5जी नेटवर्क डिजिटल तकनीक में ऊंची छलांग, जानें

डिजिटल डेटा नेटवर्क की पांचवीं पीढ़ी यानी 5जी बहुत जल्द इस्तेमाल की जा सकेगी. अनेक देशों में इसे लाने की कवायद जोरों पर है. इस तकनीक और डेटा सुरक्षा को लेकर अमेरिका ने चीनी कंपनी हुवै पर पाबंदी तक लगा दी है. भारत भी इस चिंता को लेकर आश्वस्त नहीं है, पर उसने हुवै और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2019 6:27 AM
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डिजिटल डेटा नेटवर्क की पांचवीं पीढ़ी यानी 5जी बहुत जल्द इस्तेमाल की जा सकेगी. अनेक देशों में इसे लाने की कवायद जोरों पर है. इस तकनीक और डेटा सुरक्षा को लेकर अमेरिका ने चीनी कंपनी हुवै पर पाबंदी तक लगा दी है. भारत भी इस चिंता को लेकर आश्वस्त नहीं है, पर उसने हुवै और अन्य प्रमुख कंपनियों से परीक्षण के लिए प्रस्ताव मांगा है. बहुआयामीय क्षमता के 5जी के साथ अगले साल सूचना तकनीक की यात्रा एक नये युग में प्रवेश करेगी.

डिजिटल सूचना तकनीक की यात्रा में 2जी नेटवर्क के साथ मैसेज करने की शुरुआत हुई, तो 3जी नेटवर्क ने मोबाइल फोन को इंटरनेट से जोड़ दिया. हाई स्पीड प्रोसेसिंग चिप के विकास, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क और वायरलेस नेटवर्क के साथ 4जी नेटवर्क की आमद हुई.

यह एक बड़ी उपलब्धि थी और इसने मोबाइल फोन को सही मायने में स्मार्ट फोन बना दिया और अब वह पूरी तरह से एक कंप्यूटर ही बन गया. डाटा स्पीड के तेज होने की वजह से जीपीएस नेवीगेशन, इंस्टैंट ऑडियो और वीडियो मैसेजिंग और विभिन्न उपयोगों के लिए एप का इस्तेमाल होने लगा. अब मोबाइल फोन मनोरंजन और संवाद का प्रमुख साधन बन गया.

यदि 4जी नेटवर्क बहुत बढ़िया स्पीड दे रहा है, तो वह आम तौर पर 45 एमबीपीएस (मेगाबाइट प्रति सेकेंड) होती है. ऐसा माना जा रहा था कि इसमें बढ़ोतरी की जा सकती है.

परंतु टेलीफोनी के तेज विस्तार से इस नेटवर्क सिस्टम पर दबाव बहुत बढ़ा दिया है. अब 5जी की धमक है और माना जा रहा है इसमें इंटरनेट की स्पीड और डेटा ट्रांसफर की बेहद तेज गति डिजिटल संचार को पूरी तरह से बदल कर रख देगी. जानकारों की मानें, तो 5जी नेटवर्क में इंटरनेट की गति एक हजार एमबीपीएस तक जा सकती है, जो कि 4जी की तुलना में कई गुना अधिक होगी.

क्या है 5जी?

पांच भिन्न तकनीकों के सामंजस्य से 5जी की रूप-रेखा बनती है. इनमें मिलीमीटर वेब्स, स्मॉल सेल, मैसिव माइमो, बीमफॉर्मिंग और फुल डुप्लेक्स शामिल हैं. हमारे मौजूदा स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज, जैसे- टीवी या वाई फाई छह गीगाहर्ट्ज से नीचे की फ्रिक्वेंसी पर चलते हैं. इंटरनेट उपकरणों की बढ़ती संख्या के चलते यह फ्रिक्वेंसी जाम हो रही है और इसकी गति धीमी पड़ रही है.

अब मिलीमीटर वेब्स के जरिये 30 से 300 गीगाहर्ट्ज के खाली फ्रिक्वेंसी बैंड को इस्तेमाल में लाने की कोशिश हो रही है. पर इनका वेवलेंथ बहुत छोटा होता है, सो मिलीमीटर वेब्स बहुत अच्छे से गतिशील नहीं हो पाती हैं. ये बड़े पेड़ या बड़ी इमारतों जैसी बाधा को पार नहीं कर पाती हैं. बारिश और पेड़ भी इन तरंगों को सोख लेते हैं. इस दिक्कत से पार पाने के लिए इसके साथ स्मॉल सेल तकनीक को भी जोड़ा जा रहा है.

फिलहाल डेटा ट्रांसफर के लिए लंबे टावरों का इस्तेमाल होता है. इन टावरों से अगर मिलीमीटर वेब्स छोड़ी भी गयीं, तो वे बाधाओं से टकराने की वजह से बेकार हो जायेंगी. इस परेशानी से निबटने के लिए अब एक बड़े टावर के आस-पास कई छोटे-छोटे स्मॉल सेल बेस प्वाइंट लगाने की योजना है, जो टावर की आवृत्तियों को ट्रांसफॉर्मरों की तरह आगे प्रसारित कर सकेंगे.

मल्टीपल इनपुट और मल्टीपल आउटपुट की तकनीक मैसिव माइमो का भी इस्तेमाल 5जी में किया जा रहा है. मैसिव माइमो बेस्ड स्टेशनों में एंटीनाओं पर 100 से ज्यादा पोर्ट होंगे, जबकि 4जी के टावरों में एंटीनाओं के लिए करीब दर्जन भर पोर्ट ही होते हैं.

