प्रभात खबर बना आवाज: हम हैं जिंदादिल, तुम पढ़ो बिरसा, हम तुम्हारे साथ हैं

रांची : अपनों पर संकट आये और राजधानवासी साथ खड़े न हों, ऐसा हो नहीं सकता. ऐसी ही जिंदादिली राजधानी के कई संस्था और लोगों ने दिखायी है. अनगड़ा के रहनेवाले होनहार बिरसा टोप्पो के सपनों को पूरा करने के लिए मदद में दर्जनों हाथ बढ़ने शुरू हो गये हैं. यही छोटी-छोटी मदद बिरसा के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2019 9:51 AM

रांची : अपनों पर संकट आये और राजधानवासी साथ खड़े न हों, ऐसा हो नहीं सकता. ऐसी ही जिंदादिली राजधानी के कई संस्था और लोगों ने दिखायी है. अनगड़ा के रहनेवाले होनहार बिरसा टोप्पो के सपनों को पूरा करने के लिए मदद में दर्जनों हाथ बढ़ने शुरू हो गये हैं. यही छोटी-छोटी मदद बिरसा के सपने को बिखरने से बचाने में निश्चित रूप से मददगार साबित होगी. प्रभात खबर में सोमवार को छपी खबर पढ़ने के बाद प्रतिभाशाली छात्र बिरसा की मदद के लिए कई नागरिकों ने मदद की पेशकश की है. हर हाथ इस संदेश के साथ आगे बढ़ रहा है : तुम पढ़ो बिरसा, हम तुम्हारे साथ हैं.

बिरसा की अभी तक की सफलता में छिपा है कठिन संघर्ष

30 जून को दीक्षांत मंडप (मोरहाबादी) में आयोजित प्रभात खबर प्रतिभा सम्मान समारोह में गेतलसूद के बिरसा टोप्पो को सम्मानित किया गया. उसने मैट्रिक परीक्षा (जैक) में 86.2 फीसदी मार्क्स हासिल किया है. उसकी इस सफलता में काफी संघर्ष छिपा है. चार साल पहले पिता के देहांत के बाद बिरसा की जिंदगी मां और भाई के सहारे चल रही थी. इस दौरान फरवरी में मैट्रिक परीक्षा शुरू होने से आठ दिन पहले मां हमेशा के लिए साथ छोड़ गयी. इसके बावजूद उसने परीक्षा दी और सफलता हासिल की. जिंदगी कुछ संभलती कि डेढ़ महीने पहले सड़क दुर्घटना में बड़े भाई की मौत हो गयी. परिवार में चार बहनें हैं. दो बहन की शादी हो चुकी है. घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि उसके पास 11वीं में एडमिशन के लिए पैसे नहीं हैं.

इन्होंने बढ़ाया मदद का हाथ

मां फाउंडेशन की डॉ सुमन दुबे ने कहा है कि होनहार विद्यार्थी की पढ़ाई न रुके, इसके लिए उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने को तैयार हैं. साथ ही खाने और रहने का भी पूरा खर्च वहन करेंगी. यदि बिरसा की जिंदगी संवारने में वह कुछ काम आती हैं, तो यह गौरव की बात होगी. रूमेटोलॉजिस्ट डाॅ देवनीश खेस एंड फ्रेंड्स ने भी उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने को कहा है. डॉ देवनीश ने कहा कि समाज का यह दायित्व है कि वह प्रतिभा को निखारने में सहयोग करे. सामाजिक कार्यकर्ता त्रिलोचन सिंह ने कहा : बिरसा की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए तैयार हूं. प्रभात खबर में खबर पढ़ने के बाद काफी बेचैन हूं. मेरी पत्नी ने कहा कि कोई बच्चा पैसे की कमी के कारण पढ़ाई नहीं कर पाये यह समाज के लिए दुर्भाग्य की बात होगी. इसके अलावा रांची विवि के रिटायर प्रोफेसर वीएन पांडेय और कांके रोड के विष्णु मोदी ने भी मदद देने की बात कही है. गेतलसूद निवासी व जिला बीस सूत्री उपाध्यक्ष जैलेंद्र कुमार ने कहा कि प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद बिरसा टोप्पो की कहानी को जाना. उसकी उच्च शिक्षा के लिए उनका सहयोग रहेगा. गेतलसूद निवासी व अनगड़ा प्रमुख अनीता गाड़ी ने कहा कि वह बिरसा टोप्पो को हर संभव मदद करेंगी. वहीं ग्लोबल विलेज संपूर्ण संस्था के प्रतिनिधि ने खबर प्रकाशित होने के बाद बिरसा टोप्पो से बात की है और पढ़ाई में मदद का आश्वासन दिया है.

