बिहार में हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता के मिले अवशेष, हाथ लगा आयताकार तांबे का सिक्का जो…

ऋषव मिश्रा कृष्णागुवारीडीह बहियार में मध्ययुगीन सभ्यता से भी पुराने हैं अवशेषनवगछिया : बिहार के नवगछिया अनुमंडल के बिहपुर प्रखंड अंतर्गत जयरामपुर गांव से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोसी तटीय गुवारीडीह बहियार में मध्ययुगीन सभ्यता से भी पहले के अवशेष मिले हैं. यह इलाके में कौतूहल का विषय बन गया है. अब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2020 10:48 AM

ऋषव मिश्रा कृष्णा
गुवारीडीह बहियार में मध्ययुगीन सभ्यता से भी पुराने हैं अवशेष

नवगछिया : बिहार के नवगछिया अनुमंडल के बिहपुर प्रखंड अंतर्गत जयरामपुर गांव से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोसी तटीय गुवारीडीह बहियार में मध्ययुगीन सभ्यता से भी पहले के अवशेष मिले हैं. यह इलाके में कौतूहल का विषय बन गया है. अब तक मिले अवशेषों को जय रामपुर गांव के ग्रामीण अविनाश कुमार चौधरी ने सहेज कर रखा है. ग्रामीणों ने इसकी जानकारी सरकार और प्रशासनिक पदाधिकारियों को देने का निर्णय लिया है. अवशेषों में सबसे महत्वपूर्ण एक आयताकार तांबे का सिक्का है, जिस पर राजशाही परिधान में एक योद्धा का चित्र है. ग्रामीणों ने बताया कि एक घड़े में बंद 100 से भी अधिक सिक्के उस स्थल से मिले हैं. लेकिन, जिन लोगों को सिक्के मिले, उन्होंने दबा रखा है. अविनाश कुमार चौधरी के पास फिलहाल एक सिक्का है.

बरामद सामग्री: मिट्टी का चूल्हा, सिल्ला-लोढ़ी, मिट्टी के कई तरह के बर्तन, पत्थर के कई तरह के सामान, लगभग 10 फीट लंबा और एक फीट चौड़ी ईंट आदि.

बड़े भू-भाग में फैला था गुवारीडीह का टीला: अविनाश कहते हैं गुवारीडीह का टीला एक बड़े भू-भाग में फैला था. लेकिन, कोसी कटाव में यह अब महज चार एकड़ का रह गया है. इतने भू-भाग में अभी भी जंगल है और विगत वर्षों भी कई कुएं का कटाव हो गया. अविनाश का कहना है कि वह पुरातत्व में दिलचस्पी रखते हैं और उनके हिसाब से जगह की सभ्यता कम से कम 4000 वर्ष पुरानी है.

पांच दशक पहले गुवारीडीह में खुदाई का हुआ था प्रयास: जयरामपुर गांव के बुजुर्गों का कहना है कि करीब 50 वर्ष पहले कई बार सरकार ने गुवारीडीह की खुदाई करने का मन बनाया था. स्थल पर पुरातत्व विभाग की टीम भी पहुंची, लेकिन गुवारीडीह पर पूरी तरह से जंगल था और वहां एक कामा देवी का मंदिर हुआ करता था. लोगों की मान्यता थी कि कमादेवी ही ग्राम देवी हैं और वह गांव की रक्षा करती हैं. इसलिए किसी भी सूरत में जंगल को हटाने नहीं दिया जा सकता. चूंकी गुवारीडीह की जमीन खतियानी और निजी है, इसी कारण ग्रामीण पुरातत्व विभाग की टीम को बैरंग लौटा देते थे. पिछले दिनों कामा देवी का मंदिर कटाव के कारण कोसी में समा गया. इसके बाद ग्रामीणों ने जंगल को हटाना शुरू किया. दूसरी तरफ गुवारीडीह कोसी कटाव के एकदम मुहाने पर पहुंच चुका है. ग्रामीणों की इच्छा है कि एक बार सरकार पुरातत्व विभाग स्थल की सघन खुदाई करे, ताकि सभ्यता का रहस्योद्घाटन हो सके.

-जयरामपुर का अस्तित्व 2000 साल पुराना : जानकारों का कहना है कि जो सामग्री बरामद हुई वे कम से कम तीन से चार हजार वर्ष पुरानी हो सकती है. ग्रामीणों का इसके पीछे तर्क यह है कि बुजुर्ग कहते हैं कि जयरामपुर गांव का अस्तित्व करीब 2000 साल पुराना है. इस हिसाब से यहां मिली सामग्री इससे पहले की होगी. ग्रामीण अविनाश कुमार चौधरी ने बताया कि पहले भी स्थल पर कई तरह की सामग्री लोगों को मिलती रही हैं. दो दिन पहले जब वह अपने खेत पर गये, तो देखा कि कोसी नदी के कटाव में गुवारीडीह का टीला कट रहा था और उससे कई तरह की सामग्री नदी में विलीन होने के कगार पर थीं. उन्होंने सभी सामग्रियों को बारीकी से एकत्रित किया और उसे लेकर घर चले आये.

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