बेटे ने की आत्महत्या,तो बच्चों को बचाने में जुटे: झारखंड को दक्षिण कोरिया के किम जोंग जैसी शख्सियत की जरूरत

मिथिलेश झादक्षिण कोरिया के किम जोंग की को वर्ष 2019 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला है. किम जोंग की अपने देश में किशोरों में आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने और उसके कारणों के खात्मे के लिए 24 साल से संघर्ष कर रहे हैं. 16 साल की उम्र में उनके बेटे ने आत्महत्या कर ली थी. इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2019 10:00 AM

मिथिलेश झा
दक्षिण कोरिया के किम जोंग की को वर्ष 2019 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला है. किम जोंग की अपने देश में किशोरों में आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने और उसके कारणों के खात्मे के लिए 24 साल से संघर्ष कर रहे हैं. 16 साल की उम्र में उनके बेटे ने आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद ही उन्होंने किशोर आत्महत्या के मामले में दक्षिण कोरिया के रिकॉर्ड को दुरुस्त करने का संकल्प किया. सबसे पहले स्कूलों में फैली बुराई को खत्म करने का निश्चय किया. दरअसल, उनके बेटे ने स्कूल के कुछ बदमाश लड़कों की शैतानी से तंग आकर अपनी जान दे दी थी.

किम जोंग की ने पाया कि आत्महत्या के मामले में दक्षिण कोरिया का रिकॉर्ड बेहद खराब था. विकसित देशों में शुमार इस देश में आत्महत्या करने वालों की दर सबसे अधिक थी. बेटे की मौत के गम में डूबा यह शख्स अपने व्यक्तिगत दुखों को भुलाकर दक्षिण कोरिया के युवाओं की जिंदगी बचाने में जुट गया. उन्होंने स्कूल-कॉलेजों में होने वाली हिंसा को रोकने का संकल्प लिया. 24 साल से वह रैगिंग, स्कूलों में बच्चों पर अपने साथियों द्वारा धौंस जमाये जाने के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. इसके लिए उन्होंने एक फाउंडेशन की भी स्थापना की.

फाउंडेशन चला रहा अभियान
किम के फाउंडेशन का नाम द फाउंडेशन फॉर प्रिवेंटिंग यूथ वॉयलेंस है, जो अन्य गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) की मदद से की जागरूकता अभियान चलाता है. इस फाउंडेशन ने एक हॉटलाइन की शुरुआत की, जहां हर दिन कम से कम 50 बच्चों से विशेषज्ञ बातचीत करते हैं. जागरूकता अभियान और हॉटलाइन के साथ-साथ उन्होंने बच्चों के लिए काउंसेलिंग, मेडिटेशन की भी व्यवस्था की. इतना ही नहीं, किम ने इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए दक्षिण कोरिया की सरकार पर इससे जुड़ी नीतियां बनाने का दबाव भी बनाया. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि वर्ष 2005 में दक्षिण कोरिया में किशोरों की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या था. आत्महत्या के आधे से अधिक मामले स्कूल में बच्चों के साथ होने वाली बदसलूकी थी. उनके दोस्तों का व्यवहार था. किम जोंग की ने इसके खिलाफ अभियान चलाया और किशोरावस्था में होने वाली आत्महत्या के मामलों को काफी हद तक नियंत्रित करने में दक्षिण कोरिया की मदद की.

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