हेल्दी कोलेस्ट्रॉल लेवल के लिए आज से बदलिए अपनी जीवन-शैली

डॉ एसके मुंद्रा एचओडी, इंटरनल मेडिसिन, सरोज सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ दिल का होना बहुत जरूरी है, इसलिए दिल के प्रति लापरवाही बिल्कुल भी नहीं बरतनी चाहिए. आज के लाइफस्टाइल और अनियमित आहार के कारण 30 से 40 साल की उम्र में ही लोगों को दिल के रोग होने लगे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 27, 2019 7:06 AM
an image
डॉ एसके मुंद्रा
एचओडी, इंटरनल मेडिसिन, सरोज सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली
स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ दिल का होना बहुत जरूरी है, इसलिए दिल के प्रति लापरवाही बिल्कुल भी नहीं बरतनी चाहिए. आज के लाइफस्टाइल और अनियमित आहार के कारण 30 से 40 साल की उम्र में ही लोगों को दिल के रोग होने लगे हैं. यह समस्या इतनी आम हो चुकी है कि हर परिवार में कोई-न-कोई सदस्य हृदय रोग से ग्रस्त है.
यही नहीं, अब तो छोटी उम्र के बच्चे भी इस बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं. भारत में खराब लाइफस्टाइल, तनाव, एक्सरसाइज न करने और अनियमित फूड हैबिट्स की वजह से लोगों को दिल से संबंधित गंभीर रोग होने लगे हैं. इसकी वजह से लोग अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल से घिर रहे हैं, जो हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है.
कोलेस्ट्रॉल लिपिड (वसा) है, जो लीवर द्वारा उत्पन्न होता है. यह शरीर की सभी कोशिकाओं में पाया जाता है, जो खून में सर्कुलेशन के रूप में जाना जाता है.
हमारे शरीर में खाद्य पदार्थों को पचाने में मदद करने और अन्य कार्यों के लिए कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है. शरीर की हर कोशिका के जीवन के लिए इसका होना आवश्यक है. चूंकि यह वसा/ चर्बी युक्त होता है, इसलिए यह रक्त में नहीं घुलता है और छोटे-छोटे कणों जिसे लाइपो प्रोटीन कहते हैं, के रूप में संचरित होता है. यह लाइपो प्रोटीन दो तरह के होते हैं –
एलडीएल (लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन) : अक्सर इसे बैड कोलेस्ट्रॉल के नाम से संबोधित किया जाता है. एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को लीवर से कोशिकाओं में ले जाता है.
अगर इसकी मात्रा ज्यादा होगी, तो यह कोशिकाओं में हानिकारक रूप में इकट्ठा होने लगेगा. समय बीतने के साथ यह धमनियों को संकरा कर देता है, जिससे रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से नहीं हो पाता. मानव रक्त में एलडीएल की मात्रा औसतन 70 प्रतिशत होती है. यह कोरोनरी हार्ट डिजीजेज और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है.
एचडीएल (हाइ डेनसिटी लिपोप्रोटीन) : इसे गुड कोलेस्ट्रॉल माना जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कोरोनरी हार्ट डिजीज और स्ट्रोक को रोकता है. एचडीएल ठीक एलडीएल के उलट काम करता है. एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं से दूर वापस लीवर में ले जाता है. लीवर में या तो यह टूट जाता है या व्यर्थ पदार्थों के साथ शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है.
कोलेस्ट्रॉल के कार्य : कोलेस्ट्रॉल कोशिकाओं की बाहरी परत का निर्माण करता है और उनका रख-रखाव करता है. यह इस बात की भी निगरानी करता है कि कौन-से अणु कोशिकाओं में प्रवेश करें और कौन-से नहीं.
कोलेस्ट्रॉल सेक्स हार्मोन एंड्रोजन और एस्ट्रोजन के निर्माण में भी भाग लेता है. यह एड्रिनल ग्रंथि द्वारा स्त्रावित हार्मोंनो कार्टिसोल, एल्डोस्टेरॉन और दूसरों हार्मोनों के स्त्रावण के लिए जरूरी है. यह सूरज की किरणों को विटामिन-डी में बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वसा में घुलनशील विटामिनों जिनमें विटामिन ए, डी, इ और के मुख्यत: शामिल हैं, के बेहतर मेटाबॉलिज्म स्तर के लिए कोलेस्ट्रॉल बेहद जरूरी है.
कोलेस्ट्रॉल का स्तर
सामान्य : टोटल ब्लड कोलेस्ट्रॉल 200 एमजी/डीएल से कम
एलडीएल 130 एमजी/डीएल से कम होना चाहिए.
असामान्य : टोटल लेवल 240 एमजी/डीएल से ज्यादा और
एलडीएल 160 एमजी/डीएल से ज्यादा हो तब.