बिरसा को शिक्षक बनाना चाहते थे माता-पिता

बलौरा (गेतलसूद) का रहनेवाला बिरसा टोप्पो चार बहन और दो भाइयों में पांचवें नंबर पर है. दो बड़ी बहन की शादी हो चुकी है. अब परिवार में मां, पिता और भाई नहीं हैं. बिरसा छोटी दीदी शैली कुमारी पैसे के कारण पांचवीं के बाद नहीं पढ़ सकी. छोटी बहन सुनीता गेतलसुद स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ रही है. बिरसा टोप्पो की पढ़ाई सरस्वती शिशु विद्या मंदिर गेतलसूद से हुई है. काफी विषम परिस्थितियों में मैट्रिक में 86.2 प्रतिशत मार्क्स हासिल किया है. बिरसा का कहना है कि माता-पिता की इच्छा थी कि वह पढ़-लिख कर टीचर बने. उसके जीवन का लक्ष्य माता-पिता के सपनों को पूरा करना है. इसके लिए कड़ी मेहनत करूंगा. प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद काफी फोन आ रहे हैं. आशा है कि मेरी जिंदगी अब नयी राह पर चल पायेगी. इसके लिए प्रभात खबर और मदद को उत्साहित लोगों को धन्यवाद देता हूं. यदि समाज में ऐसे लोग रहे, तो हर गरीब बच्चा अपनी शिक्षा पूरी कर पायेगा.

पैसे के कारण नहीं लिया 11वीं का एडमिशन फॉर्म
बिरसा टोप्पो ने कहा कि घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि 11वीं में एडमिशन करा सकूं. मेरी इच्छा संत जॉन कॉलेज से आइकॉम करने की थी, लेकिन पैसे के कारण एडमिशन फॉर्म नहीं ले सका. प्राचार्य से बात करने पर उन्होंने कुछ लोगों का नंबर दिया, ताकि मदद मिल सके. मन में काम करने की भी बात आयी, लेकिन लगा कि काम करने लगा, तो पढ़ाई छूट जायेगी. इसलिए एडमिशन के लिए अपनी तरफ से प्रयास कर रहा था. इसी दौरान प्रभात खबर के प्रतिभा सम्मान समारोह में आने का मौका मिला और लोगों से सहयोग की उम्मीद जगी.

बड़ी बहन करती है रेजा का काम छोटी बहन की छूट चुकी है पढ़ाई
बिरसा ने बताया कि बड़े भैया की शादी इसी साल 25 अप्रैल को हुई थी़ एक महीने बाद ही उनका देहांत हो गया. 16 मई को भैया शादी समारोह में शामिल होने बुंडू जा रहे थे़, तभी सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी. उनकी शादी का कर्ज भी अभी बकाया है. भाभी भी मायके चली गयी़ अब मुझे और दो बहनों को संभालने के लिए बड़ी दीदी घर आयी है. वह रेजा का काम कर हमारा भरण-पोषण कर रही है. बिरसा और उसकी दोनों बहन कच्ची ईंट के बने मकान में रहते हैं. पिता के राशन कार्ड से हर महीने अनाज मिल जाता है. इससे थोड़ी राहत है. साथ ही टाड़ में मकई की खेती होती है, जिसे बेचकर कुछ पैसे आ जाते हैं. बहन शैली ने बताया कि बिरसा बचपन से ही पढ़ने में तेज है. इसलिए मां-पापा ने निजी स्कूल में पढ़ाने की कोशिश की.

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