जानें खुद से कैसे करें अपनी गाड़ी का इंश्योरेंश

आमतौर पर लोग बीमा जैसी जिम्मेवारी को झमेले का काम समझते हैं और किसी तरह की माथापच्ची से बचने के लिए एजेंट का सहारा लेते हैं. इनमें कुछ एजेंट तो बीमा कंपनियों द्वारा अधिकृत होते हैं, मगर कुछ अनाधिकृत होते हैं, जो इस काम के एवज में 500-2000 रुपये ग्राहक से वसूल लेते हैं. कई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2019 9:42 AM
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आमतौर पर लोग बीमा जैसी जिम्मेवारी को झमेले का काम समझते हैं और किसी तरह की माथापच्ची से बचने के लिए एजेंट का सहारा लेते हैं. इनमें कुछ एजेंट तो बीमा कंपनियों द्वारा अधिकृत होते हैं, मगर कुछ अनाधिकृत होते हैं, जो इस काम के एवज में 500-2000 रुपये ग्राहक से वसूल लेते हैं. कई बार एजेंट गलत जानकारी देकर पॉलिसी तो बेच देते हैं,जिसका खामियाजा पार्टी को क्लेम के समय भुगतना पड़ता है. जबकि आप अगर थोड़ी-सी जानकारी रखें और समझदारी से काम लें, तो बड़ी आसानी से आप अपने वाहन के लिए खुद ऑनलाइन बीमा ले सकते हैं या रिन्युअल भी करा सकते हैं. मोटे तौर पर बाइक या कार के लिए बीमा शर्तें एक जैसी हैं.
एक सितंबर से मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 लागू हो जाने से वाहन चालक अपनी गाड़ियों के पेपर्स अपडेट करने में तत्पर दिखाई पड़ रहे हैं. वजह है इसके अभाव में लगनेवाला भारी-भरकम जुर्माना. सबसे ज्यादा भीड़ डीटीओ ऑफिस व प्रदूषण जांच केंद्रों पर लग रही है. जानकारी के मुताबिक इसमें सड़क पर चलनेवाली 70-80 फीसदी गाड़ियों का इंश्योरेंस फेल बताया जा रहा है. दिलचस्प है कि इनमें ज्यादातर गाड़ियां वैसी हैं, जो शोरूम से निकलने के वक्त ही इंश्योर्ड हुई थीं, जिन्हें बाद में कभी रिन्युअल ही नहीं कराया गया.
बीमा नियामक इरडा के नियमों के मुताबिक कार या टू-व्हीलर्स खरीदते समय ही 3 या 5 साल के लॉन्ग टर्म थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेना पहले ही अनिवार्य किया जा चुका है. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के बिना गाड़ी चलाना अपराध है. इसके लिए पहले 1000 रुपये जुर्माने का प्रावधान था, वह अब से 2000 रुपये कर दिया गया है.
बीमा चुनते वक्त रखें ये ध्यान
चूंकि वाहन चालक के लिए थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य है, ऐसे में ज्यादातर लोग पॉलिसी लेते वक्त सिर्फ यही देखते हैं कि सबसे कम में कौन-सी कंपनी बीमा दे रही है और उसी आधार पर पॉलिसी चुन लेते हैं, जो सही तरीका नहीं. यहां समझना होगा कि ऑनलाइन किसी साइट से बीमा की राशि सर्च या कंपेयर करने में दिखाये जानेवाला परिणाम थर्ड पार्टी के आधार पर होता है. जबकि कम्प्रेहेन्सिव इंश्योरेंस या फुल पार्टी बीमा, एड ऑन कवर के फीचर्स के आधार पर यह प्रीमियम राशि अलग-अलग हो सकती है, जिसे अपनी सहूलियत और जरूरत के अनुसार चुनना चाहिए.
थर्ड पार्टी बीमा लेकर आप बेफिक्र सड़क पर गाड़ी ले जा सकते हैं, मगर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आपको कम्प्रेहेन्सिव इंश्योरेंस या फुल पार्टी बीमा ही चुनना चाहिए. हां, इसके लिए आपको कुछ ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ेगा, मगर यह आपके जान-माल की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है. एड ऑन फीचर्स की बात करें, तो ज्यादातर कंपनियां चालक के लिए 15 लाख रुपये तक का पर्सनल कवर प्रोवाइड करती हैं. अगर आपने पहले से ऐसी कोई पॉलिसी नहीं ली है, तब आपको इसे जरूर चुनना चाहिए. ऐसे में अमूमन बाइक राइडर के मामले में एक साल के बीमा में 400-500 रुपये का अतिरिक्त बोझ ही आप पर पड़ता है.
