सुषमा का यशमय राजनीतिक व्यक्तित्व
प्रो आनंद कुमार समाजशास्त्री सुषमा स्वराज के निधन से भारतीय राजनीति में आपातकाल की खतरनाक सियासत के संघर्ष से पैदा राष्ट्रीय नेताओं की कतार में एक बड़ा शून्य आ गया है. राजनीतिक गलियारे में एक खालीपन सा पसर गया है. सुषमा स्वराज की यशमय सार्वजनिक जीवन यात्रा में उनकी अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियां शामिल हैं. भारतीय […]
प्रो आनंद कुमार
समाजशास्त्री
सुषमा स्वराज के निधन से भारतीय राजनीति में आपातकाल की खतरनाक सियासत के संघर्ष से पैदा राष्ट्रीय नेताओं की कतार में एक बड़ा शून्य आ गया है. राजनीतिक गलियारे में एक खालीपन सा पसर गया है.
सुषमा स्वराज की यशमय सार्वजनिक जीवन यात्रा में उनकी अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियां शामिल हैं. भारतीय जनता पार्टी की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला नेता के रूप में उनकी राजनीतिक उपलब्धियां आनेवाली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देगी. वस्तुत: उनका राजनीतिक योगदान भारतीय लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों की प्रतिष्ठा की लड़ाई से शुरू हुआ. यह बहुत महत्वपूर्ण बात है.
लोकनायक जेपी के आह्वान पर भारत की युवा शक्ति ने राष्ट्र निर्माण के लिए जो कदम उठाये, उसमें सुषमा स्वराज अगली कतार की नेता रही थीं. उनके व्यक्तित्व में एक साथ युवा शक्ति, महिला शक्ति, लोक शक्ति और राज्य शक्ति का अद्भुत समन्वय था. ऐसा गुण विरले नेताओं में ही होता है.
हालांकि, यह अलग बात है कि जनता सरकार के पतन और जनता पार्टी के बिखराव से पैदा राजनीतिक धुंध में उन्होंने उत्तर भारत की राजनीतिक प्रक्रियाओं में हिंदुत्व की धारा से खुद को जोड़ा. लेकिन, सांसद और मंत्री के रूप में उनका आचरण मर्यादापूर्ण और लोकतांत्रिक रहा. यह भी एक मिसाल है, इसीलिए आज उनकी राजनीतिक शैली और नेतृत्व की पद्धति की बड़ी जरूरत महसूस की जा रही है.
इस समय देश में सत्ताधारी पक्ष से लेकर संपूर्ण विपक्ष तक व्यक्तिगत हित, दल हित और देश हित के बीच स्वस्थ समन्वय और संतुलन रखनेवालों की तेजी से कमी होती जा रही है. ऐसे में सुषमा जी का इस तरह असमय इस दुनिया से विदा लेना भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति अवश्य है. सुषमा के देहावसान के बावजूद उनका कर्म और उनकी बनायी राह नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक रहेगी.