माउंटबेटन का प्रयास था कि कश्मीर पाकिस्तान में शामिल हो जाए, जिन्ना से भी की थी बात
माउंटबेटन को लगा कि यदि कश्मीर में जनमत संग्रह होगा तो उसका नतीजा भारत के हक में ही होगा. इसके बाद माउंटबेटन लाहौर गये और वहां उन्होंने जिन्ना से मुलाकात की. जिन्ना ने सुझाव दिया कि दोनों देशों की सेनाओं को कश्मीर से हट जाना चाहिए. साथ ही यह भी कहा कि यदि आप भारत […]
माउंटबेटन को लगा कि यदि कश्मीर में जनमत संग्रह होगा तो उसका नतीजा भारत के हक में ही होगा. इसके बाद माउंटबेटन लाहौर गये और वहां उन्होंने जिन्ना से मुलाकात की. जिन्ना ने सुझाव दिया कि दोनों देशों की सेनाओं को कश्मीर से हट जाना चाहिए. साथ ही यह भी कहा कि यदि आप भारत की सेना नहीं हटायेंगे तो दोनों के बीच किसी भी प्रकार की बात संभव नहीं होगी.
नेशनल कंटेंट सेल
एक जनवरी, 1948 को सारा मामला संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद को सौंप दिया गया. जैसे ही मामला सुरक्षा परिषद को सौंपा गया ब्रिटेन ने भारत के विरुद्ध बोलना प्रारंभ कर दिया. ऐसा उस समय किया गया, जब भारतीय सेना आक्रमणकारियों को पूरी तरह से खदेड़ने की स्थिति में थी. ब्रिटेन व अमेरिका जानते थे कि यदि भारत ने आक्रमणकारियों को खदेड़ दिया तो कश्मीर की समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगी. इसलिए उन्होंने जबर्दस्त दबाव बनाकर युद्धविराम करवा दिया. युद्धविराम का नतीजा यह हुआ कि कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में बना रहा.