वेब पत्रकारिताः खबरों की साख का संकट और भविष्य की राह
ऑनलाइन पत्रकारिता का सफर भारत में दो दशक से ज्यादा पुराना है. यह पत्रकारिता सूचनाओं, समाचारों और विचारों के प्रसार का सबसे तेज और सबसे बड़ा माध्यम बन गयी है. डिजिटल पत्रकारिता में मोबाइल फोन एक औजार बन गया है. यह औजार समाज के हर वर्ग और तबके के पास है. यह सवाल भी उठाता […]
ऑनलाइन पत्रकारिता का सफर भारत में दो दशक से ज्यादा पुराना है. यह पत्रकारिता सूचनाओं, समाचारों और विचारों के प्रसार का सबसे तेज और सबसे बड़ा माध्यम बन गयी है. डिजिटल पत्रकारिता में मोबाइल फोन एक औजार बन गया है.
यह औजार समाज के हर वर्ग और तबके के पास है. यह सवाल भी उठाता है और जवाब भी तलाशता है. मुद्दे उठाता भी है और उछालता भी है. इसका स्वरूप इतना इतना बदल गया है कि इसका छोर पाना ही मुश्किल हो चला है. न्यू मीडिया के विस्तार से समाचारों की दुनिया में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं. सबसे अहम तो यही है कि इसने बड़े मीडिया घरानों के एकाधिकार को लगभग समाप्त कर दिया है.
न्यू मीडिया के विस्तार ने उसके सामने सही-गलत सूचनाओं का ऐसा अंबार लगा दिया है कि सही सूचना को पहचानना ही उसके लिए एक चुनौती बन पड़ी है. ऐसे में इस चुनौती से उबरना उपभोक्ता के लिए मुश्किल हो गया है. वेब मीडिया का भविष्य तो है, लेकिन इसके साथ चुनौतियां रेवेन्यू को लेकर हैं. वेब मीडिया के पास अभी सस्टेनेबल रेवेन्यू मॉडल नहीं बन पाया है. प्रस्तुत है ऑनलाइन पत्रकारिता के संकट और भविष्य की पड़ताल करता यह विशेषांक.