खतरे में है निजता, पेगासस से व्हॉट्सएप जासूसी

स्पाइवेयर पेगासस द्वारा लोकप्रिय मैसेजिंग एप व्हॉट्सएप की सेंधमारी की खबर से दुनियाभर में हलचल मची हुई है. कंपनी ने अमेरिका की एक अदालत में बकायदा अपना पक्ष रखा है कि इस्राइली स्पाइवेयर के माध्यम से दुनियाभर में 1400 से अधिक पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की गयी है. इसमें 121 भारतीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 7, 2019 1:08 AM
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स्पाइवेयर पेगासस द्वारा लोकप्रिय मैसेजिंग एप व्हॉट्सएप की सेंधमारी की खबर से दुनियाभर में हलचल मची हुई है. कंपनी ने अमेरिका की एक अदालत में बकायदा अपना पक्ष रखा है कि इस्राइली स्पाइवेयर के माध्यम से दुनियाभर में 1400 से अधिक पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की गयी है.
इसमें 121 भारतीय भी शामिल हैं. इस गंभीर समस्या पर भारत सरकार निजता के लिए अपनी प्रतिबद्धता का दावा कर रही है, लेकिन चिंता कहीं अधिक विकराल है. क्या है व्हॉट्सएप जासूसी मामला, इसके कारण और जारी विमर्श आदि बिंदुओं पर केंद्रित है आज का इन-डेप्थ…
गंभीर है व्हाॅट्सएप जासूसी मामला
पेगासस स्पाइवेयर से व्हाॅट्सएप के जरिये मोबाइल डिवाइसेस की जासूसी का मामला सामने आने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. व्हाॅट्सएप का कहना है कि पेगासस स्पाइवेयर के माध्यम से 20 देशों के कम-से-कम 1400 मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, महिला नेत्री और राजनीतिक असंतुष्टों की जासूसी हुई है, जिनमें भारतीय भी शामिल हैं.
हालांकि, फेसबुक ने एनएसओ ग्रुप के क्लाइंट की कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन उसने कहा है कि पेगासस के जरिये किये गये हमले के केंद्र में मेक्सिको, बहरीन व यूएई के डिवाइसेस थे. इससे पहले सिटीजन लैब द्वारा किये गये एक रिसर्च में पता चला था कि कम-से-कम 45 देशों में लोगों के फोन में पेगासस को डिलीवर किया गया है. जासूसी की इन खबरों का भारत सरकार ने संज्ञान लिया है.
क्या है पेगासस स्पाइवेयर
पेगासस स्पाइवेयर एक मोबाइल जासूसी किट (सॉफ्टवेयर) है, जो कथित तौर पर नागरिकों की जासूसी करने में सरकाराें की मदद करता है.
इसे इस्राइली कंपनी एनएसओ ने विकसित किया है. इसमें टारगेट यूजर के पास एक लिंक भेजा जाता है. जैसे ही यूजर लिंक को क्लिक करता है, उसके फोन में प्रोग्राम इंस्टॉल हो जाता है. इस वायरस का नवीनतम संस्करण काफी उन्नत किस्म का है. इसके फोन में दाखिल होने के लिए किसी लिंक पर क्लिक करने की भी आवश्यकता नहीं है.
यह महज मिस्ड वीडियो कॉल के जरिये फोन में प्रवेश कर सकता है. एक बार मोबाइल में दाखिल हो जाने के बाद यह फोन कॉल, एसएमएस, व्हाॅट्सएप मैसेज, ई-मेल, ब्राउज हिस्ट्री, पासवर्ड जैसी अनेक जानकारी चुरा सकता है. यह इतना प्रभावशाली है कि एनक्रिप्टेड मैसेज को भी चुरा सकता है. इसमें फोन के कैमरे और माइक को ऑन कर आसपास की गतिविधियां रिकॉर्ड करने की क्षमता भी है.
यह सॉफ्टवेयर, यूजर के फोन से जानकारी चुराकर वाई-फाई या मोबाइल इंटरनेट के जरिये फोन से बाहर भी भेज सकता है. फोन में होने पर भी यह दिखायी नहीं देता है, न ही इसके होने पर फोन धीमा होता है. इसलिए यूजर को इसकी मौजूदगी का अहसास नहीं होता. इस सॉफ्टवेयर में खुद को नष्ट करने का विकल्प भी होता है.
पहले भी विवादों में आ चुका है पेगासस
स्पाइवेयर पेगासस का नाम पहले भी जासूसी के कई विवादों से जुड़ा है. माना जाता है कि पत्रकार जमाल खशोगी की सऊदी दूतावास में हुई हत्या से पहले उनके स्मार्टफोन की जासूसी पेगासस के जरिये ही की गयी थी. साथ ही सऊदी अरब व मेक्सिको समेत दुनियाभर के पत्रकारों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी के आरोप भी एनएसओ के सॉफ्टवेयर पर लगे हैं और उस पर मुकदमे भी दायर हुए हैं. ताजा मामले में फेसबुक द्वारा मुकदमा दायर किया गया है.
