इनके बिना अधूरी है होली
शिखर चंद जैन jainshikhar6@gmail.com होली का उत्सव हंसी-ठहाकों और मौज मस्ती का उत्सव है .इस दिन जरा ठिठोली और शरारत न हो, तो इसका मजा कहां आता है ! इस दिन कुछ खास तरह के कैरेक्टर्स से पाला पड़ जाये, तो वाकई मजा दोगुना हो जाता है- रंग और म्यूजिक के रसिया होली की असली […]
शिखर चंद जैन
jainshikhar6@gmail.com
होली का उत्सव हंसी-ठहाकों और मौज मस्ती का उत्सव है .इस दिन जरा ठिठोली और शरारत न हो, तो इसका मजा कहां आता है ! इस दिन कुछ खास तरह के कैरेक्टर्स से पाला पड़ जाये, तो वाकई मजा दोगुना हो जाता है-
रंग और म्यूजिक के रसिया
होली की असली जान हैं ये रसीले बंदे. आठ-दस या ज्यादा की संख्या में इकट्ठे होकर ये बंदे ढपली और ढोलक बजाते हुए गली-गली, डगर-डगर होली के गीत गाते हुए निकलते हैं, तो होली खेलने के इच्छुक न रहनेवाले भी अपनी खिड़कियों से इन्हें देखने के लिए झांकने लगते हैं.
कच्चे खिलाड़ी
कुछ होली प्लेयर फुल पोज बना कर पानी के किसी बड़े से ड्रम या बाल्टी के पास अपने शिकार की तलाश में खड़े रहते हैं. ये बस इसी बात का इंतजार करते रहते हैं कि कोई ड्रम या बाल्टी के नजदीक आये, तो ये उसे रंग भरे पानी से सराबोर कर दें. हालांकि ये अक्सर कच्चे खिलाड़ी साबित होते हैं, क्योंकि होली की मस्ती लूट रहे दूसरे लोग इनकी बाल्टी या ड्रम से अपनी पिचकारियां भर भर कर पूरा पानी खाली कर देते हैं औऱ ये बस मुंह देखते रह जाते हैं.
बैलून गैंग
10-15 नटखट लड़के-लड़कियों का यह गैंग किसी ऊंची जगह या किसी ऊंची मंजिल पर पोजीशन लेकर खड़ा रहता है. इनके पास रंग से भरी बाल्टी, पिचकारी और ढेर सारे बैलून होते हैं, जिन्हें ये हर आने-जाने वाले पर टार्गेट करके फेंकते हैं. इनका शिकार मूल रूप से महिलाएं होती हैं.
सेल्फी होली : इन्हें होली खेलने की कम और अपनी शानदार ‘रंग-बिरंगी’ सेल्फी लेने की चाहत ज्यादा होती है. कई बार तो यह खुद अपने चेहरे को अलग-अलग रंगों से इस स्टाइल में रंग लेते हैं कि इनकी फोटो ‘मस्त’ लगे. रंगों से खेलते समय भी ये अपनी सेल्फी लेना नहीं भूलते. फिर चेहरे के बदलते रंगों को सोशल साइट्स पर उन्हें चेपते हैं.
शर्मीली-नखरीली भाभियां : ये सोसाइटी या कॉलोनी की होली पार्टी में आती जरूर हैं, पर एक कोने में बिल्कुल सिकुड़ी-सी खड़ी रहती हैं. मानो हर कोई इन्हें ही रंगने की तैयारी में हो. ये चौतरफा अपने नजरें घुमाती हुईं, हाथों को अलर्ट मुद्रा में बांहों के इर्द-गिर्द लपेटे हुए दिखती हैं. अगर इन्हें किसी के हाथ में अबीर से भरी कटोरी दिख जाये, दूर से ही कहने लगती हैं, ”ऐइ… प्लीइइइज… मुझे मत लगाना. मुझे अच्छा नहीं लगता. एक्चुअली सूट नहीं करता.” लेकिन मजे की बात यह है कि इनसे घर पर रहा भी नहीं जाता.
फैशन कॉन्शस : आमतौर पर हम होली के दिन पुराने कपड़े पहनते हैं, जैसे कि पुरानी टीशर्ट और बरमूडा, लेकिन इन फैशन प्रेमियों को नये सफेद झक करते पजामे या सलवार सूट पहनना ही भाता हैं. सफेद कपड़ों पर रंग-बिरंगे छींटे इनकी पहली पसंद होती है. कुछ बंदे तो खुद ही अपने हाथ से तरह-तरह के रंग लगा कर घर से बाहर निकलते हैं.
सेफ प्लेयर्स
इनके हाथ में आप एक छोटा-सा डिब्बा देखेंगे, जो ऑर्गेनिक कलर का होता है. ये किसी भी मित्र या रिश्तेदार को देखते ही कहने लगेंगे- ‘लीजिए, मुझे इसमें से रंग लगाइए प्लीज ! मैं भी आप को यही लगाऊंगा/लगाऊंगी. यह ऑर्गेनिक कलर है. स्किन को डैमेज नहीं करेगा.’ अगर आपने इन्हें अपना खरीदा रंग लगाने की कोशिश की तो ये साफ मना कर देंगे. इनके नखरे बड़े मजेदार होते हैं.