कोर्ट के आदेश के 40 मिनट बाद ही खुल गया था विवादित परिसर का ताला, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बताया था गलत कदम
अयोध्या विवाद में एक फरवरी, 1986 का दिन बेहद अहम माना जाता है. इसी रोज फैजाबाद के जिला जज कृष्णमोहन पांडेय ने एक स्थानीय वकील उमेश चंद्र पांडेय की अपील पर इस विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश दिया था. वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा की पुस्तक ‘युद्ध में अयोध्या’ में उन्होंने लिखा कि आजाद […]
अयोध्या विवाद में एक फरवरी, 1986 का दिन बेहद अहम माना जाता है. इसी रोज फैजाबाद के जिला जज कृष्णमोहन पांडेय ने एक स्थानीय वकील उमेश चंद्र पांडेय की अपील पर इस विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश दिया था. वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा की पुस्तक ‘युद्ध में अयोध्या’ में उन्होंने लिखा कि आजाद भारत में किसी फैसले का पालन महज 40 मिनट के भीतर हो गया हो, कभी भी देखने को नहीं मिला.एक फरवरी की शाम 4:40 बजे अदालत का फैसला आया और शाम 5:20 बजे विवादित परिसर का ताला खुल गया था.
उस वक्त यूपी के मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह थे और केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी. राजीव गांधी की पहल पर ही विवादित परिसर का ताला खुलवाया गया.
राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में परिसर का ताला खुलवाया जाना एक अहम फैसला साबित हुआ. कहा जाता है कि ताला खुलवाने का फैसला देने से पहले काफी तैयारी की गयी थी. तत्कालीन जिला जज केएम पांडेय ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ बैठक की. उन्होंने फैसले से होने वाले तमाम नतीजों पर भी विमर्श किया और पाया कि इसका कानून-व्यवस्था पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसके बाद अदालत ने यह फैसला दिया कि विवादित स्थल का ताला खोल दिया जाए. फैसले के 40 मिनट बाद ही ताला खुल गया था.
यह वह दौर था, जब शाहबानो केस में आये फैसले के बाद राजीव गांधी की छवि मुस्लिम तुष्टिकरण वाली बन गयी थी. माना जाता है कि इस छवि से बाहर निकलने के लिए ही ताला खुलवाने का फैसला लिया गया था. मुस्लिम नेताओं ने इस फैसले का विरोध किया और लखनऊ में एक बैठक के बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया, जो बाद में अयोध्या विवाद मामले में एक पक्षकार साबित हुआ.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ताला खुलवाने को बताया था गलत कदम
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपनी पुस्तक ‘द टर्बुलेट ईयर्स : 1980-1996’ में लिखा है कि अयोध्या में एक फरवरी, 1986 को राम जन्मभूमि मंदिर का ताला खुलवाना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का एक गलत निर्णय साबित हुआ.
इससे देश-विदेश में रहने वाले मुस्लिम समुदाय की भावनाएं बहुत आहत हुईं. इस समूचे प्रकरण को लेकर राजीव गांधी ने कानून सम्मत रुख अख्तियार किया कि राम मंदिर बनने से कोई विरोध नहीं है, लेकिन मस्जिद को आंच नहीं आनी चाहिए. पार्टी को उम्मीद थी कि इससे चुनावों में उन्हें लाभ मिल सकता है लेकिन पूरे घटनाक्रम से कांग्रेस को क्षति पहुंची और खासतौर पर उत्तर प्रदेश में उनका जनाधार खिसक गया.
70 साल पहले शुरू हुई थी कानूनी लड़ाई
1949
हिंदुओं ने कथित तौर पर मूर्ति स्थापित की, मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया, फिर दोनों पक्ष के लोगों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया. इसके बाद सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर ताला लगवा दिया.
1950
गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा कि इजाजत मांगी. महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगायी. इसी दौरान मस्जिद को ढांचा के रूप में संबोधित किया गया.
1959
निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए मुकदमा किया.
1961
मुसलमानों की तरफ से उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक के लिए मुकदमा कर दिया.
1984
विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने वहां राम मंदिर बनाने के लिए ‘रामजन्मभूमि मुक्ति समिति’ का गठन किया.
1986
जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया. मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी
मस्जिद एक्शन कमेटी बनायी.
1989
रामलला विराजमान ने भी पेश किया अपना दावा.
1990
25 सितंबर : आडवाणी की रथ यात्रा बिहार में रोकी गयी, गिरफ्तार हुए
30 अक्तूबर : अयोध्या में पहली बार कारसेवा हुई, कारसेवकों ने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया था, इसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गयी थी.
जून : यूपी में चुनाव हुए. मुलायम सिंह यादव की सपा सरकार हार गयी, उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनी
1992
06 दिसंबर : बाबरी मस्जिद ढहा दिया गया, देश में दंगे शुरू, करीब 2000 लोग मारे गये
16 दिसंबर : मस्जिद ढहाने की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बना
1994
इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ में बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित केस चलना शुरू हुआ.
2001
विहिप ने राम मंदिर बनाने की तारीख तय की, कहा कि मार्च 2002 से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जायेगा.
2002
भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इंकार कर दिया. विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी. सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए. फरवरी में अयोध्या से हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे, उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गये.
2009
30 जून : लिब्रहान आयोग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी रिपोर्ट
24 नवंबर : लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश, आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया, नरसिंह राव को क्लीन चिट दी.
2010
20 मई : इलाहाबाद हाइकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका खारिज, साथ ही बाबरी विध्वंस के मामले में लालकृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने को
लेकर दायर पुनरीक्षण याचिका भी हाइकोर्ट में खारिज
26 जुलाई : अयोध्या विवाद पर हाइकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई
08 सितंबर : हाइकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की
30 सितंबर : इलाहाबाद हाइकोर्ट ने सुनाया फैसला, तीन हिस्सों में बांट दिया गया विवादित स्थल, एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तीसरा निर्मोही अखाड़े को मिला
2011
09 मई : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगायी, हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई
2017
21 मार्च : सुप्रीम कोर्ट की आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की अपील, कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराये जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित भाजपा और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का दिया आदेश
08 नवंबर : शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनना चाहिए, वहां से दूर हटके मस्जिद का निर्माण किया जाये.
16 नवंबर : आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश की, उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की.
2018
08 फरवरी : सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की. पीठ ने खारिज की अपील.
27 सितंबर : ‘मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं’ मामला बड़ी बेंच को भेजने से इंकार
29 अक्तूबर : सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जल्द सुनवाई पर इंकार करते हुए केस जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया
25 नवंबर : विश्व हिंदू परिषद की अगुआई में हुई धर्म सभा.
2019
01 जनवरी : पीएम मोदी ने 2019 के अपने पहले इंटरव्यू में कहा कि फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है.
08 मार्च : सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा, पैनल को आठ सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा.
01 अगस्त : मध्यस्थता पैनल ने प्रस्तुत की रिपोर्ट
02 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा
06 अगस्त : अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई.
16 अक्तूबर : अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित.