतिविधि का महत्व नहीं रह जायेगा. कश्मीर घाटी में जैश-ए-मोहम्मद की सक्रियता का पता सबको है और सबको यह भी पता है कि पाकिस्तान उसका पूरा सहयोग कर रहा है. जैश-ए-मोहम्मद का कश्मीर में नेटवर्क बहुत तगड़ा है, सब जानते हैं. यह सब कोई नयी बात नहीं है.
कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने का मतलब ही था कि सरकार यह मानकर चल रही थी कि सब ठीक कर देगी, लेकिन फिर भी यह घटना हुई. जबसे हमने यह ज्यादा कहना शुरू किया है कि पाकिस्तानियों को हम ठीक कर देंगे, कश्मीरियों को ठीक कर देंगे, तबसे ज्यादा समस्या शुरू हुई है. सुरक्षा मसले पर केवल सैन्य कार्रवाई से कुछ सुधर नहीं रहा है. हम अपनी नीतियों से केवल यह दिखा रहे हैं कि हम दोनों जगहों पर सबको बराबर कर देंगे और हम किसी की परवाह नहीं करते हैं.
लेकिन, इसका कोई असर नहीं हो रहा है. चाहे फौज के जनरल कश्मीर जाकर बोलें या हमारे राजनेता, स्थिति सुधरी नहीं है और खराब ज्यादा हो गयी है. अब चुनाव नजदीक है, तो चुनाव तक कोई शांति प्रक्रिया भी देखने को नहीं मिलेगी. चारों तरफ प्रचार होगा कि हमने थप्पड़ का जवाब मुक्के से दिया है. D