अर्थव्यवस्था को गति देने का उपाय करे सरकार
ब्रजेश झा, अर्थशास्त्री सरकार को यह सोचना है कि कैसे विकास दर और लोगों की खरीद क्षमता को बढ़ाया जाये. यह स्थिति नहीं सुधरी, तो देश की आर्थिक हालत और भी गंभीर होगी.इस वक्त अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है. इसलिए कई चीजों को लेकर चिंता की स्थिति बनी हुई है और लोगों […]
ब्रजेश झा, अर्थशास्त्री
सरकार को यह सोचना है कि कैसे विकास दर और लोगों की खरीद क्षमता को बढ़ाया जाये. यह स्थिति नहीं सुधरी, तो देश की आर्थिक हालत और भी गंभीर होगी.इस वक्त अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है. इसलिए कई चीजों को लेकर चिंता की स्थिति बनी हुई है और लोगों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है. हाल ही में आये बढ़ी बेरोजगारी के आंकड़ों के बाद खुदरा महंगाई दर के छह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचना परेशान करनेवाला है. खुदरा महंगाई दर के बढ़ने का अर्थ है कि आम उपभोक्ता दैनिक जरूरतों में आनेवाले खाद्य पदार्थों को खरीदने को लेकर परेशान हैं.
अब जबकि देश का बजट पेश होने में कुछ ही दिन बाकी हैं, तो जाहिर है कि यह स्थिति सरकार को परेशान करनेवाली है. अब महंगाई और बेरोजगारी का समाधान तलाशने की जरूरत है. मेरी समझ में इसका समाधान एक ही है, और वह है अर्थव्यवस्था में तेजी. इस वक्त हमारी अर्थव्यवस्था धीमी गति से चल रही है, उसकी वजह से ही बहुत सारी परेशानियां जन्म ले रही हैं.
बेरोजगारी और महंगाई उनमें मुख्य हैं. हालांकि, पिछले सालों में महंगाई एक हद तक कम हो गयी थी, लेकिन चूंकि वैश्विक मंदी के चलते देश के सभी क्षेत्रों में सुस्ती आने लगी, इसलिए बेरोजगारी और महंगाई पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका. हमें पहले ही चेत जाना चाहिए था और अर्थव्यवस्था को सुस्त पड़ने से बचाना चाहिए था.
अर्थव्यवस्था की सुस्ती के बीच महंगाई कम करने के सारे उपाय बेकार साबित होंगे. इसलिए सबसे पहले जरूरी यह है कि सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने का उपाय सोचे. पूर्व के अनुभव यही बताते हैं कि अर्थव्यवस्था के गति पकड़ने से हर क्षेत्र को फायदा होता है. इससे बेरोजगारी और महंगाई कम होती है.
साथ ही पैसे का मान यानी क्रय शक्ति भी बढ़ती है. सरकार को यह सोचना है कि कैसे विकास दर को बढ़ाया जाये और लोगों की खरीद क्षमता को बढ़ाया जाये. यह स्थिति नहीं सुधरी, तो देश की आर्थिक हालत के सामने और भी गंभीर चुनौतियां आ खड़ी होंगी.