शास्त्रों के अनुसार आज भी मनाएं दीपोत्सव, लक्ष्मी रहेगी अचल, कल मनाया जायेगा भाई दूज व चित्रगुप्त पूजा

रांची : हमारे यहां स्वयंसिद्ध मुहूर्त साढ़े तीन दिन बताये गये हैं- चैत्रशुक्ल प्रतिपदा, अक्षयतृतीया, विजया दशमी एवं कार्तिकशुक्ल प्रतिपदा का आधा भाग. इस तिथि को वीर शिरोमणि बलि का धरती पर राज्य माना जाता है और शास्त्रों के अनुसार इस दिन (28 अक्तूबर) दीपोत्सव करने से लक्ष्मी अचल रहती हैं. जानें गोवर्धन पूजा के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2019 7:54 AM

रांची : हमारे यहां स्वयंसिद्ध मुहूर्त साढ़े तीन दिन बताये गये हैं- चैत्रशुक्ल प्रतिपदा, अक्षयतृतीया, विजया दशमी एवं कार्तिकशुक्ल प्रतिपदा का आधा भाग. इस तिथि को वीर शिरोमणि बलि का धरती पर राज्य माना जाता है और शास्त्रों के अनुसार इस दिन (28 अक्तूबर) दीपोत्सव करने से लक्ष्मी अचल रहती हैं.

जानें गोवर्धन पूजा के बारे में

भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के दर्प के दलन हेतु पर्वतश्रेष्ठ गोवर्धन की पूजा प्रारंभ की थी. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा होती है. यह पूजा पशु वृद्धिकारक मानी गयी है. प्रातःकाल में गोबर या अन्न के ढेर का गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा बतायी गयी है.

29 अक्तूबर को मनाया जायेगा भाई दूज और चित्रगुप्त पूजा

इस बार भाई दूज का पर्व 29 अक्तूबर, मंगलवार को है. कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए कामना करते हुए उनके माथे पर रोली-चंदन का तिलक करती हैं. मान्यता है कि बहनों द्वारा मांगी गयी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस दिन शाम ढलने से पहले बहन के घर जाना और बहन के हाथों से बना भोजन करना बहुत ही शुभ फलदायी है. इसी दिन चित्रगुप्त जयंती भी मनायी जायेगी. भगवान चित्रगुप्त को ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहते हैं, जो सभी प्राणियों के पाप-पुण्य का लेखा- जोखा रखते हैं. इस दिन से नये बही-खातों की शुरुआत होगी.

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