इस ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली बल है प्रेम

श्रीश्री रविशंकर आध्यात्मिक गुरु व आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक जीसस का अर्थ है- प्रेम. यदि आप प्रेम कहते हैं, तो आपको जीसस कहने की आवश्यकता नहीं है और यदि आप जीसस कहते हैं, तो इसका अर्थ है-प्रेम. जीसस ने एक बार कहा था- ”यदि तुम ईश्वर को मेरा नाम लेकर पुकारोगे, तब तुम जो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2019 6:41 AM
श्रीश्री रविशंकर
आध्यात्मिक गुरु व आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक
जीसस का अर्थ है- प्रेम. यदि आप प्रेम कहते हैं, तो आपको जीसस कहने की आवश्यकता नहीं है और यदि आप जीसस कहते हैं, तो इसका अर्थ है-प्रेम. जीसस ने एक बार कहा था- ”यदि तुम ईश्वर को मेरा नाम लेकर पुकारोगे, तब तुम जो भी मांगोगे, वह तुम्हें मिल जायेगा”. ईश्वर के लिए सब कुछ प्रेम है. आप जीसस में प्रेम की पूर्ण अभिव्यक्ति पायेंगे. कोई भी छोटी-सी झलक, जो आपको यहां-वहां मिलती है, यह दर्शाती है कि जीवन उस पूर्णता, अव्यक्त की उस परम अभिव्यक्ति को, हर समय अभिव्यक्त करने का प्रयास कर रहा है.
प्रेम जीवन का सबसे लोकप्रिय उपहार है, लेकिन सबसे कम अभिव्यक्त किया जाने वाला एक रहस्य भी है. हम कई प्रकार से प्रेम की अभिव्यक्ति करने का प्रयास करते हैं, लेकिन फिर भी यह रहस्य ही रहता है और यह बहुत दुर्लभ है कि प्रेम की अभिव्यक्ति पूर्णता से हो जाये.
प्रेम आपको कमजोर बनाता है, लेकिन यह आपको स्वर्ग का राज भी देता है. चाहे आप कितने भी मजबूत क्यों न हों, जब आप प्रेम में होते हैं, तब आप सबसे अधिक कमजोर होते हैं.
लेकिन फिर भी प्रेम इस ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली बल है. जहां प्रेम आपको कमजोर बनाता है, वहीं यह आपको डराता भी है. हजारों लोगों में केवल कुछ ही लोगों ने जीसस का अनुसरण किया. बहुत सारे लोगों ने उन्हें सुना, लेकिन बहुत कम लोग ही आये. बहुत सारे चमत्कार करने के बावजूद केवल कुछ ही लोग उन्हें पहचान पाये.
जीसस ने कहा था- ”मैं आदमी को आदमी के विरुद्ध, पिता को पुत्र के विरुद्ध और पुत्री को मां के विरुद्ध करने आया हूं.” बहुत कम लोग इस बात को वास्तव में समझ पाये कि इसका अर्थ क्या है.
जिसे आप वास्तव में अपना मित्र समझते हैं, वह आपका मित्र नहीं है, क्योंकि वह संसार के प्रति आपके विश्वास को मजबूत बनाता है और आत्मा को कमजोर. ”मैं लोगों को एक-दूसरे के विरुद्ध करने आया हूं, मैं आग लगाने आता हूं, शांति स्थापित करने के लिए नहीं.” जीसस ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि वह नींद की गहराई को जानते थे. जब आप कुछ अच्छी, शांतिपूर्ण बातें कहते हैं, तो प्रत्येक व्यक्ति ऊंघने लगेगा और जब कोई संवेदनशील बात होती है, तो लोग जाग जाते हैं और बात को सुनते हैं.
मनुष्य का मन इस प्रकार से काम करता है और जीसस ने प्रत्येक व्यक्ति के मन तक पहुंचने के सभी प्रयास किये और आत्मा, जीवन के स्रोत, स्वयं तक पहुंच गये. आप अपनी सीमित पहचान को छोड़ देते हैं और स्वयं में दिव्यता को पहचान लेते हैं. आप बस एक मनुष्य होने से कहीं अधिक कुछ हैं; आप ईश्वर का अंश हैं. और आप राज्य के उत्तराधिकारी हैं, और वह राज्य यहीं है, आपके भीतर.
प्रत्येक रूप प्रेम से भरा हुआ है और प्रत्येक नाम प्रेम को ही दर्शाता है और इस प्रकार से जीसस पिता से एकरूप हैं. पिता अपनी सृष्टि से एकरूप हैं. भारत में, सृष्टि और सृष्टि के रचयिता की तुलना नृत्य और नर्तक से की जाती है.
नर्तक के बिना नृत्य नहीं हो सकता है. नर्तक नृत्य की प्रत्येक मुद्रा में है. सृष्टि की प्रत्येक कल्पना में सृष्टि के रचयिता हैं. वही सर्व विद्यमान हैं, सर्व शक्तिमान हैं. यदि ईश्वर सर्व विद्यमान हैं, तो वह हर एक जगह मौजूद हैं, ऐसा ही है न? यदि रचयिता सृष्टि से भिन्न हैं, तब वह अपनी सृष्टि में हर जगह मौजूद हैं. तब वह सर्व विद्यमान नहीं हैं. इससे ईश्वर की संपूर्ण परिभाषा ही बदल जाती है.
प्रेम सब जगह मौजूद है, लेकिन कहीं-कहीं वह पूर्ण रूप से अभिव्यक्त होता है और आत्मा का ज्ञान, आपको प्रेम की संपूर्ण अभिव्यक्ति, प्रेम के खिले हुए स्वरूप की ओर ले जाता है.
जीसस ने कहा था- ”एक-दूसरे से इतना प्रेम करो, जितना मैं तुमसे करता हूं.” आप इस प्रेम के अवतार में और क्या देखना चाहते हैं?
इस बात को जानिए कि आप प्रेम से बने हैं. आप क्रिसमस ट्री की तरह हैं, जो सभी शाखाओं के साथ ऊपर की ओर संकेत करता है. वर्ष के इस समय पर, जब सारे वृक्षों के पत्ते झड़ जाते हैं, आप एक ऐसे वृक्ष बन जाइए, जिसके पास देने के लिए बहुत सारे उपहार हैं. आप उपहारों और प्रकाश का स्रोत बन जाइए,अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए. याद रखिए कि जीवन में जो भी उपहार आपके पास हैं, वे दूसरों के लिए हैं. जो भी आपके पास आता है, उसे अपने उपहार दीजिए.
सृष्टि में हर जगह मौजूद है प्रेम
प्रेम का न तो कोई नाम है और न ही कोई रूप. प्रेम अमूर्त है, लेकिन फिर भी मूर्त है. इसका कोई नाम या रूप नहीं है, लेकिन फिर भी यह सभी नामों और रूपों में प्रकट होता है. यह सृष्टि का रहस्य है. यदि आपके पास देखने वाली आंख है, तो आप इस सृष्टि में प्रेम को सब जगह पर देख सकते हैं. जरा एक चिड़िया को देखिए और घोंसले में बैठे उसके बच्चे को देखिए. चिड़िया दाना लेकर आती है और किस प्रकार से अपने बच्चे को खिलाती है. आप देखिए कि बच्चा किस प्रकार से मां के आने की प्रतीक्षा करता है. इसमें प्रेम है. मछली में भी प्रेम है. आकाश में प्रेम है. जल के नीचे प्रेम है. धरती पर प्रेम है और बाहरी स्थान में भी प्रेम है.

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