महाराष्ट्र : और गहराई अनिश्चितता
अभय कुमार दुबे, राजनीतिक विश्लेषक सरकार का भविष्य तो 30 नवंबर को पता चलेगा, क्योंकि शरद पवार ने कहा है कि अजीत पवार ने जो किया, उससे वो सहमत नहीं हैं. इससे यही लगता है कि भाजपा को बहुमत साबित करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. फिर भी, इस वक्त पलड़ा थोड़ा-सा भाजपा के […]
अभय कुमार दुबे, राजनीतिक विश्लेषक
सरकार का भविष्य तो 30 नवंबर को पता चलेगा, क्योंकि शरद पवार ने कहा है कि अजीत पवार ने जो किया, उससे वो सहमत नहीं हैं. इससे यही लगता है कि भाजपा को बहुमत साबित करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. फिर भी, इस वक्त पलड़ा थोड़ा-सा भाजपा के पक्ष में झुका हुआ है, क्योंकि बहुमत साबित करने के लिए उनको सात दिन का समय मिल गया है. भाजपा के पास संसाधन है, सत्ता है, शक्ति है, तो सात दिन के समय में वह राकांपा को तोड़ सकती है. पर, कहा नहीं जा सकता कि कल क्या होगा.
सदन में 36 विधायकों को तोड़ना और अपने पक्ष में वोट डलवाना आसान काम नहीं है. ऐसा इसलिए कि शरद पवार कोई कमजाेर नेता तो हैं नहीं. जैसे ही चुनाव नतीजे आते हैं, दल-बदल विरोधी कानून लागू हो जाता है. इसलिए कोई भी विधायक इस वक्त अयोग्य घोषित होने का जोखिम नहीं उठायेगा. शरद पवार ने कहा है कि 1980 में भी मुझे बहुत-से विधायक छोड़कर चले गये थे, मैंने अगले चुनाव में उन सबका सफाया कर दिया. वे शांत स्वर में बात करते हैं, लेकिन उनकी धमकी साफ थी. लेकिन अगर भाजपा विश्वासमत प्राप्त कर लेती है, तो फिर उसकी सरकार चलती रहेगी. महाराष्ट्र का यह इतिहास है कि जो सरकार बनती है, वह पांच साल चलती है.
महाराष्ट्र में परिस्थितियों ने जो करवट ली है, वह सब अचानक नहीं हुआ है. अगर आप भाजपा जैसी शक्तिशाली पार्टी को मौका देंगे, तो ऐसा होगा ही. जिस वक्त शिवसेना को राज्यपाल ने बुलाया था, उसी वक्त अगर समर्थन की चिट्ठी दे दी गयी होती, तो सरकार बन जाती. बाद में दूसरी औपचारिकताएं पूरी करते रहते, जैसे कि न्यूनतम कार्यक्रम बनाने और सत्ता में भागीदारी का मॉडल तय करने की. लेकिन उस वक्त कांग्रेस ने ऐसा किया नहीं और देर कर दी. और, फिर भाजपा ने अपनी रणनीति बदल दी और सरकार बना लिया.