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बिहार में 80 फीसदी से ज्यादा सांसदों पर आरोप

राजनीति के अपराधीकरण में बिहार भी पीछे नहीं है. वर्ष 2015 में राज्य की विधानसभा के लिए चुने गये कुल 243 विधायकों में 58 प्रतिशत (142) आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं. यह आंकड़ा 2010 की तुलना में एक प्रतिशत अधिक है.दागी विधायकों के मामले में आरजेडी शीर्ष पर है, जिसके 80 में से […]

राजनीति के अपराधीकरण में बिहार भी पीछे नहीं है. वर्ष 2015 में राज्य की विधानसभा के लिए चुने गये कुल 243 विधायकों में 58 प्रतिशत (142) आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं. यह आंकड़ा 2010 की तुलना में एक प्रतिशत अधिक है.दागी विधायकों के मामले में आरजेडी शीर्ष पर है, जिसके 80 में से 46 विधायकों पर आपराधिक आरोप हैं. जद (यू) के 71 में 37 (52 प्रतिशत), भाजपा के 53 में 34 (64 प्रतिशत), कांग्रेस के 27 में 16 (59 प्रतिशत), सीपीआइ (एमएल) के तीनों, आरएलएसपी के दो में एक और एलजेपी के दोनों विधायकों पर आपराधिक मुकदमे दायर थे.

बिहार इलेक्शन वॉच और एडीआर के मुताबिक, 98 (40 प्रतिशत) विधायकों पर हत्या, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक सद्भाव भंग करना, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध संबंधी गंभीर मामले लंबित थे. राज्य के 142 विधायक जहां आपराधिक मामलों का सामना कर रहे थे, वहीं 70 (49 प्रतिशत) के खिलाफ पहले से आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका था.
पश्चिम बंगाल में दागी विधायकों की संख्या में पांच प्रतिशत की वृद्धि
वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए थे. चुन गये कुल विधायकों में 107 पर आपराधिक और 93 पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं. इस लिहाज से 2011 के मुकाबले 2016 चुनाव में इस राज्य के दागी विधायकों की संख्या 32 प्रतिशत से बढ़कर 37 प्रतिशत पर पहुंच गयी. तृणमूल कांग्रेस के सर्वाधिक 66 विधायक आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं. इसी पार्टी के 60 विधायकों पर हत्या, बलात्कार, अपहरण और चोरी समेत गंभीर आरोप हैं.
दिल्ली के 50 प्रतिशत से अधिक विधायक दागदार
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए हाल ही में हुए चुनाव में जीतकर आये 43 विधायकों ने घोषणा की है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले हैं. इन 43 में 37 विधायकों के खिलाफ हत्या के प्रयास, बलात्कार, महिलाओं पर अत्याचार जैसे गंभीर आपराधिक मामले हैं.
गंभीर आपराधिक मामलों वाले 37 में से 13 विधायकों ने अपने ऊपर महिलाओं पर अत्याचार और 13 ने बलात्कार जैसे जघन्य कृत्य के आरोपों का सामना करने की बात स्वीकारी है. पिछली लोकसभा में 24 विधायकों ने खुद पर आपराधिक मामलों की घोषणा की थी.
लोकसभा 2019 में आपराधिक मामले घोषित करनेवाले उम्मीदवारों की जीतने की संभावना 15.5 प्रतिशत थी, जबकि साफ छवि वाले उम्मीदवारों के जीतने की संभावना 4.7 प्रतिशत थी.

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