इसके अलावा कुछ कंपनियां गाड़ी खराब होने की स्थिति में ऑन स्पॉट सपोर्ट से लेकर एक दिन के लिए होटल में रुकने का खर्च तक देती हैं, जिसके लिए आपको कुछ अतिरिक्त खर्च चुकाना पड़ सकता है.
ऑनलाइन पॉलिसी लेने के पांच कदम
बीमा पॉलिसी खरीदने से पहले आप कई कंपनियों के प्लान की तुलना करें. इसके लिए कई ऐसी वेबसाइट मौजूद हैं, जहां आप अपने वाहन की डिटेल देकर आसानी से पॉलिसी, बीमा कंपनी व बीमा राशि की तुलना करें.
अब अपने वाहन की कुछ जरूरी जानकारी दें, जैसे- रजिस्ट्रेशन नंबर, कंपनी, मॉडल व मैन्यूफैक्चरिंग ईयर, चेसिस नंबर, इंजन नंबर आदि डालना होगा, जो मास्टर कार्ड या ओनर पेपर में दर्ज होता हैं. साथ ही अपना मोबाइल नंबर व ईमेल आइडी. अब प्रीमियम की राशि (कोटेशन) पीडीएफ में प्राप्त हो जायेगी.
इस पूरी प्रक्रिया में पिछली बीमा कंपनी की जानकारी भी मांगी जा सकती है, जो नहीं देने पर बीमा की प्रभावी तिथि अगले तीन से पांच दिन पर शुरू हो सकती है. वहीं यह जानकारी देने पर बीमा तुरंत प्रभावी हो सकता है.
इसके बाद आप पेमेंट टैब पर जाकर क्रेडिट/डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग आदि से भुगतान पर जाकर सीधे पॉलिसी खरीद सकते हैं. अगर किसी जानकारी से संतुष्ट नहीं हैं, तो कंपनी के कस्टमर केयर से अपनी जिज्ञासा शांत करें.
बीमा पॉलिसी का पेमेंट करते ही पॉलिसी जेनरेट हो जायेगी, जिसे आप चाहें तो डॉक्यूमेंट प्रिंट निकाल सकते हैं या डाक द्वारा भी पते पर मंगा सकते हैं.
वाहन के लिए मुख्यत: दो प्रकार के बीमा
थर्ड पार्टी इंश्योरेंश
यह बीमा अनिवार्य होता है. दूसरी गाड़ी से दुर्घटना हो जाती है और आपने थर्ड पार्टी बीमा ली हुई है, तो उस व्यक्ति के वाहन और उस व्यक्ति के शारीरिक हानि की क्षतिपूर्ति, बीमा कंपनी द्वारा की जाती है. थर्ड पार्टी बीमा आपकी वजह से तृतीय पक्षकार को हुए नुकसान को ही कवर करता है, जबकि आपकी गाड़ी और आपको हुए नुकसान को कवर नहीं करता. इसलिए इसे ‘थर्ड पार्टी इंश्योरेंस’ कहते हैं.
कांप्रिहेन्सिव इंश्योरेंश
इस प्रकार की पॉलिसी में दुर्घटना होने पर आपकी गाड़ी, सामने वाली गाड़ी और दोनों पर जो भी लोग सवार थे, उन सबको हुए हानि की क्षतिपूर्ति, बीमा कंपनी द्वारा की जाती है. इसमें आपके साथ-साथ थर्ड पार्टी के वाहन या शारीरिक नुकसान की क्षतिपूर्ति भी की जाती है, इसलिए इसे कांप्रिहेन्सिव इंश्योरेंस कहते हैं.
पॉलिसी के फायदे
दुर्घटना होने पर आपकी आर्थिक स्थिति को संभाले रखता है.
इंश्योरेंस लेने से वाहन चालक पर से जोखिम का भार हल्का हो जाता है.
अगर आपने इंश्योरेंस ले रखा है, तो दुर्घटना होने पर आप बिना डरे पुलिस को कॉल कर सकते हैं, बीमा न हो, तो आपका चालान भी कट सकता है.
इंश्योरेंस लेने से आप बेफिक्र होकर गाड़ी चला सकते .
चोरी या नुकसान होने पर लगभग उतनी राशि का क्लेम मिलता है.
क्यों चुनें आप ऑनलाइन पॉलिसी
आप ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदते हैं, तो निरीक्षण की जरूरत नहीं पड़ती, न ही इसका चार्ज लिया जाता है.
इसमें कमीशन से आप बच जाते हैं.
डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत नहीं पड़ती.
सटीक जानकारी उपलब्ध करा पाते हैं, जिसका लाभ क्लेम में मिलता है.
कभी भी, कहीं से ऑनलाइन रिन्यू कर सकते हैं.
ऑनलाइन पॉलिसी लेते समय रहें सतर्क
तापस कुमार साहा, सीनियर डिविजनल मैनेजर, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंश
आज इंश्योरेंस का कागज जल्दी बनाने के चक्कर में लोग बड़ी तेजी से ऑनलाइन पॉलिसी लेने की ओर बढ़ रहे हैं. चार सरकारी और 28 प्राइवेट कंपनियां गाड़ियों का बीमा कर रही हैं. इनके आधिकारिक वेबसाइट से पॉलिसी लें तो उसमें जोखिम नहीं रहता. अन्य वेब एग्रीगेटर से पॉलिसी लेते समय हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए.
फेक पॉलिसी- फ्रॉड से बचें : वेब एग्रीगेटर साइट से पॉलिसी लेने से आपको तो कागज मिल जाता है लेकिन वह पॉलिसी सही में हुई है या नहीं यह पता नही चलता. हो सकता है आपको फेक पॉलिसी दी गयी है जिसका कोई अस्तित्व ही न हो.
इंश्योरेंश ब्रेक होने पर वेरिफीकेशन जरूरी होता है : ऑनलाइन पॉलिसी लेते समय अगर गाड़ी की पुरानी पॉलिसी समाप्त हो चुकी है तो बिना वेरिफिकेशन हुए नयी पॉलिसी नहीं हो सकती, लेकिन ऑनलाइन में ऐसा हो रहा है. इस बात का ध्यान रखें वर्ना पछताना पड़ सकता है.
नहीं लेते हैं जवाबदेही : वेब एग्रीगेटर की साइट पर पॉलिसी बेचने वालों का अपना कोई ऑफिस नहीं होता. ऐसे में जब क्लेम का समय आता है, तो उस क्लेम का समाधान कब होगा, यह तय नहीं हो पाता. महिनों परेशानी हो सकती है फिर भी कोई आपके क्लेम को पूरा करने की जवाबदेही नहीं लेता.
नोट : आप https://vahan.nic.in पर अपने वाहन का नंबर डाल कर व्हीकल रजिस्ट्रेशन स्टेटस जान सकते हैं.
पॉलिसी रिन्युअल
आपको पॉलिसी की मियाद खत्म होने के 45 दिन पहले रिन्युअल करा लेना चाहिए, जिसकी सूचना आपको कंपनी द्वारा भेजी जाती है. जबकि पॉलिसी लैप्स होने से कंपनी द्वारा जांच की राशि जांच की जा सकती है. साथ ही बोनस या डिस्काउंट नहीं मिलता.
इन्हें भी जानिए
नो क्लेम बोनस (NCB)
सामान्यत: अगर आप साल भर कोई क्लेम नहीं करते, तो आप इंश्योरर से डिस्काउंट के रूप में एनसीबी प्राप्त कर सकते हैं. अगर आप इंश्योरेंस कंपनी को बदलना चाहते हैं, तो आप 50% तक के अपने मौजूदा एनसीबी के बोनस को नये इंश्योरर को ट्रांसफर कर सकते हैं. एनसीबी में छूट 20-50 फीसदी तक हो सकती है.
जीरो डेप्रिसिएशन पॉलिसी
इस पॉलिसी में डेप्रिसिएशन को शामिल नहीं किया जाता. जब दुर्घटना में गाड़ी को नुकसान पहुंचता है, तो कंपनी द्वारा फुल सेटलमेंट का वादा किया जाता है. मगर यह नयी गाड़ियों पर मात्र तीन साल के लिए ही मिलता है. प्रीमियम 20% तक महंगा हो सकता है.
संभाल कर रखें दोनों चाबियां
गाड़ी चोरी होने की स्थिति में क्लेम के समय कंपनी द्वारा ऑरिजनल व डुप्लीकेट दोनों चाबियां मांगी जाती हैं. किसी कारण एक भी चाबी जमा न करने पर स्पष्टीकरण देना होगा, जिससेसंतुष्ट न होने पर कंपनी आपके दावे को रिजेक्ट कर सकती है.
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