इतने ज्यादा सिग्नलों के क्रॉस कनेक्शन को रोकने के लिए बीमफॉर्मिंग तकनीक का इस्तेमाल होता है. इसके माध्यम से सिग्नल बिना परस्पर उलझे निर्धारित दिशाओं में प्रसारित होंगे. फुल डुप्ले तकनीक इनकमिंग और आउटगोइंग डेटा को एक साथ नियंत्रित करेगी.

इस्तेमाल का बड़ा दायरा

इस अत्याधुनिक तकनीकी संगम से वायरलेस नेटवर्क बहुत तेज हो सकेगा और डेटा ट्रांसफर की गति में बड़े पैमाने में बढ़ोतरी होगी. यह उल्लेखनीय है कि 5जी तकनीक के इस्तेमाल का दायरा स्मार्टफोन पर वीडियो देखने से कहीं ज्यादा बड़ा है.

इसकी मदद से बिना चालक के वाहन चालन, स्मार्ट शहरों और घरों का संचालन, वर्चुअल रियलिटी और तेज रियल टाइम अपडेट जैसे काम हो सकेंगे. 5जी के माध्यम से दो उपकरण आपस में सिग्नलों के माध्यम से ऑटोमैटिक संवाद करने में सक्षम होंगे. उदाहरण के लिए बिना चालक के दो वाहन सामंजस्य बैठाकर आपस में दूरी और गति जैसी सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं.

5जी 3डी यानी त्रिआयामीय (थ्री डायमेंशनल) डेटा में भी लाइव रियल टाइम में बदलाव करने में सक्षम होगा. ऐसे में वर्चुअल रियलिटी का स्तर अकल्पनीय दौर में पहुंच सकता है. उदाहरण के लिए आप अगर एक वर्चुअल रियलिटी चश्मे से वर्चुअल बॉक्स देख रहे हैं, तो 5जी नेटवर्क के साथ आप रियल टाइम में उस बॉक्स को घुमा सकते हैं, खोल सकते हैं, उस पर निशान लगा सकते हैं और उसकी दीवारें भी अलग कर सकते हैं या बदल सकते हैं.

नुकसान की चिंता

5जी नेटवर्क को लेकर अनेक चिंताएं भी जतायी जा रही हैं. यह नेटवर्क खास तौर पर शहरों को मिलीमीटर वेब्स के जाल में बदल देगा. कीट-पतंगों और पंछियों का जीवन इन तरंगों से तबाह हो सकते हैं.

स्वास्थ्य से जुड़े कुछ शोधों का दावा है कि 5जी इंसान की कोशिकाओं और डीएनए को भी नुकसान पहुंचायेगा. इससे मानव और अन्य जीवों के शरीर का तापमान भी बढ़ सकता है. जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान में वृद्धि तथा बढ़ते प्रदूषण से जूझती दुनिया के लिए 5जी एक बड़ा खतरा बन सकता है. इन आशंकाओं को दूर करने की कोशिशें भी गंभीरता से नहीं हो रही हैं. चीन समेत दुनिया के कुछ देश 5जी नेटवर्क का इस्तेमाल शुरू करने का फैसला ले चुके हैं तथा भारत समेत बहुत-से देशों में इसके परीक्षण को अनुमति मिल चुकी है. उम्मीद है कि इस संबंध में दुष्परिणामों को लेकर लोगों को भरोसे में लेने की कोशिश होगी.

दुनिया में 5जी

ग्लोबल मोबाइल सप्लायर्स एसोसिएशन द्वारा जारी रिपोर्टों के मुताबिक, इस साल जून तक 5जी के 90 डिवाइसेज जारी हो चुके हैं. इनमें 25 फोन हैं, जिनमें से नौ बाजार में उपलब्ध हैं. इनके अलावा सात हॉट्सपॉट्स, 23 इनडोर/आउटडोर घरेलू उपकरण, 23 मॉड्यूल और दो इंटरनेट ऑफ थिंग्स राउटर हैं.

अभी 61 देश ऐसे हैं, जिन्होंने 5जी स्पेक्ट्रम के आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है या इसके लिए तारीख तय कर दिया है. अमेरिका ने दो और कनाडा ने एक हाइबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी कर दी है. यूरोप के सात देशों- फिनलैंड, जर्मनी, इटली, आयरलैंड, लातविया, स्पेन और ब्रिटेन- ने नीलामी का काम पूरा कर लिया है. मध्य-पूर्व और अफ्रीका में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, और कुवैत में भी आवंटन हो चुका है. इनके अलावा दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने भी स्पेक्ट्रम की नीलामी कर दी है. कुछ ऐसे देश भी हैं, जिनके स्पेक्ट्रम का भविष्य में 5जी के लिए इस्तेमाल हो सकता है.

भारत में 5जी

पिछले महीने केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने घोषणा की कि सरकार जल्दी ही ऐसे स्पेक्ट्रम की नीलामी करेगी, जिनका इस्तेमाल 5जी सेवाओं के लिए किया जा सकता है. सरकार ने सितंबर तक इस तकनीक का परीक्षण शुरू करने का भी फैसला लिया है और इसके लिए वैश्विक स्तर पर अग्रणी कंपनियों से प्रस्ताव मांगे गये हैं.

अगले साल तक 5जी सेवाएं शुरू करने का लक्ष्य भी रखा गया है. एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था पर इस तकनीक से एक ट्रिलियन डॉलर का प्रभाव पड़ सकता है. इरीक्सन कंपनी की एक रिपोर्ट का मानना है कि 5जी सेवाएं हमारे देश में 2026 तक 27 अरब डॉलर का राजस्व जोड़ सकती हैं. मोबाइल ऑपरेटरों के वैश्विक संगठन जीएसएमए का कहना है कि 2025 तक देश में सात करोड़ 5जी कनेक्शन संभावित हैं.

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