हाइ कोलेस्ट्रॉल को कैसे पहचानें
ब्लड टेस्ट के अलावा आपका शरीर भी आपको कुछ संकेत देने लगता है, जिसके जरिये आप इस बात का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं कि कहीं आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ तो नहीं रहा है.
हाथ-पैर में दर्द या सिहरन : जब खून में कोलेस्ट्रॉल लेवल बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो शरीर में मौजूद रक्त वाहिकाओं में अवरोध उत्पन्न होने लगता है. ऐसे हाथ-पैर में सिहरन या दर्द महसूस होता है.
गर्दन के पीछे दर्द : हाइ कोलेस्ट्रॉल लेवल से शरीर की कुछ रक्त वाहिकाएं ब्लॉक्ड होने लगती हैं, जिससे सिर में रक्त का संचार प्रभावित होता है. इससे सिर के पिछले हिस्से में दर्द महसूस होने लगता है. गर्दन और कंधे में सूजन और दर्द हो सकता है.
हृदय गति का तेज होना : कई बार एक्सरसाइज करने के बाद या तेजी से दौड़ लगाने या सीढ़िया चढ़ने या कोई भारी सामान उठाने पर दिल की धड़कन तेज हो जाती है. हालांकि ऐसा किसी दवाई या तनाव से भी हो सकता है. मगर थोड़ा-सा चलने पर ही सांस फूलने लगे, तो यह हाइ कोलेस्ट्रॉल के संकेत हैं.
अचानक वजन का बढ़ना : अगर अचानक बिना किसी कारण आपका वजन बढ़ रहा हो और आपको हर वक्त भारी-भारी-सा महसूस हो, तो यह हाइ कोलेस्ट्रॉल लेवल का संकेत हो सकता है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर अपना चेकअप करवाएं.
पलकों पर पीले रंग की परत : अगर आंखों की ऊपर वाली या फिर नीचे वाली पलकों पर पीले रंग की परत दिखे, तो साफ संकेत है कि आपके खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक बढ़ गयी है. हालांकि इससे आंखों को नुकसान नहीं होता, न ही इसमें दर्द होता है. इन्हें हटाने के लिए आपको अपने कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना होगा.
कॉर्निया में भूरे रंग का रिंग बनना : आइने के सामने खड़े होकर अपनी आंखों को ध्यान से देखें. अगर आंखों के सफेद भाग जिसे कॉर्निया कहते हैं, के इर्द-गिर्द भूरे रंग का रिंग जैसा कुछ दिखता है, तो समझ जाएं कि आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ गया है. वैसे बुजुर्गों में यह आम बात है, मगर आपकी उम्र 45 से कम है, तो सतर्क हो जाएं.
कैसे बचें हाइ कोलेस्ट्रॉल से नियमित एक्सरसाइज और योग करें.
फल, सब्जियां, साबूत अनाज अधिक मात्रा में खाएं.
सेचुरेटेड फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.
पर्याप्त नींद लें. तनाव दूर रखें.
अपना वजन सामान्य रखें.
धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें.
फायबर युक्त भोजन का सेवन अधिक करें.
सूखे मेवे जैसे अखरोट और बादाम भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं. अखरोट रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ भी रखता है.
रिस्क फैक्टर्स :
परिवार में या निकट संबंधियों में किसी को कोरोनरी हार्ट डिजीज या स्ट्रोक होने से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होने का खतरा बढ़ जाता है.
पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर होने की संभावना अधिक होती है.
उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने का खतरा बढ़ता जाता है.
खास कर जो महिलाएं मोनोपॉज की उम्र को जल्दी पहुंच जाती हैं, उनमें कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने की आशंका दूसरी स्त्रियों के मुकाबले अधिक होती है.
भारतीय उपमहाद्वीप (भारत, पाकिस्तान, बांग्ला देश, श्रीलंका) के लोगों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होने की आशंका अधिक होती है.
इनपुट : शमीम खान
अच्छा खाएं, कोलेस्ट्रॉल को दें मात
तला हुआ, रिफाइंड ओर प्रोसेस्ड फूड पाचन तंत्र पर दबाव डालते हैं. इनसे शरीर में अम्लता बढ़ती है और कोलेस्ट्रॉल लेवल भी बढ़ता है. अधिकतर कोलेस्ट्रॉल जो धमनियों को संकरा करता है और दिल को बीमार बनाता है, वह आपके भोजन से आता है- मुख्य रूप से संपूर्ण दुग्ध उत्पादों और मांस से. ओट में कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फायबर प्रचुर होते हैं. साबूत अनाज- राजमा, काबुली चना, काला और हरा चना डाएट्री कोलेस्ट्रॉल के दूसरे महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं.
Exit mobile version