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का मानना है कि यह सरकारी एजेंसियों द्वारा जासूसी कराने की एक कोशिश है. दुनियाभर में सरकारें व्यापक रूप से जासूसी कार्यक्रम चला रही हैं, इसलिए या तो इन्हें बंद किया जाये या पर्याप्त न्यायिक निगरानी के तहत लाया जाये. सर्विलांस विरोधी एक्टिविस्ट एडवर्ड स्नोडेन ने ट्वीट के जरिये कहा है कि ये गतिविधियां तब तक बंद नहीं होंगी, जब तक सरकारें इन डिजिटल हथियारों के व्यापार पर प्रतिबंध नहीं लगा देतीं.
अमेरिका और भारत में जांच
व्हॉट्सएप द्वारा मुकदमा दायर करने के बाद अमेरिका के कैलिफोर्निया की अदालत ने स्पाइवेयर बनानेवाली इस्राइल-स्थित दो कंपनियों- एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजिज और क्यू साइबर टेक्नोलॉजिज को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है.
भारत में सरकार की ओर से व्हॉट्सएप से इस मामले की जानकारी मांगी गयी है. सूत्रों के हवाले से छपी रिपोर्टों की मानें, तो कंप्यूटर इमर्जेंसी रेस्पॉन्स टीम को जो जवाब व्हॉट्सएप की ओर से मिला है, पूरी तरह से तकनीकी भाषा में है तथा उसमें पेगासस या जासूसी के असर के बारे में कुछ नहीं कहा गया है. अभी तक सरकार की ओर से एनएसओ कंपनी से जवाब-तलब करने के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
व्हॉट्सएप का कहना है कि उसने मई में ही सरकार को जानकारी दे दी थी. एनएसओ ने कहा है कि वह आतंक व गंभीर अपराधों से निपटने के लिए सरकारी एजेंसियों को ही अपना सॉफ्टवेयर देती है और इसका इस्तेमाल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के विरुद्ध नहीं किया जा सकता है. गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति के प्रमुख आनंद शर्मा की ओर से गृह सचिव से जानकारी मांगने की खबर है.
शशि थरूर के नेतृत्ववाली सूचना तकनीक की स्थायी समिति भी इस प्रकरण की जांच करेगी. सामाजिक कार्यकर्ता केएन गोविंदाचार्य ने भी कार्रवाई की मांग करते हुए पत्र के रूप में सर्वोच्च न्यायालय को याचिका भेजी है. उन्होंने सूचना तकनीक मंत्री रविशंकर प्रसाद को भी पत्र लिखा है. इन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि अन्य मामले में अदालत के सामने व्हॉट्सएप ने दावा किया था कि उसकी मैसेजिंग प्रणाली पूरी तरह इन्क्रिप्टेड है, लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद यह दावा गलत था.
पेगासस के बारे में पता कैसे चला
पेगासस के बारे में सबसे पहले 2016 में खबर आयी थी. तब पता लगा था कि यूएई के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर के आईफोन 6 पर एक एसएमएस भेजकर उसे हैक किया गया था. इसके बाद एप्पल ने अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में एक ‘पैच’ डालकर इस दोष को दूर कर लिया था.
सितंबर, 2018 में टोरंटो विश्वविद्यालय के मंक स्कूल की सिटिजन लैब ने बताया कि यूजर की जानकारी के बगैर और उसकी अनुमति के बगैर भी पेगासस को इंस्टॉल किया जा सकता है. इसे ‘जीरो डे एक्सप्लॉइट’ कहा गया. यानी कि जैसे ही किसी ऑपरेटिंग सिस्टम में मामूली सा दोष नजर आये, उसी वक्त हमला. उस दोष को दूर करने का समय भी फोन कंपनी को नहीं मिलता.
क्या होता है स्पाइवेयर
स्पाइवेयर एक सॉफ्टवेयर है, जो एंड यूजर की जानकारी के बिना उसके कंप्यूटिंग डिवाइस में इंस्टॉल होता है. यूजर की स्वीकृति के बिना डाउनलोड होनेवाले किसी भी सॉफ्टवेयर को स्पाइवेयर की श्रेणी में रखा जा सकता है. इस सॉफ्टवेयर को विवादास्पद इसलिए माना जाता है, क्योंकि यदि यह सहज कारणों से भी इंस्टॉल होता है, तो भी यह यूजर की निजता का उल्लंघन करने और उसके दुरुपयोग करने की क्षमता रखता है.
व्हॉट्सएप ने सितंबर में ही सरकार को दी थी जानकारी!
व्हॉट्सएप ने पिछले सितंबर महीने में ही भारत सरकार को इस्राइली स्पाइवेयर पेगासस के बारे में जानकारी दी थी. व्हॉट्सएप ने कहा था कि इससे 121 भारतीय यूजर को निशाना बनाया गया है. हालांकि, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मैसेजिंग एप द्वारा दी गयी जानकारी को अपर्याप्त और अपूर्ण माना था.
