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ज्योतिष : ग्रहों की दशा-अंतर्दशा तय करती है करियर
पीएन चौबे, ज्योतिषाचार्य कुंडली के बारह भाव में विशेष कर पंचम भाव उच्च शिक्षा या तकनीकी शिक्षा को निरुपित करता है. यह भाव आवेग, भावना, ईश्वर में विश्वास एवं पूर्व पुण्य के लिए भी जाना जाता है. इसके विश्लेषण में तीन चीज़ें महत्वपूर्ण हैं, जो क्रमश: भाव, भावेश एवं कारक हैं एवं इन भाव या […]
पीएन चौबे, ज्योतिषाचार्य
कुंडली के बारह भाव में विशेष कर पंचम भाव उच्च शिक्षा या तकनीकी शिक्षा को निरुपित करता है. यह भाव आवेग, भावना, ईश्वर में विश्वास एवं पूर्व पुण्य के लिए भी जाना जाता है. इसके विश्लेषण में तीन चीज़ें महत्वपूर्ण हैं, जो क्रमश: भाव, भावेश एवं कारक हैं एवं इन भाव या ग्रहों पर अन्य ग्रहों की दृष्टि युति अति महत्व के हैं.
मूलतः कैरियर के निर्धारण में शुभ ग्रहों की दशा या अंतर्दशा अनिवार्य है. भाव के संबंध में यह देखना है कि यहां की राशि सम है या विषम. पुन: हम तत्व की विवेचना कर जातक के मन की स्थिति का आकलन करते हैं. जैसे अगर यहां अग्नि तत्व हो तो संतान तीव्र बुद्धि एवं नम्र होगी. पृथ्वी तत्व राशि होने से उसकी स्मरण शक्ति तीव्र होगी. वायु तत्व राशि होने से उसमें शांत रहने की क्षमता होगी. वहीं जल तत्व होने से संतुलन की प्रधानता होगी.
विद्या के विशेष योग : ऐसे तो अलग-अलग सैकड़ों योग हैं, फिर भी विद्या के कारक गुरु का विशेष महत्व है- बलि सुतेशे केंद्रकोणे विद्वान. अर्थात यदि गुरु केंद्र या त्रिकोण में हो, तो उसकी उच्च शिक्षा होगी. पंचम भाव विशेष कर सूर्य का घर है, वहां अगर सूर्य हो तो विद्या पूर्ण होगी. लेकिन अगर इसके स्वामी त्रिक भाव में हों, तो विद्या अपूर्ण होगी. इस भाव पर यदि पाप ग्रहों का प्रभाव हो तब भी विद्या में रुकावट पैदा होगी.
मंगल शनि एवं राहु तकनीकी ग्रह हैं. इनका संबंध इन भावों से होने पर इसी प्रकार की शिक्षा होती है. गुरु एवं चंद्रमा अध्यापक बनाते हैं, तो गुरु एवं शनि कानूनी शिक्षा की ओर ले जाते हैं. अकेला चंद्रमा एवं शुक्र कला की ओर ले जाते हैं, तो गुरु विभिन्न भाषाओं में उच्च शिक्षा देते हैं. बुध व्यापार, गणित, प्रबंधन तथा सांख्यिकी एवं लेखन की ओर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है. सूर्य चिकित्सा के कारक हैं.
इनके साथ शनि, राहु की युति चिकित्सक बनाती है. अकेला सूर्य राजनीति शास्त्र या भौतिक शास्त्र की शिक्षा देते हैं, तो शुक्र सिनेमा, होटल, साहित्य आदि की ओर ले जाते हैं. अकेला शनि सूर्य की राशि में राजनीति या श्रम कानून में ले जाते हैं. इस प्रकार कई ग्रहों की दृष्टि युति भी शिक्षा में बदलाव को सुनिश्चित करते हैं. ज्योतिष में शारदा योग, सरस्वती योग, भारती योग आदि हैं, जो विद्या संबंधी शुभ संकेत देते हैं.
ग्रहों के उपाय : विद्या के लिए गुरु ज्ञान है, चंद्रमा मन बुध बुद्धि एवं मंगल ऊर्जा हैं. सूर्य आत्मविश्वास के कारक हैं, इसलिए इन ग्रहों के साथ भावेश को ठीक करना अनिवार्य है. भावेश के लिए कुंडली के अनुसार रत्न धारण करना एवं एक नेपाली गणेश रुद्राक्ष गले में पहनना शुभ रहता है. सामान्य उपाय में गुरु के लिए शिक्षकों एवं बड़ों को आदर करें.
फलदार वृक्ष लगाएं एवं इनमें जल दें. चंद्रमा के लिए जल को गंदा नहीं करें, न ही इसे बर्बाद करें, माता का आशीर्वाद लें. मंगल के लिए सबों को भाई मान उनका आदर करें. चाचा-ताऊ से आशीर्वाद लें. बुध के लिए मामा-मामी, फुआ, मौसी आदि को सम्मान दें. घर में हरे पौधे लगा प्रतिदिन जल दें. सूर्य के लिए पिता को सम्मान दें एवं पूर्णत: शाकाहार रहें. इसके अलावे सरस्वती स्त्रोत का पाठ करें, स्फटिक का माला पहनें. सरस्वती यंत्र पूजा में रखें. संभव हो धारणा सरस्वती स्त्रोत नित्य पढ़ें. आजकल के बच्चे परिणाम विपरीत आने पर अत्यधिक भावुक हो जाते हैं. अत: धैर्य रखे अच्छे समय जल्द आयेंगे.
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