बिहार में सर्वाधिक प्रदूषित पटना
इस सप्ताह बुधवार को बिहार की राजधानी पटना की हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ स्तर (373) तक पहुंच गयी. भारत के 99 शहरों में प्रदूषण के मामले में उस दिन पटना 25वें पायदान पर रहा था. इसके बाद मुजफ्फरपुर (326) का स्थान रहा था. गया का वायु गुणवत्ता सूचकांक 243 रहा था, जो कि ‘खराब’ […]
इस सप्ताह बुधवार को बिहार की राजधानी पटना की हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ स्तर (373) तक पहुंच गयी. भारत के 99 शहरों में प्रदूषण के मामले में उस दिन पटना 25वें पायदान पर रहा था. इसके बाद मुजफ्फरपुर (326) का स्थान रहा था. गया का वायु गुणवत्ता सूचकांक 243 रहा था, जो कि ‘खराब’ श्रेणी में माना जाता है. कमोबेश यह स्थिति गांगीय क्षेत्रों में कुछ दिनों तक बने रहने की आशंका है क्योंकि तापमान में भी गिरावट हो रही है और हवा की गति भी मंद है.
इसके पिछले सप्ताह में भी पटना और कुछ अन्य शहरों की हालत चिंताजनक स्तर पर पहुंच गयी थी. सालों से बिहार के अनेक इलाकों में प्रदूषण की यह समस्या पैदा हो रही है. इसमें उल्लेखनीय सुधार जनवरी के बाद ही अपेक्षित है.
उत्तर प्रदेश और हरियाणा के शहरों में खतरनाक स्थिति
दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के शहरों में बीते कई दिनों से वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ऊपर रह रहा है और कुछ ही दिन ऐसे हैं, जब यह कुछ नीचे आता है. इनमें हिसार, फतेहाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, जिंद, बुलंदशहर, हापुड़ और बागपत जैसे शहर हैं. हालिया दिनों में सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से सात उत्तर प्रदेश में, पांच हरियाणा में और बिहार की राजधानी पटना शामिल हैं.
कोयला दहन की बजाय ऊर्जा के अन्य स्रोत की जरूरत
5 लाख से ज्यादा लोगों की असमय मृत्यु हुई भारत में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर के कारण 2016 में, जिसमें 97,000 से अधिक लोगों की जान कोयला दहन से निकले प्रदूषकों की वजह से चली गयी.
इसी सप्ताह आयी एक नयी रिपोर्ट के मुताबिक. स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन 2019 ने भारत को आगाह किया है कि अगर वह अपनी कोयला आधारित ऊर्जा को स्थानांतरित नहीं करता है तो वायु प्रदूषण का प्रभाव और खराब होगा.