25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इस मॉड्यूल का पर्दाफाश जरूरी

सुशांत सरीनरक्षा विशेषज्ञ कु छ तो जो चूक थी, वह स्वाभाविक थी. चूंकि, एक एमपीवी हाईवे से काफिला जा रहा था, जो हद से ज्यादा बड़ा था और बहुत धीमी गति से चल रहा था. नियमानुसार, जब ऐसा काफिला जा रहा होता है, तो किसी भी अन्य वाहन को बीच में आने नहीं दिया जाता. […]

सुशांत सरीन
रक्षा विशेषज्ञ

कु छ तो जो चूक थी, वह स्वाभाविक थी. चूंकि, एक एमपीवी हाईवे से काफिला जा रहा था, जो हद से ज्यादा बड़ा था और बहुत धीमी गति से चल रहा था. नियमानुसार, जब ऐसा काफिला जा रहा होता है, तो किसी भी अन्य वाहन को बीच में आने नहीं दिया जाता. लेकिन, लंबे समय से ऐसे खतरे का कोई अंदेशा नहीं था, और हालात सामान्य चल रहे थे.

ऐसी स्थिति में अक्सर ऐसा देखा गया है कि निजी वाहन धीमी गति से चल रहे काफिले से आगे निकल जाते हैं और कोई उन्हें नहीं रोकता. इस दृष्टि से देखा जाये, तो चूक तो हुई है. नब्बे के दशक में जब फौज और पैरामिलिट्री जवानों के काफिले चलते थे, तो उनके बीच में आने की किसी को इजाजत नहीं मिलती थी और सबको सख्ती से रोक लिया जाता था.

इस सख्ती को दोबारा लागू करना पड़ेगा, अगर ऐसे हालात जारी रहे. नब्बे के दशक में और साल 2000 के दशक के शुरुआती सालों में फौज और सुरक्षा बल के लोग काफिलों के बीच घुसने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते थे. लेकिन, पिछले चंद सालों में ये होना शुरू हो गया है कि अगर आपने कड़ी कार्रवाई की, तो कार्रवाई करने वाले को ही लटका दिया जाता था. इसलिए, भी अब ढील देखी जाने लगी थी. और अंततः यह चूक साबित हुई. अब इन चीजों को भी बदलना पड़ेगा.

दूसरी चूक खुफिया एजेंसियों के फेल होने के रूप में हुई है. जब भी इस तरह का बड़ा हमला होता है, बहुत सारी चीजें शामिल होती हैं, उन्हें सक्रियता से सफल बनाने में. कहीं से बारूद आता है, कहीं पर उसको रखा जाता है, कोई वाहन की व्यवस्था करता है, फिर कोई बारूद से बम बनाता है और वाहन में प्लांट करता है. सुसाइड बॉम्बर को ट्रेनिंग दी जाती है, उस पर निगरानी रखी जाती है, उसे लगातार इस कृत्य के लिए प्रेरित किया जाता है.

फिर एक आदमी सारी जानकारी जुटाता है, रेकी होती है, कहीं से अंजाम पूरा करने के लिए पैसा आता है. ये तमाम बातें आतंकी घटना को अंजाम देने से पहले होती हैं. ये मान लेना कि अचानक किसी के दिमाग में आ गया कि मैं फिदायीन हमलावर बन जाऊंगा, ऐसा संभव नहीं है. यह संभव इसलिए नहीं होता, क्योंकि बाकी चीजें इकट्ठा किये बिना इस तरह का बड़ा आतंकी हमला हो ही नहीं सकता है. चूंकि, इस तरह के हमलों में कई सारे लोग शामिल होते हैं, तो जानकारी लीक करने के और किसी को इस गतिविधि की भनक लगने का चांस बहुत बढ़ जाता है.

इसीलिए, कई बार हम देखते हैं कि सुरक्षाबल किसी को हिरासत में लेते हैं और उसके ऊपर यह इल्जाम लगता है कि किसी न किसी दहशतगर्दी की कार्रवाई में वह शामिल था. ऐसा इसीलिए होता है, क्योंकि पहले से भनक लग जाती है. लेकिन इस मामले में, आपको कानोंकान खबर नहीं हुई. शायद, इस प्रकार की कोई जानकारी मिली थी कि कोई हमला हो सकता है.

लेकिन, इसे पता नहीं लगाया जा सका कि कौन इसमें शामिल हो सकता है. कई बार आपके पास इंफॉर्मेशन आ भी रही होती है, लेकिन कहीं कुछ छूट जाता है और सबकुछ पता नहीं चल पाता, फिर किसी को आप पहले पकड़ भी नहीं पाते. हादसा जब हो जाता है, तब आप वापस जाकर देखते हैं कि क्या-क्या इंफॉर्मेशन मिली थी और आप उसके आधार पर कार्रवाई करना शुरू करते हैं. लेकिन, सैन्य संबंधी गतिविधियों में इस तरह की घटनाएं होती हैं. ये उम्मीद पाल लेना कि आपकी फौज सौ फीसदी सफल ही होगी, बेमानी है. लेकिन, कोशिश की जानी चाहिए कि ऐसे हादसे न हों. इस लिहाज से चूक तो हुई है.

अब कार्रवाई शुरू होगी. फिलहाल, हमें यह भी नहीं पता कि विस्फोटक सामग्री क्या थी. क्या वह आरडीएक्स था, टीएनटी जैसा मवाद था, या फिर रोजमर्रा के घरेलू सामानों, जैसे डिटर्जेंट पाउडर आदि चीजों से बना बम था; हमें अभी तक यह जानकारी नहीं मिली है. जब यह जानकारी मिल जायेगी, तब भी यह अंदाजा मिल जायेगा कि असल में चूक कहां हुई है. उम्मीद तो है कि इस तरह की गतिविधियों के मॉड्यूल का पर्दाफाश किया जायेगा, लेकिन समय लगेगा.

(बातचीत : देवेश)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें