150 वर्ष पर विशेष : गीतों में महात्मा गांधी

हिंदुस्तान की जंग-ए-आजादी के इतिहास में महात्मा गांधी एक सबसे अजीम शख्सियत हैं. शायद ही कोई ऐसा इलाका हो, जो उनके आभामंडल से परेेेेेे रह गया हो. हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के अलावा अलग-अलग बोलियों में भी उन पर गीत एवं कविताएं लिखी गयीं. पेश है यह विशेष पेज. भोजपुरी भारत जब होला आहत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2019 6:17 AM
हिंदुस्तान की जंग-ए-आजादी के इतिहास में महात्मा गांधी एक सबसे अजीम शख्सियत हैं. शायद ही कोई ऐसा इलाका हो, जो उनके आभामंडल से परेेेेेे रह गया हो. हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के अलावा अलग-अलग बोलियों में भी उन पर गीत एवं कविताएं लिखी गयीं. पेश है यह विशेष पेज.
भोजपुरी
भारत जब होला आहत मचेला तब महाभारत
प्रभु देखे दुखिया के राहत भारत मइया
दुखिया के सुनी पुकार मोहन लेलन अवतार
देशवा के करेले उद्धार भारत मइया
लोग लेलस मन में ठान, नेता गांधी जी के मान
भारत छोड़ो कइलस अहवान, भारत मइया
फईलल देश भर में आग, जरे लागल ब्रिटिश के सुहाग
चलले भारत के त्याग, भारत मइया
15 अगस्त 47 के दिन शारदा लिखली कलम के बीन
इतिहास के पृष्ठ नवीन भारत मइया
गांधी बाबा रहले महान, पुरा कइले अरमान
गावत बानी उनकर गुनगान, भारत मइया
बज्जिका
कइसे सुधरी देस
के ई हाल
अमरलत्ती सन नेता बढ़ल, जनता भेल कंगाल
गांधी बाबा हो, कइसे सुधरी देस के ई हाल
आई देस में सगरो देखू, भेलक बरा घोटाला
चोर उचक्का के हाथ में, परल तिजोरी के ताला
तिकरमबाज इहां के भेलई, आई माले माल
गांधी बाबा हो, कइसे सुधरी देस के ई हाल
जात-पात के झगड़ा लागल सगरो घरे-घरे
झूठ-फूस इलजाम लगा के पुलिसिआ सऽ घेरे
गोर खींचेला एक-दोसारा के, लेके बरका गाल
गांधी बाबा हो, कइसे सुधरी देस के ई हाल
महंगाई सुरसा सन बढ़ल, सगरो बढ़ल चोरी
खुलेआम सीता के लूटे, इज्जत चारू ओरी
डेग-डेग पर सगरो बइठल, देखू इहां दलाल
गांधी बाबा हो, कइसे सुधरी देस के ई हाल
बरदीधारी सब इहां के, बरका घुसखोर बनल हए
जातध्रम के भेद भाव में सत्ता कमजोर परल हए
सत्य-अहिंसा के नारा, बनल आतंकी के ढाल
गांधी बाबा हो, कइसे सुधरी देश के ई हाल.
– डॉ ब्रजनंदन वर्मा
कुरमाली
तहर गअड़े कटि कटि परनाम
हेएला जनम 2 इ अक्टुबरे,
1869 साले परबनदअरे,
जनमिकुन राखिदेएला भारतेक नाम।
तहर गअड़े कटि कटि परनाम ।1।
आसल जे तहर नाम,
मोहनदास करम चांद,
करि रहअले सतनतरअ संगगराम।
तहर गअड़े कटि कटि परनाम ।2।
धन्य महात्मा गांधी,
पेरमेक डअरे भारते बांधि,
रहिला देशे तहराक गुनगान ।
तहर गअड़े कटि कटि परनाम।3।
करमचंद गांधी बाप,
पुतलिबाई रहलि माञ,
तहरा हेले रासटअपिता भगबान।
तहर गअड़े कटि कटि परनाम।4।
भारत छाड़ा आनदलन,
खेड़ा सतआगरह चंपारन,
सतआगरह आनदललन अबिराम।
तहर गअड़े कटि कटि परनाम ।5।
बिरटिसराके ताड़ालेहे सेसे,
साधिन हेला भारत देएसे,
रासटपिता, बापु हेएला नाम।
तहर गअड़े कटि कटि परनाम।6।
30 जनआरी उनिस सअ अड़तालिस साले,
दुनिआ छाड़ि गेलेहे ,
एहे करिके जनगनेक उतथान ।
तहर गअड़े कटि कटि परनाम।7।
– उमाकांत महतो
हिंदी
गांधी
देश में जिधर भी जाता हूं,
उधर ही एक आह्वान सुनता हूं
जड़ता को तोड़ने के लिए
भूकंप लाओ.
घुप्प अंधेरे में फिर
अपनी मशाल जलाओ.
पूरे पहाड़ हथेली पर उठाकर
पवनकुमार के समान तरजो.
कोई तूफ़ान उठाने को
कवि, गरजो, गरजो, गरजो!
सोचता हूं, मैं कब गरजा था ?
जिसे लोग मेरा गर्जन समझते हैं,
वह असल में गांधी का था,
उस गांधी का था, जिस ने हमें जन्म दिया था.
तब भी हम ने गांधी के
तूफ़ान को ही देखा,
गांधी को नहीं.
वे तूफ़ान और गर्जन के
पीछे बसते थे.
सच तो यह है
कि अपनी लीला में
तूफ़ान और गर्जन को
शामिल होते देख
वे हंसते थे.
तूफान मोटी नहीं,
महीन आवाज से उठता है.
वह आवाज
जो मोम के दीप के समान
एकांत में जलती है,
और बाज नहीं,
कबूतर के चाल से चलती है.
गांधी तूफान के पिता
और बाजों के भी बाज थे.
क्योंकि वे नीरवता की आवाज थे.
-रामधारी सिंह दिनकर
अंगिका
मृत्युंजय बापू
के होतै दुनियां मेॅ हेनोॅ,
जेन्होॅ होलै, गांधी जी,
सोचै, कैन्हें शीश नवैलेॅ,
दुनियां बोलै, गांधी जी.
यैलेॅ कि विष-माहुर जैठां,
अमृत घोलै, गांधी जी,
जड़ता जन्नेॅ-जन्नेॅ जड़ छै,
ओकरौ झोलै, गांधी जी.
अखिल भुवन के जनमानस मेॅ
जीत्तोॅ अभियो गांधी जी,
पंचतत्व कोय भले विलाबेॅ,
पर नै कभियो, गांधी जी.
गांधी जी राती के सूरज,
दिन के चंदा गांधी जी
सत्य-अहिंसा के जे बंदा
ओकरोॅ बंदा गांधी जी.
भारत के प्राचीन शील के
कथा-कहानी गांधी जी
के कहतै कल, गांधी छेलै ?
लगै पिहानी, गांधी जी.
-ई नंदलाल यादव सारस्वत
मगही
चरखा
इतरा-इतरा देस गा रहल धन वरदान हमर गांधी,
जनधन के उछाह से पूजल,
निहिछल प्रान हम्मर गांधी.
हहरल हिगरल दुखिया के
सनमान दिलाने के खातिर
अप्पन करनी के उदयाचल
दिनमान हमर गांधी.
चंपारण के निलहा खेतिहर
दुख में रहलन लार पोआर
उन्हकर जिनगी के दुख हरना
असली सान हमर गांधी.
सतेआगरह, अहिंसा सेवा
लिड़ाई के मंतर दे
छुआछूत निरधिन अंन्हार में
जोत कमान हमर गांधी.
देसे न विदेस में अप्पन
धजा विचारन के दे गाड़
सगरो सुधियन, बुधियन जन से
मोहन गान हमर गांधी.
डांडी जतरा नून अवगेया
अनयायी चेतन संकेत
जाने चल देलन ओनही पीछे
देस चल देलक हो अनिकेत
जेलवा में करनी बेचरन
इन्हके सेवा ला ललचाय
लेकिन पकिआ नियम के पालक
करथ मना हम्मर गांधी.
राजनीति के गीत जागरण के
घर-घर में भेल सगर
राष्ट्रवाद से जन समाज के
गढ़गर जुटल नेह के तार
सत्य अहिंसा सेवा करुना
जिनगी के सुखकर आधार
इ सनेस सब बांट-चोट के
खूबे खुश हमर गांधी.
– रामकृष्ण / संज्ञायन
खोरठा
अंगरेज कहइ बापरे बाप गांधी
तीन रंगेक झंडा,
हामर ताकर बीचे चका झंडा हो,
झंडा टाके देख अंगरेज,
हअई गेल हका बका हो.
तीन रंगेक …
अंगरेज कहई भारते,
कतेक सोना – चांदी हो,
कतेक सोना – चांदी .
सोना – चांदी देखी अंगरेज,
चलावला धन्धा हो,
झंडा टाके देख अंगरेज,
हअई गेल हाका बाका हो.
तीन रंगेक …
अंगरेज कहई बापरे बाप,
गांधी जीकर कतेक,
जबर जोड़ी हो,
कतेक जबर जोड़ी.
ओकर संगे, लड़े गले,
कमर देतय तोड़ी हो,
मने मने अंगरेजयाइन ,
भारत देलय छोड़ी हो.
तीन रंगेक…
– श्रीराम महतो
खड़िया
मेल-प्रेम बोंग अवनापे
अनी भई चोनानिमग
तरदी योता योता चोनानिंग
गांधी बाबा सलगायोओ, तरदी सलगेकि
मुनुउसिंग जो पतर योकि
ओंलोओसिंग जो पतर योकि,
चइरो चगुरदी पतर गोड़कि.
ओसंगइजअ: कायोम लेखे, पुरखा कयअ कायोम लेखे,
मेल-प्रेम बोंग अवनापे, आलर-दुलार बोंग अवनापे,
चइरो चगुरदी सुउखो लेंगेकी
तोबलुंग: तुता सुउखो भोरेकी
प्रात गोत ते कोगेपे महा कोनोन ते मेलायेपे,
सोरी सोरी अवनापे, सांगोड्नापेमोन भिइतरते पबतरेपे,
दुनियअ लेबु सुउखो कुइयेकि
दुनिया लेबु लेरेए कुइएकि.
तरदी जो मोलिबकी, पतर जो चोलकि
अतु भई चोनानिंग, इधयगा चोनानिंग
उमनिंग तेरे तरदी ते मोलिबना
आलरअ: जोल बोंग तरदी ते बरायगा उनेनिंग
तरदी योता योता, तरदी योता योता चोनानिंग.
-रोज टेटे
मैथिली हे गांधी
छल परतन्त्र, स्वतन्त्र देशकें गांधी अहां बनेलहुं
शक्ति अहिंसामे अमोघ अछि, कऽ प्रत्यक्ष, देखेलहुं
खंड-खंडमे बिखरल जनताकें एकत्र करेलहुं
अटल अन्यदेशी शासनकें नि:शस्त्र हटेलहुं
जकर राज्यमे रवि न डुबै छल, तकरा अहां हटाओल
दस्यु-दासता दाम-मुक्ति ई देश अहांसं पाओल
आत्मबलक विस्मृतिक नींदसं औंघायल छल देश
जागल रहबालें स्वदेशकें भक्तिक गुदगुदी लगाओल
मरना सन छल देशक सरि, तकरालें पावस बनलहुं
जीविते नहि कयल, बाढ़ि बड़का उत्साहक अनलहुं
आत्म-विस्मृतिक धूरा तऽ अस्तित्वो राखि सकल नहि
से सब लऽ कें छोड़लहुं, जे सब लेबालें तनलहुं
किन्तु रामराजक सपना साकार कहां अछि भेल
आनल अहां स्वराज, रामराजक आगमनक लेल
रामराज आनक अभिलाषा शीघ्र होमय साकार
पुनरागमन अहांक आब तहिलें आवश्यक भेल
– जयनारायण झा ‘विनीत’
नागपुरी
हाय रे हाय सुनु भाई सबे जने
हाय रे हाय सुनु भाई सबे जने
गांधी के महिमा के नई जाने
सुनु भाई सब जने.
बापू के नाम है कठीने, करलें खादी धारने
घुरे लागे जने तने सत्याग्ह करलैं कठीने
विजयी होलैं बिना रने, गांधी के महिमा के नई जाने.
रहलैं खुले बदने, केउ न मरम जाने
करी का अकेले रने,फिरंगी जे हसत गुमाने
विजयी होलैं बिना रने, गांधी के महिमा के नई जाने.
उनैस सौ सैंतालीस सने, पंद्रह अगस्त सुक दिने
हौवलैं बापू मगनैे, फिरंगी भागलैं जने-तने
विजयी होलैं बिना रने, गांधी के महिमा के नई जाने.
छूआछूत केउ नी माने, आपसी भाईचारा बने
अछूत सब हरिजने, करें साथ प्रभु के दर्शने
विजयी होलैं बिना रने, गांधी के महिमा के नई जाने.
कहत नईम मने, देहु बापू दर्शने
ओहे सु्खल कंटक तने, कहु नहीं बिड़ला भवने
लंगोटी खादी धारने, गांधी के महिमा के नई जाने.
– नईमुद्दीन मिरदहा

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