जेब खर्च के पैसे से दे रहे इएमआइ

भारतीय शहर पहचाने जाते हैं, पागल बना देनेवाले ट्रैफिक के लिए, सड़कों पर होनेवाले हादसों के लिए. लेकिन, कोझिकोड ने एक अलग राह चुनी है. वह ‘साइकिल संस्कृति’ के जरिये शहर को प्रदूषण मुक्त और सुरक्षित बनाना चाहता है. इसके लिए वहां अलग साइकिल पथ बनाने की तैयारी की जा रही है. इन साइकिल पथों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2014 12:58 AM

भारतीय शहर पहचाने जाते हैं, पागल बना देनेवाले ट्रैफिक के लिए, सड़कों पर होनेवाले हादसों के लिए. लेकिन, कोझिकोड ने एक अलग राह चुनी है. वह ‘साइकिल संस्कृति’ के जरिये शहर को प्रदूषण मुक्त और सुरक्षित बनाना चाहता है. इसके लिए वहां अलग साइकिल पथ बनाने की तैयारी की जा रही है. इन साइकिल पथों से बच्चे सुरक्षित ढंग से स्कूल जा सकें, इसके लिए उन्हें साइकिल उपलब्ध करायी जा रही है. पर खैरात नहीं, बिना सूद के कर्ज के रूप में. बच्चे खुशी-खुशी इसे चुका भी रहे हैं.

सेंट्रल डेस्क

झारखंड-बिहार में साइकिल ने बच्चों, खास कर लड़कियों को स्कूल से जोड़ने में कामयाबी की बड़ी कहानी लिखी है. यहां सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के तहत विद्यार्थियों को साइकिल मुफ्त दी जाती है. लेकिन, केरल का कोझिकोड एक वैकल्पिक रास्ता दिखा रहा है, जो सरकारी मदद नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का है. मसालों के शहर कोझिकोड, जिसे पहले कालीकट कहा जाता था, में तकरीबन 5000 छात्रों ने बैंक से कर्ज लेकर साइकिल खरीदी है और वे इसकी मासिक किस्तें (इएमआइ) नियमित चुका रहे हैं.

स्कूली छात्रों के लिए यह खास योजना लेकर आया कालीकट सिटी सर्विस कोऑपरेटिव बैंक. कुछ महीनों पहले उसने इसे शुरू किया. बैंक ने ब्याजमुक्त कर्ज दिया, जिसे दो साल में पूरा चुकाना है. बैंक ने कर्ज देने के लिए सिर्फ बच्चों की मां से गारंटी मांगी. सबसे अच्छी बात यह है कि बहुत कम ऐसे छात्र हैं जो नियमित रूप से किस्त नहीं चुका रहे हैं. मासिक किस्त 200 रुपये से कम की है.

बैंक के महाप्रबंधक साजू जेम्स कहते हैं, ‘अक्सर, मां-बाप की जगह बच्चे खुद किस्त भरने बैंक आते हैं. बच्चे इसके लिए हर महीने अलग से बचा कर रकम रखते हैं. आज जब लोगों में कर्ज लेकर मौज करने और फिर उसे चुकाने में आनाकानी करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, तब बच्चों का यह रवैया देख कर खुशी होती है.’ बैंक ने शुरू में लक्ष्य रखा था कि दो महीने में कोङिाकोड तालुक में विभन्न स्कूलों के 5000 बच्चों को साइकिल के लिए कर्ज देना है. लेकिन इतने ज्यादा आवेदन आये कि यह संख्या बढ़ानी पड़ी. कई बार तो साइकिल कंपनी समय पर आपूर्ति ही नहीं कर पा रही थी. लेकिन अब समस्या सुलझा ली गयी है और आवेदन करनेवाले सभी बच्चों को साइकिल उपलब्ध करा दी गयी है.

साइकिल पार्क का भी प्रस्ताव : कोझिकोड शहर में एक साइकिल पार्क बनाने का भी प्रस्ताव है. यहां साइकिलें खड़ी करने और साइकिल क्लब के लिए जगह होगी. यहां से शहरवासी और बाहर से आने से लोग साइकिलें किराये पर ले सकेंगे. यह परियोजना मोटर वाहन विभाग बना रहा है. राज्य के पंचायत मंत्री एमके मुनीर भी कुछ महीने पहले यह घोषणा कर चुके हैं कि नयी पंचायत सड़कों को मंजूरी तभी दी जायेगी, जब उनमें अलग साइकिल ट्रैक की व्यवस्था होगी.

(इनपुट: दि हिंदू)

अलग ट्रैक बनाने की तैयारी

बच्चों को साइकिल खरीदने के लिए जो कर्ज दिया गया है, वह एक बड़े अभियान का हिस्सा है. तैयारी की जा रही है कि कोझिकोड में साइकिल के लिए अलग ट्रैक बनाया जाये, जिससे साइकिल संस्कृति को बढ़ावा मिले. यहां छात्रों की परिवहन सुविधा के लिए एक समिति है, जिसका अध्यक्ष जिला कलेक्टर होता है. कलेक्टर ने लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिया है कि वह अलग साइकिल ट्रैक की संभावना तलाशने के लिए अध्ययन करे. जिला प्रशासन का कहना है कि अलग साइकिल ट्रैक बनने से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. केरल में साइकिल को बढ़ावा देने के लिए ‘मालाबार साइकिल प्रमोशन काउंसिल’ नामक स्वयंसेवी संगठन है. इसने 10 से ज्यादा यूरोपीय देशों का भ्रमण करके साइकिलों के इस्तेमाल के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे का अध्ययन किया है. अपनी अध्ययन रिपोर्ट उसने सरकार को सौंप दी है. इसमें सबसे ज्यादा जोर अलग साइकिल ट्रैक पर है. इसी संगठन की पहल पर कालीकट सिटी कोऑपरेटिव बैंक ने छात्रों को साइकिल के लिए कर्ज देने की योजना शुरू की.

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