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पाकिस्तान को कड़ा संदेश देना अब जरूरी हो गया है

डॉ ध्रुबज्योति भट्टाचार्जी रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स, दिल्ली ज म्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए फिदायीन हमले से एक बार फिर यह बात साबित हो गयी है कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जो आतंकवाद और आतंकवादी समूहों का समर्थन करता है. पाकिस्तान स्थिति संगठन जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने […]

डॉ ध्रुबज्योति भट्टाचार्जी
रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स, दिल्ली
ज म्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए फिदायीन हमले से एक बार फिर यह बात साबित हो गयी है कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जो आतंकवाद और आतंकवादी समूहों का समर्थन करता है. पाकिस्तान स्थिति संगठन जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने इस आत्मघाती हमले को अंजाम दिया.
इससे यह बात साफ हो जाती है कि पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे आतंकी भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं. यह हमला भारत के खुफिया विभाग के लिए भी एक बड़ी विफलता है, क्योंकि वह इतने बड़े हमले के बारे में पहले से कुछ भी खबर नहीं दे पाया.
अब यह देखना जरूरी है कि इस बार भारत सरकार किस तरह इस हमले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेश करती है. भारत के पास यही मौका है कि वह पाकिस्तान को एक जबरदस्त संदेश दे, ताकि पाकिस्तान सरकार को यह मानना पड़े कि ऐसे मानव-विरोधी संगठनों का उसे समर्थन नहीं करना चाहिए.
मेरा मानना है कि सिर्फ पाकिस्तान को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ की सूची से हटा देना ही पर्याप्त नहीं है. इस मुद्दे को सारे सबूतों के साथ, संयुक्त राष्ट्र परिषद् और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भी ले जाना जरूरी है. हाफीज सईद के साथ-साथ सारे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा की मांग करके भारत सरकार पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखा सकती है. जब तक पाकिस्तान निरंतर भारत के खिलाफ ऐसे आतंकियों को समर्थन करता रहेगा, तब तक भारत के नौजवान शहीद होते रहेंगे.
इसलिए हमें इसे हर हाल में रोकना ही होगा. यह तत्काल आवश्यकता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया के सभी देश मिलकर पाकिस्तान को पृथक करें. पाकिस्तानी मीडिया इस हमले को एक छोटी घटना मान रहा है. वहां यह दर्शाया जा रहा है कि यह हमला भारत की ही साजिश है, जो आनेवाले चुनाव में प्रभाव डालेगा. ऐसा कहकर ही पाकिस्तान सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है.
जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में सुरक्षा और भी बढ़ानी होगी, ताकि आगे ऐसे हमले न होने पायें. सुरक्षा बलों और खुफिया संगठनों के बीच बढ़िया सामंजस्य की आवश्यकता है. ऐसे संकट में एक-दूसरे पर दोषारोपण की बजाय हमें अपनी कमियों को ढूंढना चाहिए और उन्हें ठीक करना चाहिए.
आनेवाले दिनों में, भारत सरकार को ऐसे आतंकवादी संगठनों द्वारा हवाला फंड के हस्तांतरण की जांच करनी है. इसलिए, भारत को सारे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संगठन और खुफिया संगठनों के साथ मिलकर काम करना होगा. जब तक इन आतंकी संगठनों को आर्थिक सहायता मिलती रहेगी, ऐसे हमलों को रोक पाना मुश्किल होगा. हमें सतर्कता बढ़ा देनी चाहिए.

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