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लोक संस्कृति की प्रवक्ता थीं सुषमा स्वराज

मृदुला सिन्हा, राज्यपाल, गोवा सुषमा स्वराज का हमारे बीच से जाना मेरे ही नहीं, बल्कि करोड़ों परिवारों के लिए भी एक पारिवारिक क्षति है. राजनीति के क्षितिज पर शोभायमान वे संवेदनशील और स्त्री के सभी गुणों से अलंकृत एक साहसी नेत्री थीं. पिछले दिनों उनकी बीमारी से उबरने के लिए देशभर के महिला-पुरुष ने ईश्वर […]

मृदुला सिन्हा, राज्यपाल, गोवा
सुषमा स्वराज का हमारे बीच से जाना मेरे ही नहीं, बल्कि करोड़ों परिवारों के लिए भी एक पारिवारिक क्षति है. राजनीति के क्षितिज पर शोभायमान वे संवेदनशील और स्त्री के सभी गुणों से अलंकृत एक साहसी नेत्री थीं.
पिछले दिनों उनकी बीमारी से उबरने के लिए देशभर के महिला-पुरुष ने ईश्वर से प्रार्थना की थी. ईश्वर ने उनकी सुनी और वे स्वस्थ हो गयीं. छह अगस्त की शाम की यह क्षति भारतीय राजनीति की क्षति है. उनके व्यक्तित्व को भारतीय जनता पार्टी के घेरे में नहीं बांधा जा सकता है. राजनीति के शिखर पर विराजमान वे भारतीय नारी की पहचान थीं. उच्च शिक्षा प्राप्त सुषमा जी प्रखर वक्ता ही नहीं, लाेकसंस्कृति की भी प्रवक्ता थीं. हर तीज-त्योहार, रस्म-रिवाज का मर्म पहचानती ऐसे अवसरों पर उसमें डूबकर भूल जाती थीं कि उनकी और भी पहचान है.
अपने हृदय में ममता की स्रोत संजोये सुषमा जी ने विदेश मंत्री के नाते विदेश में फंसे स्त्री-पुरुष, युवा-युवतियों के कष्टों का निवारण किया. विदेश मंत्रियों के लिए एक नया आयाम जोड़ गयीं. साल 1984 से मेरा उनका संबंध बना. लेकिन पिछले चार दशकों में संबंधों में एक नन्हीं सी भी गांठ नहीं बनी.
गोवावासीगण और मेरा पूरा परिवार ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति मिलने की प्रार्थना करता है और उनके जीवन के सहयात्री उनके पति श्री स्वराज कौशल, उनकी बेटी गुड़िया (बांसुरी) तथा सभी परिजनों के लिए उनकी क्षति बर्दाश्त करने की शक्ति मांगता है. ॐ शांति: शांति: शांति:

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