देश में लोकसभा चुनाव का केंद्र बिंदु बना बंगाल
आनंद कुमार सिंहलोकसभा चुनाव के छह चरण पूरे हो चुके हैं और महज एक दिन बाद ही सातवें और आखिरी चरण का चुनाव संपन्न हो जायेगा, लेकिन इस चुनाव का समूचा केंद्र बिंदु मानों बंगाल ही बन गया है. इसे कोलकाता में रहनेवाले लोग भी महसूस कर रहे हैं और उन्हें दूसरे राज्यों में रहनेवाले […]
आनंद कुमार सिंह
लोकसभा चुनाव के छह चरण पूरे हो चुके हैं और महज एक दिन बाद ही सातवें और आखिरी चरण का चुनाव संपन्न हो जायेगा, लेकिन इस चुनाव का समूचा केंद्र बिंदु मानों बंगाल ही बन गया है. इसे कोलकाता में रहनेवाले लोग भी महसूस कर रहे हैं और उन्हें दूसरे राज्यों में रहनेवाले अपने सगे-संबंधियों, दोस्तों आदि के बंगाल की राजनीति के सवालों का भी सामना करना पड़ रहा है.
फेसबुक और व्हाट्सऐप के जरिए जहां समूची दुनिया आपके स्मार्टफोन में सिमट आती है, वहीं राजनीतिक बहस का भी यह जरिया बन गया है. लोकसभा चुनाव ने तो इस स्थिति को अपने जलाल पर पहुंचा दिया है. ऐसे हालात में महानगर के लोगों को एक और विकट स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें राजनीतिक विश्लेषकों की भी भूमिका मानों निभानी पड़ रही है. बंगाल के राजनीतिक हालात और लोकसभा चुनाव के संभावित नतीजों के बाबत उनसे लगातार सवाल किये जा रहे हैं. किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं, राजनीतिक हालात कैसे हैं, किस पैमाने पर हिंसा होती है, यह सबकुछ दूसरे राज्य के लोगों के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है.
महानगर के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट विकास शाह कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों से राजस्थान और दिल्ली में रहनेवाले उनके रिश्तेदारों के लगातार उन्हें फोन उन्हें आ रहे हैं. सभी बंगाल के संभावित लोकसभा नतीजों के बारे में जानना चाहते हैं. चुनाव में हिंसा की खबरें उन्हें विचलित करने के अलावा हैरत में भी डाल रही हैं.
महानगर के एक विशिष्ट समाचार पत्र के संपादक कहते हैं कि बीते कुछ दिनों में उनके पास दूसरे राज्यों से आनेवाले फोन में राज्य के राजनीतिक हालात के बारे में कोई न कोई दरयाफ्त जरूर रहती है. यह भी जरूर पूछा जाता है कि राज्य में चुनाव में सीटों के संभावित बंटवारे की स्थिति क्या होगी. यह हालत केवल इक्का-दुक्का लोगों की नहीं, अधिकांश लोग इसी स्थिति का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा फेसबुक हो या फिर व्हाट्सऐप ग्रुप, बंगाल के हालात पर वहां भी घमासान मचा रहता है.
राज्य में हाल में हुए चुनावी घमासान ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है. लोगों का कौतुहल अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है. ऐसा लग रहा है मानों चुनाव अन्य कहीं नहीं, केवल बंगाल में ही हो रहे हैं. सोशल नेटवर्क की दुनिया में भी राष्ट्रीय समीकरण भी बंगाल के हालात को ध्यान में रखकर ही गढ़े जा रहे हैं. इसकी एक और वजह है कि यहां चुनाव प्रचार भी सर्वाधिक देखने को मिल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के बाद सर्वाधिक सभाएं बंगाल में ही की हैं. इसके अलावा भाजपा के कमोबेश सभी स्टार प्रचारक यहां चुनाव प्रचार कर चुके हैं.
तृणमूल कांग्रेस की बात की जाये तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रचार में अपना पूरा जोर लगा दिया था. हर दिन उनकी लगभग दो या तीन सभाएं जरूर होती रहीं. इसके अलावा तृणमूल ने मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां जैसी फिल्म अभिनेत्रियों को भी उम्मीदवार बनाया था. प्रचार के आकर्षण को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में इसका भी योगदान रहा. बहरहाल लोगों की दरयाफ्त आखिरी चरण से चुनाव के नतीजों के घोषित होने तक और भी बढ़ जानेवाली है.