पेगासस स्पाइवेयर मामले में व्हॉट्सएप ने पिछले हफ्ते भी सरकार द्वारा मांग गयी जानकारी पर रिपोर्ट दी गयी थी, जिसमें भारत समेत दुनियाभर से पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की निगरानी की बात कही गयी थी.
आईटी मंत्रालय कर रहा है निगरानी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आईटी मंत्रालय इस मामले में व्हॉट्सएप द्वारा दी गयी रिपोर्ट का अध्ययन कर रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आयेगी. सितंबर में दी गयी रिपोर्ट में फेसबुक की स्वामित्व वाली कंपनी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि भारत में स्पाइवेयर से 121 यूजर्स प्रभावित हुए हैं.
2010 में अस्तित्व में आया एनएसओ
एनएसओ ग्रुप की स्थापना 2010 में शालेव हुलिओ, ओमरी लावी और निव कार्मी ने इस्राइल में की थी. यह फर्म साइबर इंटेलीजेंस के क्षेत्र में काम करती है. एनएसओ के संस्थापक, यूनिट 8200 (इस्राइल इंटेलिजेंस कॉर्प्स यूनिट) के पूर्व सदस्य हैं.
यह यूनिट खुफिया संकेतों (सिग्नल्स इंटेलिजेंस) को एकत्र करने के लिए जिम्मेदार मानी जाती है. इस कंपनी में लगभग 500 कर्मचारी हैं. एनएसओ की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि हमारा एकमात्र उद्देश्य लाइसेंस प्राप्त सरकारी खुफिया और कानून लागू करनेवाली एजेंसियों को आतंकवाद और गंभीर अपराध से लड़ने में मदद करने के लिए टेक्नोलॉजी देना है.
हमारी तकनीक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन नहीं की गयी है और न इसकी इजाजत है. इस कंपनी का मुख्यालय तेल अवीव के पास हर्जलिया में है. ऐसा माना जाता है कि 2012 से ही एनएसओ ग्रुप द्वारा विभिन्न तरीकों से पेगासस को लक्षित फोन तक पहुंचाया गया है.
यह कंपनी कई बार टेक्स्ट मैसेज या डिवाइस को संक्रमित करनेवाली रिडायरेक्टेड वेबसाइट के जरिये पेगासस के मैलिसियस लिंक को डिलीवर करती है. एक रिपोर्ट के अनुसार, मई 2019 तक इस ग्रुप ने व्हॉट्सएप की अतिसंवेदनशीलता को हथियार बनाकर एक नया तरीका विकसित किया.
एनएसओ का विस्तार
इस्राइल के बाद एनएसओ ने अमेरिका में अपना मार्केटिंग व सेल्स फर्म खोला था. वर्ष 2014 में सैन फ्रांसिस्को स्थित प्राइवेट इक्विटी फर्म, फ्रांसिस्को पाटर्नर मैनेजमेंट ने 120 मिलियन डॉलर में कंपनी के शेयर खरीद उस पर नियंत्रण हासिल कर लिया. हालांकि, इस वर्ष की शुरुआत में कंपनी के संस्थापकों ने लंदन स्थित प्राइवेट इक्विटी फर्म नोवाल्पिना कैपिटल की मदद से कंपनी के शेयर वापस खरीद लिये.
व्हॉट्सएप मैसेंजर
फेसबुक के स्वामित्व वाला व्हॉट्सएप मैसेंजर एक फ्रीवेयर, क्रॉस-प्लेटफार्म मैसेजिंग और वॉयस ओवर सर्विस है. इसके माध्यम से यूजर टेक्स्ट और वॉयस मैसेज भेजते हैं, साथ इसमें वॉयस व वीडियो कॉल, इमेज, डॉक्यूमेंट आदि शेयर किया जा सकता है. यह मोबाइल और डेस्कटॉप दोनों पर उपलब्ध है. व्हॉट्सएप पर रजिस्ट्रेशन के लिए सेलुलर मोबाइल नंबर की जरूरत होती है. शुरुआत के बाद बहुत कम समय में यह दुनिया का सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग एप बन गया.
व्हॉट्सएप की शुरुआत
याहू के दो पूर्व कर्मचारियों ब्रायन एक्तन और जेन कुअम ने 2009 में व्हॉट्सएप की शुरुआत की. साल 2011 के प्रारंभ में व्हॉट्सएप एप्पल के यूएस एप स्टोर पर टॉप 20 एप में शामिल हो चुका था. फरवरी, 2013 में व्हॉट्सएप के पास 20 करोड़ एक्टिव यूजर और 50 स्टाफ मेंबर हो चुके थे. फरवरी, 2014 में फेसबुक ने 19 अरब डॉलर के निवेश के साथ इसका अधिग्रहण कर लिया.
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